Rajasthan News: राजस्थान में पानी को अमृत के समान माना जाता है, क्योंकि यहां पानी की एक-एक बूंद कीमती है. इस कीमती पानी को घर-घर तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने योजना बनाई थी, लेकिन इंजीनियर्स की लापरवाही के कारण मरुधरा में अमृत इतना आसान नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमृत 2.0 योजना राजस्थान में फाइलों में सिमट कर रह गई है. करीब ढाई साल बाद अमृत का काम फील्ड में शुरू होना तो दूर की बात है, अब तक डीपीआर तक नहीं बन पाई. इस संबंध में जिम्मेदार चीफ इंजीनियर राकेश लुहाडिया ने पर चुप्पी साध ली है. चीफ इंजीनियर राकेश लुहाडिया की लापरवाही पर कारण बताओं नोटिस भी थमाया जा चुका है. नोटिस में कहा गया था कि विभाग की छवि पर वितरित प्रभाव पडा, इसके लिए मुख्य सचिव सुधांश पंत भी गंभीर है.


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ये काम होना है अमृत में
2025 तक अमृत के शहरी इलाकों में 8.35 लाख नए पेयजल कनेक्शन होने है, जिससे करीब 42 लाख की आबादी लाभान्वित होगी. इस योजना का लाभ 183 कस्बों तक पहुंचना है. इस योजना के जरिए शहरी क्षेत्रों में हर घर तक 100 प्रतिशत पानी की सप्लाई होनी है. इस योजना पर 5123 करोड़ रुपए खर्च होने है, लेकिन ऐसी रफ्तार तो ऐसा ही लगता है कि 2025 से तो फील्ड में काम शुरू ही हो पाएगा. राज्य सरकार ने 1 फरवरी को जलापूर्ति के संबंध में तकनीकी स्वीकृति के प्रस्ताव, सर्वेक्षण करने, जांच, बोलियों के निमंत्रण करवाना था, लेकिन अब तक कोई काम नहीं हो पाया.


चीफ बदले, पर तस्वीर जस की तस 
अमृत की कमान संभालने वाले शहरी चीफ इंजीनियर बदल गए, लेकिन अमृत योजना की तस्वीर जस की तस बनी हुई है. पिछली सरकार में अमृत का जिम्मा चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता के कंधों पर था. इसके बाद सरकार बदली तो चीफ इंजीनियर राकेश लुहाडिया को जिम्मेदारी दी. लेकिन अभी तक अमृत की स्थिति जस की तस बनी हुई है. पिछली सरकार में फेलियर के कारण पीएचईडी ने यूडीएच से अमृत का काम ले लिया था, लेकिन सरकार बदली तो फिर से ये प्रोजेक्ट जलदाय विभाग के पास आया, लेकिन अमृत की तस्वीर है कि बदलती ही नहीं.


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