Hanuman Jayanti 2023, Salasar balaji Dham: हनुमान जी (Hanumanji) के भक्तों के लिए सालासर बालाजी धाम (Salasar Balaji Dham) का बहुत बड़ा महत्व है. यह धार्मक स्थान राजस्‍थान (Rajasthan) के चूरू ज‌िले में स्थित बहुत प्रसिद्ध मंद‌िर है. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि मंदिर में राम भक्त हनुमान जी के दर्शन और पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है. 


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भारत  (India) में दो बालाजी मंदिर (Balaji Temple) फेमस हैं. एक आंध्रप्रदेश (Andhra Pradesh) में स्थित तिरूपति बालाजी (Tirupati Balaji) का मंदिर और दूसरा राजस्थान स्थित सालासर बालाजी (Salasar Balaji) का मंदिर. बता दें कि इन दोनों ही मंदिरों की प्रसिद्धि दूर-दूर तक है. सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Balaji Temple) आकर आपको हनुमान जी (HanumanJI) का अलग रूप देखने को मिलेगा. यहां बजरंग बली गोल चेहरे के साथ दाढ़ी और मूछ (Beard And Mustache) में विराजे हैं. जानकारों के अनुसार इसके पीछे की कहानी बहुत रोचक है. हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima) और आश्विन पूर्णिमा (Ashwin Purnima) पर यहां भव्य मेले (fair) का लगता है. इस दौरान यहां का नजारा बिल्कुल महाकुंभ (Mahakumbh) जैसा होता है.



इस वजह से हनुमान जी की है दाढ़ी-मूंछ (Hanuman ji With Beard And Moustache)


मान्यता है कि सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Balaji Temple) में हनुमानजी (Hanuman JI) ने पहली बार महात्मा मोहनदास महाराज (Mahatma Mohandas Maharaj) को दाढ़ी-मूछों के भेष में ही दर्शन दिए थे. तब मोहनदास (Mohandas) ने बालाजी (Balaji) को इसी रूप में प्रकट होने के लिए कहा. इसी वजह से बजरंगबली की दाढ़ी और मूछों में मूर्ति स्थापित है. 


श्री सालासर बालाजी धाम मंदिर का इतिहास (Salasar Balaji Dham Temple History)


सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Balaji Temple) में हनुमानजी (Hanumanji)की मूर्ति स्थापना का किस्सा बड़ा रोचक है. सालासर बालाजी मंदिर के इतिहास (Salasar Balaji Dham Temple History) के बारे में जानकार बताते हैं कि हनुमान भगवान (Lord Hanuman) बड़े ही चमत्कारिक ढंग से यहां प्रकट हुए थे. बताया जाता है कि घटना 1754 की है, जब नागपुर (Nagpur) जिले में असोटा गांव (Asota Village) में एक जाट किसान (Jat Farmer) अपना खेत जोत रहा था. तभी उसका हल (Plough) जमीन के नीचे किसी नुकीली पथरीली चीज से टकराया. जिसके बाद उसने वहां खोदा तो एक पत्थर निकला. 


पत्थर को अपने अंगौछे से साफ किया, तो देखा कि पत्थर पर बालाजी भगवान (Balaji Bhagwan) की छवि बनी है. उसी वक्त उस जाट किसान की पत्नी खाना लेकर आई. उसने भी बालाजी की मूर्ति (Balaji statue) को अपनी साड़ी से साफ किया. इसके बाद दंपति ने उस प्रतिमा प्रणा किया. तब किसान ने बाजरे के चूरमे (Millet Flakes) का पहला भोग बालाजी भगवान को लगाया. सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास (Salasar Balaji Dham Temple History)से लेकर अब तक सालासर बालाजी मंदिर (Salasar Balaji Temple) में बाजरे के चूरमे का ही भोग लगाया जाता है.


मूर्ति के प्रकट होने की बात धीरे-धीरे पूरे गांव और गांव के ठाकुर तक पहुंची. एक रात असोटा के ठाकुर को सपने में बालाजी (Balaji) ने मूर्ति को सालासर (Salasar) ले जाने के लिए कहा. इसी तरह सपने में हनुमान भक्त (Hanuman Bhakt) सालासर के महाराज मोहनदास (Maharaj Mohandas) को बताया कि जिस बैलगाड़ी (Bullock cart) से मूर्ति सालासर जाए, उसको कोई रोके नहीं. जिस जगह पर बैलगाड़ी अपने से रूक जाए, वहीं मूर्ति स्थापित कर दी जाए. इन आदेशों के बाद भगवान सालासर बालाजी (Lord Salasar Balaji) की मूर्ति को वर्तमान स्थान पर ही स्थापित की गई थी.


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