Jaipur News: राजस्थान के जयपुर जिले में विकास करने का दावा और खाका खींचने वाले विधायकों का आलम यह है कि वह विकास योजनाओं का प्रस्ताव न दें पाने से अपनी विधायक निधि ही नहीं खर्च कर पाए. चार साल बीत गए, लेकिन जिस विकास की आस के साथ लोगों ने अपना विधायक चुना था, उनमें से जयपुर जिले के कुछ विधायक अपने फंड का उपयोग ही नहीं कर पाए. नियम है कि हर विधायक अपने कोटे से प्रतिवर्ष जनहित के काम करवा सकता है, लेकिन जयपुर जिले के 19 विधायकों के पिछले चार साल में कराए गए कार्यों का रिकॉर्ड खंगाला गया, तो स्थिति चौंकाने वाली निकली.


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15वीं विधानसभा के चार साल पूरे हो गए हैं, अब एक साल बचा है, जिसमें करीब दो महीने आचार संहिता-चुनाव में बीतने वाले हैं. ऐसे में विधायक कोष की राशि को अगले 10 महीने में खर्च करना है. पिछले चार साल में जिले के 19 विधायकों की ओर से खर्च किए गए विधायक कोष को देखें तो सबसे अधिक कार्यों की अनुशंसा आमेर से भाजपा विधायक सतीश पूनिया ने की, विकास कार्यों की अनुशंसा नहीं करने के मामले में सबसे पहला नंबर जमवारामगढ़ के कांग्रेस विधायक गोपाल मीणा और सांगानेर के भाजपा विधायक अशोक लाहोटी का नाम आता है.


दरअसल विधानसभा और उसके बाहर विधायक शहर में विकास के काम नहीं होने का हमेशा रोना रोते है, लेकिन इन्हीं विधायकों को जब सरकार विकास के काम करवाने के लिए पैसे देती है, तो ये पैसा उनसे खर्च तक नहीं होता. यही कारण है कि पिछले 4 साल के अंदर जयपुर के 19 विधायकों को जो सरकार ने पैसा दिया है वह अब तक विधायक कोष में ही पड़ा है. जमवारामगढ़ के विधायक गोपाल मीणा और सांगानेर के अशोक लाहोटी ने विधायक कोष में पिछले चार साल में मिले 14 करोड़ 25 लाख रुपये में से 32 फीसदी राशि भी अपने क्षेत्र की जनता के विकास के लिए खर्च नहीं किए है. 



कांग्रेस विधायक गोपाल मीणा ने पिछले 4 साल में अपने विधायक कोष से केवल 3 करोड़ 77 लाख रुपये के कार्यों की अनुशंसा की. वहीं सांगानेर विधायक अशोक लाहोटी ने केवल 4 करोड़ 47 लाख रुपये के विकास कार्यों की अनुशंसा की है. विधायक अशोक लाहोटी पिछले कुछ महीने पहले जेडीए और नगर निगम में खुद के स्तर पर प्रदर्शन करके अपने क्षेत्र में सड़कें खराब होने और विकास के का नहीं होने को लेकर प्रदर्शन भी कर चुके है.



इन दो विधायकों के अलावा आदर्श नगर के विधायक रफीक खान का नंबर तीसरे पर आता है. खान ने चार साल में अपने क्षेत्र में जनता के लिए केवल 5 करोड़ 91 लाख रुपये के कार्यों की अनुशंसा की, जो कुल आवंटित बजट का 41 फीसदी ही है. वहीं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी भी सबसे कम बजट खर्च करने वाले विधायकों की सूची में चौथे नंबर पर आ रहे है. जोशी ने चार साल में 14.25 करोड़ रुपये में से अपने क्षेत्र में केवल 788.63 करोड़ रुपये खर्च किए है.



जयपुर जिले में अपने विधायक कोष से अपने क्षेत्र की जनता के जरूरी काम करवाने के मामले में आमेर विधायक सतीश पूनिया सबसे आगे है. उन्हें चार साल में विधायक कोष में अब तक 14 करोड़ 25 लाख रुपये मिले है, जिसके मुकाबले उन्होंने विधायक कोष से 14 करोड़ 84 लाख रुपये के कामों की अनुशंसा की है. 



सहूलियत के लिए कोई भी विधायक अपने विधायक कोष के अलावा 5 फीसदी अतिरिक्त राशि के विकास कार्य की अनुशंसा कर सकता है. इस कारण पूनिया ने अपने विधायक कोष के बाद अतिरिक्त 5 फीसदी राशि के कामों की अनुशंसा भी कर दी. इसके अलावा निर्दलीय विधायक बाबूलाल नगर, आलोक बेनीवाल, कांग्रेस से विधायक इंद्रराज गुर्जर ऐसे विधायक है, जो विधायक कोष का पूरा पैसा क्षेत्र की जनता के लिए खर्च कर चुके है. 


अब अगला साल चुनावों का है, सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र में कार्यकर्ताओं और जनता को ज्यादा से ज्यादा खुश करने की कोशिश में रहेंगे. ऐसे में ये विधायक अब आखिरी साल में अपने विधायक निधि से काम करवाने की घोषणाएं करेंगे, जिससे चुनाव से पहले जनता को खुश करके वोट साध सके, लेकिन वित्तीय स्वीकृति, टेंडर में समय लगता है, 11 माह में राशि खर्च होने पर संशय हैं.


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दरअसल प्रत्येक विधायक को विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत अब तक 1425 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया है. गौरतलब है कि पहले प्रति वर्ष 2.25 करोड़ रुपये दिए जाते थे, लेकिन पिछले दो साल से सरकार 5 करोड़ रुपए दे रही है. इसमें शुरू के दो वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिए सरकार ने 2.25 करोड़ रुपये आवंटित किए. इसी प्रकार 2021-22 में विधायक कोष को 5 करोड़ कर दिया, लेकिन दिए 4.75 करोड़ ही और उसके बाद 2022-23 में 5 करोड रूपये विधायक कोष को दिए गए. अब अप्रेल में अगले साल के यदि 5 करोड़ और दिए जाते हैं तो विधायकों को खर्च करने के लिए आठ-नौ महीने ही मिलेंगे.


जानिए, किस विधायक का कितना बजट जारी और कितनी अनुशंसा


विधायक और विधानसभा क्षेत्र     अनुशंसा (लाखों में) काम की संख्या (अनुशंसा)
गोपाल मीणा (कांग्रेस)) जमवारामगढ़ 376.93(26.45%) 70
अशोक लाहोटी (भाजपा) सांगानेर 447.49 (31.4%) 97
रफीक खान (कांग्रेस) आदर्श नगर 590.97(41.47) 47
हवामहल (कांग्रेस ) हवामहल 788.63(55.34%) 76
गंगादेवी (कांग्रेस)) बगरू 950.73 (66.71%) 150
नरपत सिंह राजवी (भाजपा) विद्याधर नगर 1020.19 (71.59%) 146
प्रताप सिंह खाचरियावास (कांग्रेस) ) सिविल लाइन 1045.90 (73.39%) 97
लक्षमण मीणा (निर्दलीय) बस्सी 1214.49 (85.22%) 212
लालचंद कटारिया (कांग्रेस) झोटवाडा 1285.53 (90.21%) 172
अमीन कागजी (कांग्रेस)) किशनपोल 1331.04(93.40%) 58
रामलाल शर्मा (भाजपा) चौमूं 1350(94.73%) 180
निर्मल कुमावत (भाजपा) फुलेरा 1370(96.14%) 175
राजेन्द्र यादव (कांग्रेस) कोटपूतली 1389.5 (97.5%) 156
कालीचरण सराफ (भाजपा) मालवीय नगर 1400(98.24%) 144
वेदप्रकाश सोलंकी- (कांग्रेस) चाकसू 1411.44(99.4%) 194
आलोक बेनीवाल (निर्दलीय) शाहपुरा 1425(100%) 170
इंद्रराज गुर्जर (कांग्रेस) विराटनगर 1425 (100%) 194
बाबूलाल नागर (निर्दलीय) दूदू 1425 (100%) 190
सतीश पूनिया (भाजपा)) आमेर 1484 (104.14%) 254

विधायक कोष से बजट खर्च करने के लिए सरकार भी लगातार कह रही है. इसको लेकर पंचायतराज विभाग ने कई बार पत्र भेजकर लिखा है कि विधायक कोष से स्वीकृत कार्य पूर्ण करवाए जाएं, जिससे आमजन के काम हो सके, जबकि यहां तो विधायक अनुशंसा भी नहीं कर रहे हैं. विधायक अब आखिरी साल में अपने विधायक निधि से काम करवाने की घोषणाएं करेंगे, जिससे चुनाव से पहले जनता को खुश करके वोट साध सके.


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