CM Ashok Gehlot bringing a bill to farmers: राजस्थान सरकार लाखों किसानों को बड़ी राहत देने जा रही है. एक ऐसा बिल लेकर आ रही है जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा. इस बिल का नाम है कर्ज राहत आयोग बिल. इस बिल को गहलोत सरकार दो अगस्त को विधानसभा में पेश कर पारित करवाने की पूरी तैयारी कर ली है.
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CM Ashok Gehlot bringing a bill to farmers: राजस्थान में इसी साल चुनाव होने को है. ऐसे में राजस्थान सरकार लाखों किसानों को बड़ी राहत देने जा रही है. एक ऐसा बिल लेकर आ रही है जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगा. जी हां इस बिल का नाम है कर्ज राहत आयोग बिल (Farmers Debt Relief Commission). इस बिल को गहलोत सरकार दो अगस्त को विधानसभा में पेश कर पारित करवाने की पूरी तैयारी कर ली है. इस बिल पारित होते ही किसान कर्ज राहत आयोग बनाने का रास्ता पूरी तरह से क्लियर हो जाएगा.
राजस्थान के लाखों किसानों को फसल खराब होने की हालत में कर्ज वसूली को लेकर हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं रिकवरी एजेंट्स उनके साथ बदसलूकी न करें, लेकिन अब दबाव नहीं बना सकेंगे. आयोग बनने के बाद बैंक या कोई भी फाइनेंशियल संस्था किसी भी कारण से अब किसानों को परेशान नहीं कर सकेंगे. यहां के किसान फसल खराब होने पर कर्ज माफी की मांग करते हुए इस आयोग का दरवाजा खटखटा सकते हैं. यहां अब किसान सीधे तौर पर आवेदन कर इसका फायदा उठा सकते हैं.
यानि ये आयोग किसानों के लिए मसीहा का काम करेंगे. सरकार की इस योजना में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शामिल होंगे. इस आयोग में अध्यक्ष राज्य अध्यक्ष सहित 5 मेंबर होंगे, जो किसानों के मामले को देखेंगे. आयोग में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अधिकारी के अलावा एग्रीकल्चर एक्सपर्ट को मेंबर बनाया जाएगा.
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किसान कर्ज राहत आयोग का कार्यकाल का समय सीमा 3 साल का होगा. जबकि आयोग के अध्यक्ष और इसमें शामिल मेंबर का कार्यकाल भी 3 साल का ही होगा. हां सरकार चाहे तो अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा सकती है और किसी भी मेंबर को हटा सकेगी.
कर्ज नहीं चुका पाने की हालत में किसान यदि आवेदन करता है या आयोग जांच पड़ताल कर समझता है कि किसान की हालत वाकई खराब है तो वह उसे संकटग्रस्त किसान घोषित कर सकता है. अब जानिए संकटग्रस्त किसान का मतलब क्या है. यदि किसान की फसल खराबे की वजह से कर्ज चुका पाने में सक्षम नहीं है तो संकटग्रस्त किसान कहलाएगा. इस कैटेगिरी में आने के हालत में किसान को बैंक या रिकवरी एजेंट्स उस किसान से जबरदस्ती कर्ज वसूली या परेशान नहीं कर सकता है.
यह आयोग किसानों के अलावा बैंकों प्रतिनिधियों की भी बात सुनेगा. इस बिल की खासियत होगी कि लोन को री-शेड्यूल करने और ब्याज कम करने जैसे अहम फैसले भी आयोग सुना सकेगा.