किसान अजमेर सिंह मलिक ने कर दिखाया करिश्मा, गर्म प्रदेश में मछली का किया सफल उत्पादन
स्थानीय मछली पालक किसान अजमेर सिंह मलिक ने ठण्डे क्षेत्र जेसै जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड जैसे राज्य में हिमालय के बर्फीले पानी की मछली का उत्पादन अब राजस्थान के 45° तापमान में भी कृत्रिम ठंडा वातावरण बनाकर ट्राउट मछली का पालन करने का सपना साकार कर दिखाया व ट्राउट के अण्डों से बच्चे भी सफलतापूर्वक पैदा किए.
Bassi: स्थानीय मछली पालक किसान अजमेर सिंह मलिक ने ठण्डे क्षेत्र जेसै जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड जैसे राज्य में हिमालय के बर्फीले पानी की मछली का उत्पादन अब राजस्थान के 45° तापमान में भी कृत्रिम ठंडा वातावरण बनाकर ट्राउट मछली का पालन करने का सपना साकार कर दिखाया व ट्राउट के अण्डों से बच्चे भी सफलतापूर्वक पैदा किए.
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स्थानीय मछली पालक ने यह करिश्मा करने का सपना अन्तरराष्ट्रीय फीसरीज एक्जीबिसन की डेनमार्क व अलबोर्ग की यात्रा के दौरान देखा, तब अजमेर सिंह ने मन मे कल्पना की ऐसा एक प्रयास मुझे भी जयपुर में करना चाहिए. तब से ही अजमेर सिंह अपनी टीम के साथ दिन-रात अपने सपने को पूरा करने मे लग गए. इस दौरान किसान ने अनैको बार जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश की यात्रा की. पिछले वर्ष मलिक ने अपने सपने को धरातल पर उतारा ओर 10 महिने में असम्भव प्रयासो को सम्भव प्रयास कर दिखाया जो कि आज युवा पीढ़ी के लिए मिसाल बन गए.
राजस्थान प्रदेश व ठण्डे प्रदेश की मछलियों में जानें फर्क
गर्म व ठण्डे क्षेत्र की मछिलयों में स्वाद व पौष्टिकता के साथ-साथ कीमत का भी फर्क है. इसका स्थानीय मार्केट वैल्यू 600 से 800 रुपए से भी अधिक है जो कि राजस्थान की मछली से अधिक है. लगभग 8 महीने में टेबल साईज की ट्राउट मछली का प्रोडक्शन तैयार किया जाता है. साथ ही किसान मलिक ने बताया प्रारंभिक व्यापारिक उत्पादन इकाई को स्थापित करने के लिये लगभग 50 करोड़ की लागत का अनुमान है. मुनाफा को देखा जाए तो इसमे प्रोडक्शन तैयार करने मे 280 -300 रुपय प्रति किलो की लागत है और मार्केट में इसका भाव 600-1200 रुपए है. वहीं अन्तरराष्ट्रीय मार्केट में 2000 प्रति किलो तक रहता है. इन सब के लिये किसी प्रयास को बिना विश्वास ओर मेहनत के साकार करना असंभव है.
प्रदेश में मछली पालक का नया कीर्तिमान प्रयास को सम्भव बनाने के लिये डॉक्टर पंडिता पूर्व निदेशक मत्स्य विभाग जम्मू-कश्मीर का बहुत बड़ा योगदान रहा है. यह प्रयास डॉ पंडिता के मार्गदर्शन में पूर्ण हो पाया. मछली की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत अच्छी डिमांड है, जिससे हमारा निर्यात बढ़ेगा. मछली पालन मे 28 वर्ष का अनुभव ही आज सफलता का प्रमाण दे रहा है. आज ये युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन चुकी है.
Reporter- AMIT YADAV