जयपुर: राजस्थान की गहलोत सरकार अब जल सरंक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में जोड़ेगी क्योंकि मरूभूमि में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. जलदाय मंत्री महेश जोशी ने इस संबंध में विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.अब जलदाय और भूजल विभाग प्रस्ताव बनाकर शिक्षा विभाग को भेजेगा.आखिर जल सरंक्षण को पाठ्यक्रम में जोड़ना क्यों जरूरी है बताते हैं.


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पानी की बचत का संदेश किताबों से मिलेगा


राजस्थान में कल के भविष्य यानि स्कूल के बच्चे अब किताबों में अपना भविष्य बचाने के लिए जल सरंक्षण का ज्ञान लेंगे. प्रदेश की गहलोत सरकार भूजल संकट और जल सरंक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करेगी,ताकि बच्चों को आने वाले समय में जल संकट की स्थि​ति से जूझना ना पड़े. राजस्थान का जलदाय और भूजल विभाग इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर शिक्षा विभाग को भेजेगा. ताकि बच्चों को स्कूली शिक्षा में पानी की बचत का संदेश मिल सके.जलदाय और भूजल मंत्री महेश जोशी का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस प्रस्ताव के लिए आग्रह किया जाएगा,ताकि कल के भविष्य आने वाले भविष्य के लिए सजग रहे और पानी का उपयोग सही ढंग से कर पाए.


इसलिए पानी की बचत का पाठ जरूरी


राजस्थान के 70 प्रतिशत ब्लॉक्स डार्क जोन में चले गए हैं. 295 में से 203 पंचायत समितियां में भूजल का अतिदोहन हो रहा है.अतिदोहन का मतलब ये होता है जिन इलाकों में जमीन के नीचे से पानी तो अधिक ले रहे है लेकिन जमीन में पानी कम रिचार्ज हो रहा है. 2013 में डार्क जोन की संख्या 164 थी,जो 2017 में बढ़कर 185 हो गई और अब ये आकंड़ा 203 तक पहुंच गया है. अब राजस्थान में सिर्फ 37 ब्लॉक ही सुरक्षित बचे हैं. पिछले तीन दशकों में भूजल में मरूधरा की तस्वीर ही बदल गई. भूजल का दोहन 3 दशकों में 35 से बढ़कर 115 प्रतिशत तक पहुंच गया है इसलिए राजस्थान में स्कूली बच्चों को जल सरंक्षण का पाठ पढ़ाना बहुत जरूरी है.


पानी की बचत ही,पानी का उत्पादन


इसलिए आज पानी बचाने और वर्षा के जल सरंक्षण पर परिचर्चा हुई. वाटर रिसाइक्लिंग,रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए गहन मंथन हुआ.जिसका निचोड़ निकला कि पानी की बचत ही पानी का उत्पादन है,इसलिए इसे पैदा नहीं किया जा सकता.क्योकि जल सरंक्षण आज करेंगे तो काम आएगा कल.


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