जयपुर: इटर्नल वॉयस ऑफ डॉक्टर्स का ग्रैंड फिनाले का आयोजन, कुमार सानू और अलका याग्निक ने किया जज
जयपुर न्यूज: इटर्नल वॉयस ऑफ डॉक्टर्स का ग्रैंड फिनाले को कुमार सानू और अलका याग्निक ने जज किया. पेशेंट्स का इलाज करने के साथ ही सुर ताल के भी डॉक्टर्स एक्सपर्ट दिखे.
जयपुर: जेईसीसी में इटर्नल वॉयस ऑफ डॉक्टर्स का ग्रैंड फिनाले का आयोजन हुआ.जयपुर में जुटे देशभर के डॉक्टर्स के बीच गाने का मुकाबला हुआ. कुमार शानू और अलका याग्निक के सामने डॉक्टर्स ने अपनी सिंगिंग का टैलेंट दिखाया. कुमार सानू, अलका याग्निक और साजिद ने डॉक्टर्स के सुर ताल को बारीकी से परखा.
डॉक्टर्स ने बिखेरे सुर
अस्पतालों के गलियारों से डॉक्टर्स गुजरते हैं तो कुछ पल के लिए खामोशी सी छा जाती है. डॉक्टर्स भी उन गलियारों में धीर-गम्भीर मुद्राओं में ही नजर आते हैं,लेकिन रविवार शाम जेईसीसी में सजी इटर्नल वॉयस ऑफ डॉक्टर्स की महफिल में उनका जो अंदाज नजर आया वो आम दिनों से बिलकुल अलग था. देश दुनिया से चुने गए 15 डॉक्टर्स जो पेशेंट्स का इलाज करने के साथ ही सुर ताल के भी एक्सपर्ट है उन्होने सदाबहार फिल्मी गीत सुनाए.
सुरीलेपन और सधे हुए आरोह-अवरोह में उनकी तैयारी झलक रही थी और इन डॉक्टर्स की ऐसी तैयारी, ये अंदाज, यूं गाना भी दरअसल हेल्दी लाइफ का प्रिस्क्रिप्शन ही था. जिसमें वो बता गए कि करियर, जरूरतें, सपनों को पूरा करने की दौड़भाग के बीच जिंदगी को जीना न भूलें. खुश होने के लिए किसी बड़ी खुशी का इंतजार न करें और अपने शौक को हर हाल में जिंदा रखें.
इटर्नल वॉइस ऑफ डॉक्टर्स में देश-दुनिया से अलग-अलग राउंड ऑडिशन होने के बाद चुने गए डॉक्टर्स ने अपनी सिंगिंग परफॉर्मेंस दी और उन्हें जज किया बॉलीवुड सिंगर पद्मश्री कुमार सानू, अल्का याग्निक, जतिन पंडित, पद्मश्री अहमद और मोहम्मद हुसैन ने.
गाए ये सदाबहार गीत
डॉक्टर्स ने मेरे ढोलना,पर्दा है पर्दा, दिल क्या चीज है आप मेरी जान लीजिए,पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई,धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना गीत को गुनगुनाया. इस अवसर पर बॉलीवुड सिंगर कुमार सानू ने कहा कि मरीजों के ट्रीटमेंट में एक्सपर्ट डॉक्टर्स सुर ताल में कितना एक्सपर्ट हैं यह काफी रोचक हैं.
इटर्नल वॉयस ऑफ डॉक्टर्स को जज करना अपने आप के एक नया अनुभव रहा. उन्होंने कहा कि टैलेंट हंट से ज्यादा कुछ आया नहीं क्योंकि उसमें पार्टिसिपेंट खुद कुछ क्रिएट नहीं करते हैं. हम जैसे प्रोफेशनल सिंगर्स होते हैं जो अपना कुछ क्रिएट करते हैं, वो हमारा गाना सुनकर उसकी नकल करके उतारते हैं.
उनकी आवाज अच्छी होती है, वो सिंगर को कॉपी कर लेते हैं तो यह एक गेम की तरह है.पिछले 30 - 40 साल में गिने चुने सिंगर्स आए लेकिन आए हजारों.ज्यादा जरूरी है कि खुद क्रिएशन क्या करते हैं. जैसे श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान, सोनू निगम आए, उन्होंने अच्छा काम किया.कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ रहे.
इटर्नल हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा, प्रोग्राम के ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़ ने बताया कि चिकित्सीय पेशा काफी तनाव भरा है.कई बार इमरजेंसी केस में डॉक्टर रात की नींद नहीं ले पाते. उनकी ड्यूटी 14-14 घंटे की भी हो जाती है.ऐसी स्थिति में वे स्ट्रेस से घिरे रहते हैं.कोविड के समय भी देखने को मिला किस तरह डॉक्टर्स ने अस्पतालों में भी मरीजों के इलाज करने में दिन-रात ड्यूटी दी.
कई चिकित्सक इस तनाव को कम करने के लिए बचपन के शौक को आगे लेकर आते हैं. आप किसी भी प्रोफेशन में हों लेकिन अपने शौक हमेशा जिंदा रखें. यह आपके लिए स्ट्रेस बस्टर का काम करते हैं. सिंगिंग, पेंटिंग, स्पोर्ट्स जैसी तमाम एक्टिविटी हैं जो न सिर्फ आपको शारीरिक रूप से स्वस्थ रखती हैं बल्कि वे आपको मानसिक रूप से भी बहुत बेहतर बनाती हैं.
मक्कड़ ने बताया कि प्री फिनाले में 15 डॉक्टर्स जीत कर ग्रैंड फिनाले के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं. फाइनल में दो राउंड हुए जिसमें कुमार शानू, अलका यागनिक, जतिन पंडित, मोहम्मद हुसैन और अहमद हुसैन इन सिंगर्स को जज किया. इसके बाद इन सब का सेलिब्रिटी शो हुआ. इसमें विनर्स के लिए हर केटेगरी में कैश प्राइज दो लाख, एक लाख और 50 हजार रुपए रखे गये हैं.
इस दौरान बॉलीवुड की प्लेबैक सिंगर अलका याग्निक ने कहा कि डॉक्टर्स अच्छा गा रहे हैं. तो यही सुनने आए हैं कि किस हद तक अच्छा गा रहे हैं.डॉक्टर्स लोगों की जान बचाते हैं, वे ये भी जानते हैं कि म्यूजिक भी एक तरह का इलाज है. डॉक्टर्स भी सुकून तलाशने के लिए म्यूजिक पर ही निर्भर हैं. म्यूजिक डायरेक्टर साजिद वाजिद ने कहा कि वाजिद को इर्द गिर्द ही महसूस करता हूं. पहले राइटिंग मेरा पार्ट नहीं होता था.चटपटे, आइटम सॉन्ग ही बनाता था लेकिन अब राइटिंग पर भी काफी ध्यान देने लगा हूं.मेलोडी पर काफी ध्यान देता हूं, अपने आप वाजिद की चीज मुझ में आ रही है. मैंने अपना सरनेम बदल कर वाजिद कर लिया.
बहरहाल, मौजूदा समय में तनाव का स्तर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती.अगर संगीत उनकी जिंदगी का हिस्सा न होता तो जिंदगी अधूरी हो जाती. संगीत है तो अकेलापन नहीं है. इसमें संवदेनाएं हैं. शांति की तलाश संगीत से पूरी होती है. मन को संतुष्टि मिलती है. खुशी को सबसे सरल साधन है. डॉक्टरी पेशे के साथ संगीत का तालमेल ही है जो बेहतर जिंदगी जीने का आधार बन गया है. हर व्यक्ति को संगीत से लगाव होना चाहिए.गुनगुनाने से बड़ा सा बड़ा गम भूलाया जा सकता है.
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