Jaipur: कांग्रेस सरकार (Congress government) में बीजेपी बोर्ड वाले ग्रेटर निगम का सिस्टम कचरा हो गया है. जिस मेयर और कमिश्नर पर कंपनी से सफाई कराने की जिम्मेदारी है, वो उसे लेकर आमने-सामने हैं. शुक्रवार को तो मेयर ने कमिश्नर पर बीवीजी कंपनी के साथ मिलकर जेबें भरने के आरोप जड़ दिए. इससे पहले सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर हुई मीटिंग से कमिश्नर उठकर चल दिए जबकि खुद ने ही मीटिंग बुलाई थी. 


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इधर, मेयर ने कमिश्नर की भूमिका और कंपनी से सांठगांठ के आरोप जड़े. उधर, कमिश्नर इन बातों से बेपरवाह दिखे और तीन पार्षदों के खिलाफ हाथापाई का मामला थाने में दर्ज करवा दिया. अब मामला थाने और सरकार के पास पहुंच चुका है. 


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सफाई कंपनी को भुगतान को लेकर नगर निगम ग्रेटर का सिस्टम 'कचरा' हो गया. आयुक्त और मेयर आमने-सामने हैं. दो दिन से घर-घर से कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियों के पहिये थमे हुए हैं. उधर आयुक्त से कथित हाथापाई के बाद शहर के 10 हजार सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी है, जिससे शहर कचरा-कचरा हो गया है. 


सरकार तक पहुंचा विवाद
अब जयपुर नगर निगम ग्रेटर में मेयर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) और कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह (Yagyamitra Singh) के बीच उपजा विवाद अब सरकार तक पहुंच गया है. नगरीय विकास मंत्री (यूडीएच) शांति धारीवाल ने (Shanti Dhariwal) इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, इस विवाद में आयुक्त के समर्थन में सभी सफाई कर्मचारी, नगर निगम के अन्य कर्मचारी-अधिकारी उतर गए है. 


मेयर सौम्या गुर्जर ने बोला हमला
इधर मेयर सौम्या गुर्जर ने इस मामले को प्रदेश के सभी पार्षदों के लिए शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अधिकारी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवा रहे हैं. यह लोकतंत्र को हत्या करने वाला कदम है. अगर आज जनप्रतिनिधि लोगों की आवाज नहीं उठाएंगे, तो आगे वे मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. महापौर ने आरोप लगाया कि सस्ती लोकप्रियता के लिए आुयक्त द्वारा इस तरह का स्टैंड लिया जा रहा है. वह दबाव की राजनीति कर रहे हैं. महापौर ने आयुक्त पर बीवीजी कंपनी से सांठगांठ और कंपनी को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लगाए और कहा कि यदि निगम सफाई नहीं करेगा तो हमारे पार्षद सड़कों पर उतरेंगे और सफाई करेंगे.


कैसे शुरू हुआ विवाद
ये पूरा विवाद शुक्रवार को उस समय शुरू हुआ, जब मेयर के चैम्बर में चल रही एक बैठक में आयुक्त और मेयर की हॉट-टॉक हो गई. आयुक्त मेयर से BVG कंपनी के भुगतान की फाइल पर हस्ताक्षर करवाना चाहते थे. इधर मेयर BVG कंपनी को हटाकर किसी दूसरे वैकल्पिक व्यवस्था करवाना चाह रही थी. बस इसी बात पर दोनेां में ठन गई और विवाद शुरू हो गया. आयुक्त जैसे ही मीटिंग से उठकर जाने लगे तो वहां मौजूद कुछ पार्षदों ने उन्हें रोक लिया. आयुक्त ने उन पार्षदों पर बदतमीजी और मारपीट करने का आरोप लगाते हुए तीन पार्षदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया. 


DLB डायरेक्टर के पास पहुंचे आयुक्त 
वहीं, पूरे विवाद के बाद वे खुद DLB डायरेक्टर के पास पहुंचे और सारा लिखित में मामला उनके सामने रखा. इसके बाद DLB डायरेक्टर ने मामले की पूरी जानकारी यूडीएच मंत्री को दी. मंत्री ने इस मामले की जांच करवाने के आदेश दे दिए. ये जांच स्वायत्त शासन निदेशालय के क्षेत्रीय निदेशक को सौंपी है. 


आयुक्त यज्ञमित्र सिंह के समर्थन में उतरे सफाई कर्मचारी
इधर आयुक्त यज्ञमित्र सिंह के समर्थन में उतरे सफाई कर्मचारियों ने आज शहर में काम नहीं किया. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम 3 दिन से बंद पड़ा है. इस कारण पूरे शहर में सफाई व्यवस्था ठप पड़ गई. शहर से कचरा नहीं उठने से जगह-जगह डिपो पर कचरे से भर गए. लोग भी पिछले 3 दिन से हूपर (कचरा लेने के लिए आने वाला वाहन) नहीं आने से परेशान है. ऐसी स्थिति को देखते हुए आयुक्त खुद धरना स्थल पर पहुंचे और सफाई कर्मचारी यूनियन से हड़ताल वापस लेने और काम पर लौटने की अपील की. उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद का खमियाजा जनता न भुगतना पड़े ऐसा काम नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है और कानून अपनी नियम-कायदे से काम करेगा.


मेयर और पार्षदों ने बैठक में उनके साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया, जिस पर वह महापौर के कमरे से बाहर आने लगे तो तीन पार्षदों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की. होमगार्डों ने उन्हें कमरे से बाहर नहीं निकलने दिया. तीन पार्षदों के खिलाफ एफआईआर दर्ज भी करवाई है. 


सरकार कांग्रेस और बोर्ड भाजपा होने के चलते ठनी
बहरहाल, कहा जा रहा है कि सरकार कांग्रेस और बोर्ड भाजपा का होने के कारण अब ग्रेटर में राजनीति शुरू हो गई है. इसका खामियाजा लंबे समय तक ग्रेटर की जनता को भुगतना पड़ेगा. इस हंगामे के मामले में आयुक्त द्वारा पार्षदों के निलंबन की मांग करते ही राजनीतिक कैरियर पर बड़ा दाग साबित होगा और भविष्य में उनके कैरियर पर असर डालेगा.