Rajasthan: कांग्रेस के मिशन 2024 में आरक्षित संसदीय क्षेत्रों की है बड़ी भूमिका, एससी-एसटी के लिए रिजर्व सीटों पर को-ऑर्डिनेटर्स
Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस पार्टी ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित क्षेत्रों में नई लीडरशिप तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है. पार्टी ने इसके लिए 50 संसदीय क्षेत्रों में लीडरशिप डेवेलपमेन्ट मिशन के लिए समन्वयक नियुक्त किए हैं. अपने अभियान के जरिये कांग्रेस पार्टी ने उन सीटों पर फोकस किया है, जहां उसे बंपर वोट मिलते थे, लेकिन परम्परागत वोट बैंक छिटकने से पार्टी को नुकसान हुआ है.
Rajasthan News: राजस्थान कांग्रेस पार्टी ने अनुसूचित जाति और जनजाति की सीटों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया है. पार्टी ने अपने परम्परागत वोट बैंक को साधने के लिए देश में ऐसी सीटें चिन्हित की हैं जहां उसे फिर से अच्छी मजबूती के साथ जीत के आसार दिख रहे हैं. इसके लिए पार्टी ने देश की 50 आरक्षित सीटों पर को-ऑर्डिनेटर्स के नाम का ऐलान कर दिया है. इन सीटों में अलग-अलग राज्यों की वे सीट शुमार हैं जो एससी या एसटी के लिए आरक्षित हैं. कांग्रेस के मिशन 2024 में आरक्षित संसदीय क्षेत्रों की बड़ी भूमिका, एससी-एसटी के लिए रिज़र्व 50 सीटों पर लीडरशिप डेवेलपमेन्ट के लिए लगाए को-ऑर्डिनेटर्स.
राजस्थान में अनुसूचित जाति के लिए चार आरक्षित सीट
राजस्थान लीडरशिप डेवेलपमेन्ट प्रोग्राम के लिए राजस्थान से सात संसदीय क्षेत्रों के नाम हैं. इसमें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित श्रीगंगानगर, बीकानेर, भरतपुर और करोली-धौलपुर सीट है। यहां पर नियुक्त समन्वयकों में गंगानगर की ज़िम्मेदारी मनोज सहारण को दी गई है. इस भूमिका में बीकानेर में संजीव सहारण, भरतपुर में पुष्पेन्द्र मीणा को लगाया और करौली-धौलपुर सीट पर नटवर सिंह को को-ऑर्डिनेटर लगाया गया है.
एसटी की तीन सीटों पर भी लगाए को-ऑर्डिनेटर
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दौसा, उदयपुर और बांसवाड़ा में भी पार्टी नई लीडरशिप तैयार करना चाहती है. इसले लिएदौसा में सुनील झाझड़िया, उदयपुर में डॉ विजय बड़ेटिया और बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर मोहम्मद अयूब को को-ऑर्डिनेटर लगाया गया है.
क्या होगी को-ऑर्डिनेटर्स की जिम्मेदारी?
पार्टी ने लोकसभा की रिजर्व सीटों पर जो को-ऑर्डिनेटर्स नियुक्त किये हैं उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी. दरअसल इन नेताओं को साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए मजबूत लीडरशिप तैयार करनी है. कांग्रेस पार्टी के थिंक टैंक का मानना है कि अनुसूचित जाति और जनजाति परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर रहा है. ऐसे में उस वोटर को पार्टी से फिर जोड़ने की कवायद के रूप में लीडरशिप डेवेलपमेंट प्रोग्राम को देखा जा रहा है. इसके साथ ही ये को-ऑर्डिनेटर्स अपने प्रभार वाले क्षेत्रों में ऐसे लोगों को ढूंढेंगे जो पार्टी को मजबूत करने में योगदान दे सकें.
इसके लिए जरूरी संसाधन और संभावना पर काम करने की ज़िम्मेदारी भी इन समन्वयकों की ही होगी. एससी और एसटी के साथ ओबीसी और अल्पसंख्यकों को जोड़ने के लिए भी समन्वयक रणनीति बनाएंगे. इसके साथ ही ये को-ऑर्डिनेटर्स विधानसभा क्षेत्रों में अपने हिसाब से पार्टी के लिए मजबूत आधार स्तम्भ तैयार करके उन विधानसभा क्षेत्रों को भी मजबूत करने की कोशिश करेंगे.
चुनाव में महत्वपूर्ण होगी इन को-ऑर्डिनेटर्स की रणनीति
कांग्रेस पार्टी की तरफ से राजस्थान में सात रिजर्व सीटों पर नियुक्त को-ऑर्डिनेटर्स की भूमिका सिर्फ चुनाव की घोषणा तक ही नहीं, बल्कि चुनाव के दौरान भी महत्वपूर्ण होगी. दरअसल अपनी तरफ से तैयार किए गए संसाधन और रिपोर्ट्स को पार्टी के उम्मीदवार को सौंपने और उसके बाद चुनाव के दौरान उसे पूरा सपोर्ट देने में भी इन समन्वयकों की भूमिका रहेगी. कांग्रेस के थिंक टैंक का मानना है कि लीडरशिप डेवेलपमेन्ट प्रोग्राम का सही तरीके से क्रियान्वयन किया गया, तो उसके अच्छे नतीजे भी आएंगे और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों में भी इज़ाफ़ा हो सकेगा.
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