Jaipur news: जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित 26वें लोकरंग महोत्सव का रंग जयपुरवासियों पर और भी गहरा चढ़ता जा रहा है. महोत्सव के सातवें दिन शनिवार को लोक संस्कृति की सुगंध से कालाकारों ने सराबोर कर दिया. छह राज्यों के कलाकारों ने 13 विधाओं की प्रस्तुति दी. उत्तर से पूर्वोत्तर, पश्चिम से दक्षिणी राज्यों से आई नयी लोक विधाओं की प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया.


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गुलाबी ठंड के बीच नृत्य 
 शाम ढलते-ढलते जवाहर कला केन्द्र में सर्द हवाओं ने ढेरा जमा लिया. कलाकारों के उत्साह की तपिश के आगे गुलाबी ठंड नहीं ठहर पायी. राष्ट्रीय लोक नृत्य समारोह की पहली प्रस्तुति में डॉ. हनुमान सहाय की मांड गायन की प्रस्तुति ने राजस्थान की माटी की महक फैलाई. तेलंगाना के कलाकारों ने ओगू डोलू नृत्य की प्रस्तुति से महफिल में जोश का संचार किया. इसमें कलाकार स्वयं को भगवान शिव की बारात का हिस्सा मानकर नृत्य करते हैं. गोवा के देखणी में मिठास भरे लोक गीतों पर कलाकारों ने प्रस्तुति दी.


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अलग-अलग राज्यों की नृत्य प्रस्तुति
 नृत्य में महिलाएं अनोखे अंदाज में नाविक से नदी पार करवाने की विनती करती हैं. त्रिपुरा के होजागिरी में सौम्य लय पर महिलाओं ने संतुलन का बेहतर प्रदर्शन किया. रियांग जनजाति की ओर से लक्ष्मी पूजा के अवसर पर महिलाएं सिर पर बोतल रखकर यह नृत्य करती हैं. असम के बीहु ने ट्री ट्राइब की संस्कृति से रूबरू करवाया. पेपा, गोगोना जैसे दुर्लभ वाद्य यंत्रों की धुन पर हुए रोंगाली बीहु की इस प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया.


राजस्थान के कलाकारों ने तेरहताल की प्रस्तुति में बाबा रामदेव पीर की आराधना से सभी को भाव विभोर कर दिया. जम्मू-कश्मीर के रउफ नृत्य में पहाड़ी सौंदर्य की झलक मंच पर देखने को मिली. पारंपरिक परिधान ''फेरन'' पहन युवतियों ने फसल कटाई पर हर्ष की अनुभूति दिलाने वाला नृत्य किया. असम का बगरुम्बा बोडो जनजाति का नृत्य है जिसे बैसाख माह में अच्छी फसल होने पर खुशी जाहिर करने को किया जाता है. चकरी नृत्य के बाद हुई पंजाब के भांगड़ा की प्रस्तुति ने सभी को जोश से भर दिया.


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