Jaipur: राजस्थान में एक बार फिर से ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट की चर्चाएं तेज है. ईआरसीपी पर केंद्र और राज्य सरकार भी आमने-सामने हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ईआरसीपी को नदियों की लिंक परियोजना में जोड़ने की बात कही थी. जिसके बाद से राजस्थान में ईआरसीपी का मुद्दा गर्म हो गया है.लेकिन सियासत से अलग ईआरसीपी और लिंक परियोजना का विश्लेषण में जानते हैं कि कौनसी योजना मरूधरा के लिए कारगर साबित हो सकती है.


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कैसे बुझेगी 13 जिलों की प्यास


पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों प्यास बुझाने वाले ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नदियों की लिंक परियोजना में शमिल करने की बात कही.जिसके बाद से ये चर्चाएं जोरों पर हैं कि आखिर लिंक परियोजना से जोड़ने पर राजस्थान को फायदा होता है या नुकसान.सबसे पहले हम बात करते हैं ईस्टन राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट की.


क्या है ERCP प्रोजेक्ट


राजस्थान में यदि ERCP प्रोजेक्ट पूरा हो जाए तो 13 जिलों में पानी की समस्या 2051 तक खत्म हो जाएगी. क्योकि इससे 1723 मिलियन घन मीटर पेयजल आ पाएगा. इस प्रोजेक्ट के जरिए 6 बैराज और 1 बांध बनाया जाएगा. प्रोजेक्ट में करीब 37 हजार 247 करोड़ खर्च किए जाएंगे. जिसमें से अब तक 1130 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. राजस्थान में यदि 4 हजार करोड़ सालाना खर्च हो तब जाकर ईस्टन राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट 10 साल में पूरा होगा.हालांकि राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के 9600 करोड़ का बजट का प्रावधान किया गया है. केंद्र 60% और राज्य 40% शेयर के आधार पर फंडिंग करेंगे. 


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नए प्रस्ताव के अनुसार नदियों को जोड़ने की लिंक परियोजना में 20 से 22 हजार करोड़ रुपए का खर्च आना है. यानी ईआरसीपी के मुकाबले करीब आधा. इसमें इन जिलों में नदियों के लिंक में 5 से 6 साल लगेंगे. परियोजना से राज्य को पहले चरण में 2.3 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिल सकेगा. इसमें केंद्र 90 फीसदी और राज्य 10% फंडिंग करेगा.स्थानीय नदियों को जोड़ने के काम के लिए मध्य प्रदेश से एनओसी की आवश्यकता सरकार को नहीं होगी.


प्रस्ताव आने के बाद विभाग बांधों की फिजिबिलिटी समेत पानी की उपलब्धता और आवश्यकता के आधार पर नए प्रस्ताव पर एस्टीमेट तैयार करेगा. तब तय होगा कि लिंक परियोजना को आगे कैसे बढ़ाया जाए. हालांकि सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री के नए प्रस्ताव को महज बयान बताया है.