Bassi: लंपी वायरस का प्रकोप प्रदेश सहित आस-पास के राज्यों में तेजी से बढ़ रहा है. प्रदेश की राजधानी जयपुर के बस्सी उपखंड क्षेत्र में भी लंपी वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है. बस्सी उपखंड क्षेत्र में लंपी वायरस का पहला मामला 20 अगस्त 2022 को बस्सी के कानेटा गांव में आया था और लंपी वायरस की चपेट में आने से पहली मौत 22 अगस्त 2022 को हुई थी. 


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आज की स्थित देखी जाए तो बस्सी उपखंड क्षेत्र में 834 पशु लंपी वायरस की चपेट में है और अभी तक बस्सी उपखंड क्षेत्र में 86 पशुओं की मौत लंपी वायरस की चपेट में आने से हो चुकी है. बस्सी उपखंड क्षेत्र की बात की जाए तो सर्वाधिक लंपी वायरस का प्रकोप भोन्यावाला, फालियावास, बस्सी, कानोता, तूंगा, बांसखोह, भटेरी इन गांवों में रहा है. 


डॉ ओमप्रकाश बैरवा, बस्सी नोडल प्रभारी पशुपालन विभाग ने बताया कि अभी तक 132 पशुओं का टीकाकरण भी हो चुका है. लंपी वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए बस्सी उपखंड क्षेत्र में पशु प्रेमी आगे आए है. पशु प्रेमियों और सरकार के सहयोग से बस्सी उपखंड क्षेत्र में 04 जगहों पर आइसोलेशन सेंटर खोले गए है. बस्सी, कानोता, तूंगा और बांसखोह में प्रशासन और जनसहयोग से चलाया जा रहा है. लंपी वायरस से पीड़ित पशुओं का निशुल्क उपचार किया जा रहा है. वहीं लंपी वायरस की चपेट में आने से जिन पशुओं की मौत हो जाती हैं उनका प्रशासन के सहयोग से गड्ढा खोदकर उन्हें दफनाया जा रहा जिससे मृत पशुओं की बीमारी अन्य जानवरों में नहीं फैल सके.


उपखंड अधिकारी बस्सी शिवचरण शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा गठित गाइडलाइन के अनुसार बस्सी के चारों कस्बों में आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. बस्सी, कानोता, तूंगा और बांसखोह में इन आइसोलेशन सेंटर में लंपी वायरस से संक्रमित आवारा पशुओं को रखा जा रहा है. वहीं स्थानीय ग्राम पंचायत और स्वय सेवी संस्थाएं और पशु प्रेमियों के सहयोग से संक्रमित पशुओं का इलाज किया जा रहा है. बस्सी उपखंड क्षेत्र की दिनों पंचायत समिति बस्सी और तूंगा में जिन गांवों में लंपी वायरस का संक्रमण ज्यादा है, वहां कैंप लगाया जा रहे है. संक्रमित पशुओं की मौत हो जाने पर ग्राम पंचायत द्वारा मिट्टी में गड्ढा खोदकर दफनाया जा रहा है.


बस्सी उपखंड क्षेत्र में लंपी स्किन वायरस का प्रकोप भयंकर तरीके से फैल रहा है. बस्सी नोडल क्षेत्र में लंपी वायरस का पहला मामला कानेटा गांव में आया था और उसके अभी तक 834 पशु लंपी वायरस की चपेट में आ चुके है. वहीं 86 पशुओं की लंपी वायरस की चपेट में आने से मौत हो चुकी है. वहीं उपचार के बाद 370 पशुओं को उपचार के बाद लंपी से मुक्त हो चुके है. इसके साथ ही 132 पशुओं का लंपी से बचाव के लिए टीकाकरण भी किया जा चुका है. 


बस्सी में सबसे ज्यादा संक्रमित गांव फालियावास, भोन्यावाला, बांसखोह है. बस्सी नोडल प्रभारी डॉ ओमप्रकाश बैरवा का कहना है कि इन गांवों में पशु चिकित्सक स्टाफ की कमी चलते समय पर उपचार नहीं मिलने से सबसे ज्यादा संक्रमण फैला है. वहीं डॉक्टर ओमप्रकाश बैरवा का कहना है कि कही से भी लंपी वायरस के बारे में सूचना मिलती हैं तो स्टाफ भेजकर तुरंत उपचार करवाया जाता है. 


वहीं आवारा पशुओं में लंपी वायरस के संक्रमण के उपचार से बस्सी उपखंड क्षेत्र में पशु प्रेमियों के सहयोग से चार जगहों पर आइसोलेशन सेंटर खोले गए है. वहीं डॉक्टर ओमप्रकाश बैरवा ने बताया कि अगर लंपी वायरस से संक्रमित पशु की मौत हो जाती हैं तो जिला कलेक्टर के आदेशानुसार पंचायत स्तर पर वैज्ञानिक पद्धति से दफनाया जाता है. 


अगर किसी भी पशु पालक का पशु लंपी वायरस की चपेट में आ जाए तो सबसे पहले लंपी वायरस से संक्रमित हुए पशु को अन्य पशुओं से अलग या दूसरी जगह पर उसे बांध देते है और निकटम पशु चिकित्सालय में सम्पर्क करके उसे उपचार शुरू करवा देना चाहिए और प्रारंभिक तौर पर फिटकरी के पानी से, नीम के पत्तों से उसे नहलाया जाना चाहिए और उसके कुछ देर बाद साफ पानी से संक्रमित पशु को नहलाना चाहिए और संक्रमित पशुओं के बाड़े में सोडियम क्लोराइड का छिड़काव करवा देना चाहिए और पशु चिकित्स की सलाह के अनुसार उपचार करवाना चाहिए.


समाज सेवी सन्नी सैनी ने बताया कि जब से गायों में लंपी वायरस नाम की बीमारी आई है, तबसे हिंदू गो सेवा समिति बस्सी द्वारा बेसहारा गोवंशों को अलग-अलग जगहों से रेस्क्यू करके आइसोलेशन सेंटर बस्सी लाया जाता है. नगर पालिका प्रशासन और पशु प्रेमियों द्वारा सहयोग करके लंपी वायरस से पशुओं का उपचार किया जा रहा है. दिन भर में दो से तीन बार द्ववाओं द्वारा लंपी से पीड़ित पशुओं को सेनेट्राइज किया जाता है और देशी उपचार भी किया जा रहा है और साथ ही जड़ी बूटियों से भी उपचार किया जा रहा है.


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प्रदेश के साथ-साथ बस्सी उपखंड क्षेत्र में लंपी वायरस का प्रकोप गायों में जबरदस्त तरीके से फैल रहा है, यह वायरस एक मिनिट में तीन किलोमीटर की दूरी से फैल रहा है. पिछले सप्ताह भर में लंपी वायरस से संक्रमित पशु की मृत्यु दर में तेजी से रफ्तार बड़ी है. चिकित्सकों की मानें तो पशुओं में लंपी वायरस के संक्रमण दिखने पर उस पशु को तत्काल अन्य पशुओं से अलग कर दे और चिकित्सक की सलाह से उपचार शुरू कर देना चाहिए.


Reporter: Amit Yadav


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