Govardhan Puja 2022: दिवाली के तीसरे दिन घरों से लेकर मंदिरों तक गोवर्धन पूजा  की जा रही हैं जिसे 'अन्नकूट पूजा' भी कहा जाता है.आराध्यदेव गोंविंददेवजी मंदिर में ठाकुरजी 102 साल पुरानी सुनहरी पोशाक में अपने भक्तों को दर्शन देंगे. तो वैशालीनगर स्थित स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर परिसर में ठाकुरजी को 1111 से अधिक पकवानों का भोग अर्पित किया जाएगा. सात्विक व्यंजन जिसमें राजस्थानी, गुजराती, दक्षिण भारतीय, उत्तर भारतीय और अन्य क्षेत्रीय व्यंजन शामिल होंगे.


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अन्नकूट की  सजेगी झांकी 
अन्नकूट दर्शन का समय दोपहर एक बजे से लेकर रात आठ बजे तक रहेगा.अंत में प्रसादी होगी.साथ ही भक्तों के लिए आराध्य गोविंद देव जी के मंदिर में अन्नकूट की झांकी भी सजाई जाएगी.  मंदिर प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि संभावित अन्नकूट झांकी दर्शन दोपहर 12 से 12.30 बजे तक होंगे. .इस दौरान सुबह ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक के बाद विशेष 25 तरह के कच्चा भोग, 56 भोग सेवा में अर्पण किए जाएंगे.


मंदिर के पश्चिम द्वार पर पर गोवर्धन पूजा और गाय के बछड़े का पूजन किया जाएगा.इसके बाद पुरानी सुनहरी जामा पोशाक धारण करवाई जाएगा.साथ ही विशेष अलंकार से श्रृंगार किया जाएगा.ज्योतिषाचार्य के मुताबिक अन्नकूट के अवसर पर भगवान को गर्म तासीर के व्यंजनों के साथ ही एक से बढ़कर एक व्यंजनों का भोग लगाया जाता हैं.


अक्षरधाम मंदिर सहित अन्य मंदिरों में गोवर्धन पर्वत की तर्ज पर झांकियां आकर्षण का केंद्र रहेगी.बता दें कि सूर्य ग्रहण के कारण करीब 150 सालों के बाद दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं होकर तीसरे दिन यानि आज हो रही हैं.इस दिन गोबर से घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत की चित्र बनाकर पूजन किया जाता हैं.


इस योग में होगी पूजा
इस बार आयुष्मान, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग के बीच गोवर्धन पूजा की जा रही हैं.जो सुख-समृद्धिदायक हैं.ये तीनों योग ही दिनभर रहेंगे. ज्योतिषाचार्य दामोदर शर्मा के मुताबिक आयुष्मान योग सूर्योदय के साथ सुबह 6.36 बजे से रात 9 बजकर 57 मिनट तक रहेगा.इस बीच गोवर्धन पूजा शुभफलदाय होगी.आयुष्मान योग के बाद सौभाग्य योग भी बन रहा है.


इस दिन सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग भी हैं.ये दोनों योग दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शुरू हो जाएंगे, जो रात 9 बजकर 23 मिनट तक रहेंगे.इस बीच गोवर्धन पूजा विशेष फलदायक होगी.गोवर्धन पूजा के दिन गेहूं, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोज तैयार किए जाते है.जिन्हें भगवान श्री कृष्ण को अर्पित किया जाता है.


गौरतलब है कि गोवर्धन पूजा द्वापर युग से होती आई है.द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने इन्द्रदेव के घमंड को तोड़कर उनके प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा की.तब से गोवर्धन पूजा की जाती है.पूजा में अन्नकूट प्रसाद का भोग लगाया जाता है.इस दिन गाय के बछड़े की पूजा होती है, भगवान कृष्ण गोपालक थे, इसलिए गाय के गोबर से ही गोवर्धन बनाना चाहिए.


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