Jaipur News : विजय दिवस पर मनाया गया `प्रहार दिवस` , संघ की शाखाओं पर स्वयंसेवकों का दंड प्रहार
भारतीय सैनिक के सम्मान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2011 से 16 दिसंबर को विजय दिवस के इस पवित्र दिन को `प्रहार दिवस` के रूप में मनाता आ रहा है.
Jaipur News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से शनिवार को विजय दिवस को 'प्रहार दिवस' के रुप में मनाया गया. शाखाओं पर दंड प्रहार का अभ्यास किया गया. आज के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रत्येक शाखा पर स्वयंसेवकों के द्वारा अधिक से अधिक प्रहार का अभ्यास कर अपनी शारीरिक क्षमता एवं दक्षता का प्रदर्शन किया जाता हैं.
2011 से संघ मनाता आ रहा है यह दिवस
इस दिन पूरे देश में संघ की सभी शाखाओं पर स्वयंसेवक दंड का प्रहार करते हैं। 50 से ऊपर प्रहार करने वाले स्वयंसेवकों को संघ की ओर से प्रोत्साहित किया जाता है।
उल्लेखनीय हैं कि,16 दिसंबर 1971 को जब पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आकर आत्मसमर्पण के पत्र पर हस्ताक्षर किया तो यह युद्ध न केवल भारत बल्कि विश्व के सैनिक इतिहास का एक अविस्मरणीय युद्ध माना गया. इस युद्ध में कई भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए. उन्हीं के सम्मान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2011 से 16 दिसंबर को विजय दिवस के इस पवित्र दिन को 'प्रहार दिवस' के रूप में मनाता आ रहा है.
1000 तक प्रहार लगाते स्वयंसेवक
प्रहार दिवस का मुख्य उद्देश्य युवाओं को संगठित, दृढ़ निश्चयी, शक्ति संपन्न एवं पुरुषार्थी बनाना है. संघ के बाल, तरुण, शिशु एवं प्रौढ़ स्वयंसेवक इस महायज्ञ में प्रहार लगाकर अपनी आहुति देते हैं और वीरगति को प्राप्त हुए वीर सैनिकों को प्रणाम करते हैं. प्रहार दिवस के दिन कई स्वयंसेवक, 1000 से अधिक प्रहार तक लगाते हैं.
दंड के उपयोग का प्रशिक्षण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए आवश्यक भी है, क्योंकि संगठन अपने कार्यक्रमों में सुरक्षा के लिए अपने स्वयंसेवकों पर ही निर्भर रहता है. आरएसएस किसी भी संगठनात्मक कार्यक्रम के आयोजन में नागरिक पुलिस की सुरक्षा नहीं लेता है.
ऐसे शुरू हुआ प्रहार दिवस
भारत-पाकिस्तान युद्ध 03 दिसंबर, 1971 को शुरू हुआ, जो 13 दिनों तक चला और 16 दिसंबर को समाप्त हो गया. युद्ध के अंत में 93,000 पाकिस्तानी सेना के जवानों ने आत्मसमर्पण कर दिया था. युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह पराजित किया था, लेकिन लगभग 3,900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जबकि 9,851 घायल हो गए थे.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूर्वी पाकिस्तान को अलग से एक नया राष्ट्र बनाने की घोषणा कर दी. जिससे बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इस तरह 16 दिसंबर को बांग्लादेश का जन्म हुआ और वह पूर्वी पाकिस्तान से स्वतंत्र हो गया. हमारे इन्हीं वीर शहीद सैनिकों की याद में संघ ने 2011 से हर साल 16 दिसंबर को ''प्रहार दिवस'' के रुप में मनाने की शुरूआत की.
भारत के सामने हार स्वीकार करते हुए पाकिस्तानी ले.जनरल एएके नियाजी जो कि पूर्वी पाकिस्तान का कमांडर था, ने 16 दिसंबर 1971 को भारत के ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने बिना-शर्त आत्मसमर्पण करते हुए टोकन के रूप में अपनी सर्विस पिस्टल दी थी. जिस पर लिखा है, ''UNCONDITIONAL SURRENDER''
यह है इतिहास
पाकिस्तान में 1970 में चुनाव हुए, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान आवामी लीग ने बड़ी संख्या में सीटें जीती और सरकार बनाने का दावा किया, लेकिन जुल्फिकार अली भुट्टो (पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) इस बात से सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया था.
उस समय परिस्थितियां इतनी खराब हो गईं थी कि सेना का प्रयोग करना पड़ा. अवामी लीग के शेख मुजीबुर्ररहमान जो कि पूर्वी पाकिस्तान के थे को गिरफ्तार कर लिया गया। यहीं से पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच दिक्कतें शुरू हो गई थीं.
युद्ध के कारण
भारत में उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थी भारत में आ गए थे और उन्हें भारत में सुविधाएं दी जा रही थी क्योंकि वे भारत के पड़ोसी देश से आए थे. इन सबको देखते हुए पाकिस्तान ने भारत पर हमले करने की धमकियां देना शुरू कर दिया था.
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर हमला कर दिया. इस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात को देश को संबोधित करते हुए पाकिस्तान की ओर से किए गए हमले की जानकारी दी और साथ ही युद्ध की घोषणा भी की.