Jaipur News: जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से एक अच्छी खबर आई है, जहां शेरनी तारा ने एक शावक को जन्म दिया है. हालांकि, शावक की हालत बेहद गंभीर होने के कारण उसे फिलहाल नियोनेटल केयर में रखा गया है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि शावक का जन्म देर रात 1:15 बजे हुआ, लेकिन अभी इसकी हालत ठीक नहीं है. इसलिए, वन विभाग के डॉक्टरों की निगरानी में इसका इलाज किया जा रहा है, ताकि शावक की सेहत में जल्द से जल्द सुधार हो. यह खबर पार्क प्रशासन और वन विभाग के लिए एक बड़ी खुशखबरी है, और सभी उम्मीद कर रहे हैं कि शावक जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरों की संख्या में यह वृद्धि एक महत्वपूर्ण कदम है, जो वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देगी.

 

 

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क 

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी तारा के नवजात शावक को बचाने के लिए वन अधिकारी और पार्क की टीम दिन-रात मेहनत कर रही है. इससे पहले 10 अगस्त 2024 को शेरनी दुर्गा ने दो शावकों को जन्म दिया था, लेकिन दुर्भाग्य से एक शावक मृत पैदा हुआ था और दूसरे की 40 घंटे बाद ही मौत हो गई थी. इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए, पार्क प्रशासन इस बार शावक को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

 

नन्हे शावक का रखा जा रहा विशेष ध्यान 

वन अधिकारी और पार्क की टीम शावक के लिए विशेष ध्यान दे रही है, जिसमें नियोनेटल केयर और विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी शामिल है. पार्क प्रशासन का मकसद है कि शावक को पूरी सुरक्षा और देखभाल प्रदान की जाए, ताकि वह स्वस्थ और मजबूत हो सके. इस प्रयास से न केवल शावक की जान बचाई जा सकती है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को भी बढ़ावा मिलेगा.

 

तारा ने दिया नन्हे शावक को जन्म 

जयपुर की नाहरगढ़ लॉयन सफारी राजस्थान की पहली लॉयन सफारी है, जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक आकर्षक स्थल है. इस सफारी में शुरुआत में तीन शेर - तेजस, त्रिपुर और तारा छोड़े गए थे, जो शेरनी तेजिका के शावक हैं. तेजिका की मौत के बाद, तीनों शेर नाहरगढ़ लॉयन सफारी की शान बन गए हैं.

 


नाहरगढ़ लॉयन सफारी में शेरों की उपस्थिति
शेरनी तारा, जिसने हाल ही में एक शावक को जन्म दिया है, नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में वर्ष 2019 से अकेले ही रह रही थी. इसके बावजूद, वह स्वस्थ और मजबूत है, और अब अपने नवजात शावक के साथ एक नए अध्याय की शुरुआत कर रही है. नाहरगढ़ लॉयन सफारी में शेरों की उपस्थिति वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देती है और पर्यटकों को इन भव्य जानवरों को देखने का अवसर प्रदान करती है. राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को बड़ा बढ़ावा मिला है, खासकर शेरों की ब्रीडिंग के मामले में. जयपुर के अलावा, जोधपुर समेत अन्य जैविक उद्यानों में भी हाल ही में शेरों की सफल ब्रीडिंग हुई है, जिससे प्रदेश में शेरों की संख्या में वृद्धि हुई है. 

 


 


 


 

राजस्थान में यहां-यहां हैं शेर 

वन विभाग के अनुसार, राजस्थान के चार प्रमुख जैविक उद्यानों - जयपुर के नाहरगढ़ जैविक उद्यान, उदयपुर के सज्जनगढ़ जैविक उद्यान, जोधपुर के माचिया जैविक उद्यान और कोटा के अभेड़ा जैविक उद्यान में शुद्ध एशियाई और संकर शेरों की संख्या अब 16 हो गई है. गुजरात के सक्करबाग चिड़ियाघर से एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत लाए गए शुद्ध एशियाई शेरों की दहाड़ प्रदेश के जैविक उद्यानों में गूंज रही है, जो वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को मजबूत बना रही है. यह सफलता राजस्थान में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

 

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