Jaipur: राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्राइवेट अस्पतालों की हड़ताल तो खत्म हो गई, लेकिन डॉक्टर्स इस मामले में आंदोलन के लंबा खिंचने के लिए अब अधिकारियों के माथे ठीकरा फोड़ रहे हैं. आईएमए के डॉक्टर्स का कहना हैं कि अधिकारी अगर समय रहते मान जाते तो हड़ताल और पहले खत्म हो सकती थी. इसके साथ ही आरटीएच के दायरे से 95 फीसदी प्राइवेट अस्पतालों के बाहर होने की बात कहने वाले डॉक्टर अपने दावे के समर्थन में तर्क देने के मामले में भी कमजोर रहे. 


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डॉक्टर्स को यह तक नहीं पता हैं कि प्रदेश में कितने प्राइवेट अस्पताल हैं? ऐसे में जब कुल प्राइवेट अस्पतालों की संख्या का ही आइएमए को अंदाजा नहीं हैं तो कितने प्रतिशत इसके दायरे में आएंगे और कितने बाहर रहेंगे? इस बारे में डॉक्टर्स की यूनियन दावे से कैसे कर रही है.


इसके साथ ही हड़ताल खत्म होने के बाद प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर जनता को हो रही परेशानी के लिए पब्लिक से माफी तो मांग रहे हैं लेकिन साथ ही वे सरकार के कुछ अधियारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. आईएमए और चिकित्सक संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि कुछ शर्तों को लेकर अधिकारियों के कारण गतिरोध लम्बा खिंचा, वरना यह हड़ताल और पहले खत्म हो सकती थी. डॉक्टर्स तो यहां तक कहते हैं कि हो सकता है कि अधिकारी समझदारी से काम लेते तो डॉक्टर्स को हड़ताल पर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.


अलबत्ता पहले की तरह चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार के साथ हुए इस समझौते को लेकर चिकित्सक समुदाय में शामिल कुछ कॉरपोरेट्स अस्पताल के संचालकअभी भी नाराज हैं. डॉ रजनीश ने कहा की ऐसे बड़े कॉर्पोरेट अस्पतालों के संचालकों से यही आग्रह है कि अगर उन्हें कोई समस्या है तो आइएमए से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आईएमए के प्रतिनिधि अस्पतालों की जो भी वाजिब समस्या होगी उस पर बात करेंगे और समाधान का प्रयास भी किया जाएगा.


इसके साथ ही आरटीएच पर डॉक्टर्स का कहना है कि राइट टू हैल्थ कानून से जनता को फायदा भी होगा .आईएमए जयपुर चैप्टर के मीडिया प्रभारी डॉ संजीव गुप्ता ने कहा कि राइट टू हेल्थ से अधिकांश प्राइवेट हॉस्पिटल बाहर रहेंगे. ऐसे में सरकार को अपने पीएचसी और सीएससी जैसे सरकारी अस्पतालों के जरिए राइट टू हेल्थ देने के लिए पब्लिक हेल्थ सिस्टम को सुधारना होगा. डॉ संजीव ने कहा कि आरटीएच के दायरे से अधिकांश प्राइवेट हॉस्पिटल्स की बाहर रहना उनके आंदोलन की जीत है. उन्होंने जनता से माफी मांगने के साथ ही अपने आंदोलन में सहयोग देने वाले साथी डॉक्टर और प्राइवेट हॉस्पिटल्स का आभार भी जताया.


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