सूरज मैदान पर भव्य भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का पांचवा दिन,गोकुल रूपी हृदय में प्रभु श्रीकृष्ण प्रकट होते है-जया किशोरी
गोपी ग्वालवालों ने भी ब्रज में जन्म लिया. श्रीराधारानी अवतरित हुई. ऐसे पवित्र ब्रज में श्रीकृष्ण प्रकट होकर भक्तों को लीला का दर्शन कराया.
Jaipur: छोटीकाशी आदर्श नगर के सूरज मैदान पर चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में पांचवे दिन कथावाचक जया किशोरी ने कहा कि जहां पर इन्द्रियों का हो और उन सभी इन्द्रियों पर मन का निग्रह हो उसे गोकुल कहते है. गौ का मतलब है कि इन्द्रियां और कुल का अर्थ जहां पर विषुद्ध इन्द्रियों का समूह हो उस विषुद्ध हृदय में ही प्रभु प्रकट होते है और जहां प्रभु प्रकट होते है और लीलाएं करते है उसे ही ब्रज कहते हैं. वह पवित्र स्थान या क्षेत्र 84 कोस का होता है.
नंद,यशोदा,गोपी,ग्वाल,यमुना,गोर्वधन,आदि निवास करते हैं और जहां सब निवास करते है. उस स्थान को ही ब्रज कहते है. कहने का अर्थ है कि ब्रज 84 कोसाल के क्षेत्र में फैला हुआ है और अध्यात्म पक्ष में उसे मानव शरीर का ब्रज कहा गया है. मानव शरीर भी ब्रज की तरह 84 अंगुल का होता है. जो दूसरे का आनंद दे,वह नंद और जो दूसरे को यष दे,वह यशोदा. भक्ति ही यमुना है. भगवान श्रीकृष्ण की बाललीलाओं को सुनाते हुए जया किशोरी ने कहा कि परमात्मा श्रीकृष्ण का हृदय प्राकट्य यशोदा जी के यहां हुआ.
प्रभु के आदेश से ही गोलोक धाम में यमुना जी ब्रज में आई श्रीगिरिराज भी विराजमान किए गए. गोपी ग्वालवालों ने भी ब्रज में जन्म लिया. श्रीराधारानी अवतरित हुई. ऐसे पवित्र ब्रज में श्रीकृष्ण प्रकट होकर भक्तों को लीला का दर्शन कराया. जो प्रभु की भक्ति को अपने हृदय रूपी कमल में छिपाकर रखे,गोपी व ग्वाल वाल है. जहां पर गौमाता की आराधना हो,सेवा हो उस स्थान को आध्यात्मिक भाषा में गोवर्धन कहते हैं.
अतः इस तरह के समूह को गोकुल कहते है. इसी गोकुल रूपी हृदय में प्रकट होकर अपनी लीलाओं के भक्त समूह को कराते है. इस दौरान जया किशोरी ने कथा प्रसंग के तहत श्री गोवर्धन महाराज थाके सिर पर...जैसे भजनों के माध्यम से खूब भक्ति रस बरसाया. इस दौरान भगवान श्रीकृृष्ण की बाललीला,गोवर्धन पूजा और 56 भोग, गोवर्धन पर्वत की झांकी सजाई गई.
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