Jaipur News: फिर विवादों में आया जयपुर में JDA की जमीन का मामला, 600 करोड़ पर लटकी तलवार
जेएलएन मार्ग की 600 करोड़ रुपये मूल्य की दस हजार मीटर जमीन के मामले में दिए गए संभागीय आयुक्त के फैसले को लेकर कंट्रोवर्सी सामने आई है. संभागीय आयुक्त पर तथ्यों को दरकिनार कर फैसला देने का आरोप लग रहा है.
Jaipur News: जेएलएन मार्ग की 600 करोड़ रुपये मूल्य की दस हजार मीटर जमीन के मामले में दिए गए संभागीय आयुक्त के फैसले को लेकर कंट्रोवर्सी सामने आई है. संभागीय आयुक्त पर तथ्यों को दरकिनार कर फैसला देने का आरोप लग रहा है. तत्कालीन संभागीय आयुक्त की ओर से गठित कमेटी की रिपोर्ट को दरकिनार कर बिना सबूत के फैसला देने का आदेश सामने आते ही यह मामला सुर्खियों में आ गया है.
अधीनस्थ न्यायालय ने 5 जुलाई 2022 को अपने फैसले में असिस्टेन्ट सेटलमेंट ऑफिसर के 2 नवंबर 1985 के आदेश को गलत, बिना सबूतों व बिना अधिकारिकता का बताते हुए निरस्त किया था. इसके बावजूद जेडीए अपनी बेशकीमती 600 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन की 90 बी निरस्त कर कब्जा नहीं लिया.
उल्लेखनीय यह है कि चेनपुरा के खसरा नम्बर पुराना 49 व 51 का वर्तमान खसरा नम्बर 126 व 127 के स्वामित्व निर्धारण से जुड़ा प्रकरण है. जेडीए उक्त खसरों को अवाप्त कर खातेदारों को मुआवजा दे चुका है. अधीनस्थ न्यायलय ने अपने फैसले का आधार संभागीय आयुक्त के निर्देश पर हुई जांच कमेटी की रिपोर्ट का माना और आदेश पारित कर दिया. बिजी होटल प्रा. लि. ने उक्त फैसले के खिलाफ संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील कर दी.
संभागीय आयुक्त आरुषि मलिक के द्वारा आनन-फानन में सुनवाई कर एकतरफा फैसला देने की शंका होने पर रेस्पोंडेंट गोविंदराम ने 22 जुलाई 2024 को राजस्व मंडल में यह कहते हुए अपील की कि वर्तमान संभागीय आयुक्त आरुषि ए मलिक से न्याय की उम्मीद नही है. रेस्पोंडेंट ने संभागीय आयुक्त के समक्ष यह आपत्ति भी दर्ज कराई की अधीनस्थ न्यायालय के आदेश की गहन समीक्षा कर फैसला करे, लेकिन संभागीय आयुक्त ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को यह कहकर निरस्त कर दिया और यह निर्देशित किया कि रिकॉर्ड मंगवाकर अधीनस्थ न्यायालय जेडीए समेत सभी पक्षो को सुनकर विधि सम्मत निर्णय पारित करें.
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रेस्पोंडेंट गोविंदराम ने संभागीय आयुक्त के इस फैसले को बिना तथ्यों व सबूतों के बताकर राजस्व मंडल में अपील कर दी, लेकिन जेडीए ने अभी तक उक्त फैसले के खिलाफ अपील तो दूर नकल तक नही ली.
आखिर जेडीए अपनी जमीन का कब्जा क्यो नही ले रहा, जेडीए प्रशासन पर उठे सवाल
वर्तमान में जवाहर सर्किल स्थित दस हजार मीटर जमीन पर किसी न्यायालय का स्थगन नही है. अधीनस्थ न्यायालय ने उक्त जमीन पर जेडीए का स्वामित्व बताते हुए फैसला दे दिया. जेडीए की उक्त जमीन को अवाप्तशुदा व भुगतान बताते हुए फैसला दे दिया, फिर भी जेडीए के अफसर कब्जा लेने के बजाय बिजी होटल
बिजी होटल प्रा. लि. पर मेहरबान है.
जेडीए के अफसर राजस्व लीकेज के सुराखों को बंद करने के बजाय बढ़ाने में क्यो लगे है?
जेएलएन मार्ग की बेशकीमती 600 करोड़ रुपए मूल्य की जमीन को जेडीए हासिल करने में टालमटोल कर रहा है. क्या जेडीए प्रशासन अपने राजस्व लीकेज के सुराखों को बंद करने के बजाय बढ़ाने में जुटा है ? जमीन का कब्जा लेने में जेडीए के कई अफसरों की मिलीभगत से इनकार नही किया जा सकता, लेकिन यह तथ्य इस जमीन को लेकर चल रही न्यायिक लड़ाई में जेडीए की उदासीनता ही नही बल्कि लापरवाही सामने आई है.
पूर्व में जेडीए तत्कालीन सरकार के समय गठित हुई एम्पावर्ड कमेटी के फैसले को आधार मसनकर उक्त जमीन का पट्टा जारी करने पर आमादा था, लेकिन तत्कालीन जेडीए आयुक्त ने उक्त प्रकरण में बिजी होटल फर्म को पट्टा जारी नही कर जांच के लिए सेटलमेंट विभाग को भेज दिया. बाद में सम्भागीय आयुक्त के निर्देश पर गठित हुई. सेटलमेंट विभाग की कमेटी ने उक्त प्रकरण की जांच कर जेडीए के हक में सबूत जुटाकर फैसला दिया.
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रजिस्टर्ड दस्तावेज नहीं, फिर भी स्वामित्व की लड़ाई लड़ रही बिजी होटल
बिजी होटल प्रा. लि. के नाम रजिस्टर्ड दस्तावेज नहीं, फिर मालिक कैसे बनी कंपनी? रिकॉर्ड के अनुसाए चेनपुरा के खसरा नम्बर 126 व 127 रूपनारायण व रुक्मणि देवी खातेदार है. जेडीए ने उक्त जमीन को अवाप्त कर मुआवजा भी दे दिया, लेकिन बिजी होटल प्रा. लि. के नाम यह जमीन कैसे व कब क्रय हुई. इसके दस्तावेज आज तक सामने नही आये. तत्कालीन सरकार के फैसले पर जेडीए अफसरों की मेहरबानी देखिए वर्ष 2021 में उक्त फर्म को पट्टा देने की तैयारी कर की थी, लेकिन जेडीए प्रशासन अभी भी 600 करोड़ की जमीन लेने में उदासीनता बरत रहा है.
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