Jaipur : आरटीई की लेकर विवाद गहराता जा रहा है, सरकार ने आरटीई में एडमिशन प्रक्रिया पूरी कर ली है, बच्चों के एडमिशन को लेकर लॉटरी भी जारी कर दी है, किंतु हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश के निजी स्कूल संचालक कोर्ट में चले गए हैं और कोर्ट का हवाला देकर बच्चों के एडमिशन नहीं ले रहे है. स्कूलों के इस व्यवहार से प्रदेश के 50 हजार से अधिक बच्चों का भविष्य बनने से पहले बिगडने कगार पर है.


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जब धरातल पर उतरकर सरकार के दावों को फोलो करते है तो उन अभिभावकों को ठोकरें खाने के अलावा कुछ हासिल नहीं होता है आरटीई में प्रवेश का ऐसा ही एक मामला है जवाहर नगर स्थित सी​डलिंग स्कूल का जिसके चैयरमेन है संदीप बक्शी अभिभावकों को समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें ना करे शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं सुन रहे हैं और ना ही स्कूल प्रवेश दे रहे हैं आरटीई की लॉटरी के बाद पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने 76 हजार बच्चों को ऑनलाइन प्रवेश दिया था. प्रवेश के बाद विद्यार्थियों को अपने दस्तावेज स्कूलों में जमा कराने थे और प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी थी कई निजी स्कूल ऐसे हैं, जो दस्तावेज लेने से इनकार कर देते हैं इससे प्रवेश का मामला अटका हुआ है.


आरटीई के ​तहत सी​डलिंग स्कूल में एडमिशन 


जयपुर के एक अभिभावक युवराज हसेजा का कहना है कि उनके बच्चों का आरटीई के ​तहत सी​डलिंग स्कूल में एडमिशन हुआ है.हाल ही में शिक्षा विभाग ने बच्चों के एडमिशन किए है जब सी​डलिंग स्कूल में अभिभावक युवराज हसेजा स्कूल में प्रवेश के लिए पहुंचे तो उन्हे स्कूल की फीस का ब्योरा थमा दिया जाता है और कह दिया जाता है कि फीस जमा करवाइए आरटीई के तहत प्रवेश सीडलिंग स्कूल में कोई प्रावधान नहीं है.


आरटीई में प्रवेश नहीं देने की मिली शिकायतें- जिला शिक्षा ​अधिकारी


पूरे मामले पर जिला शिक्षा ​अधिकारी राजेन्द्र शर्मा हंस का कहना है कि आरटीई में प्रवेश नहीं देने की शिकायते मिली है इस समस्या के समाधान के लिए निदेशालय में मंथन चल रहा है,जो निजी स्कूल कोर्ट के दायरे से बाहर है उन्हे आरटीई में प्रवेश की प्रकिया पूरी कर लेनी चाहिए.


लेकिन सयुंक्त अभिभावक संघ के प्रदेश प्रवक्ता का कहना है कि निजी स्कूलों और सरकार की लडाई में अभिभावकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है अगर सरकार कानून की पालना ही नहीं करवा सकती है निर्धन और जरूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षा ​का अधिकार नहीं दे सकती है तो ऐसे कानूनों पर रोक लगनी चाहिए अगर मामला कोर्ट में चल रहा तो विभाग को इस मामले मे मजबूत तरीके से अभिभावकों के पक्ष में पैरवी करनी चाहिए ताकि बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश मिले गरीब अभिभावकों को परेशानी नहीं हो.


ऐसे ये बड़ा सवाल उठता है कि सी​डलिंग स्कूल के चैयरमेन कोर्ट से बडे हो गए है कि वे अपनी सीडलिंग स्कूल में बच्चों के प्रवेश लेने से मना कर रहा है तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के ऐसे कितने स्कूल होंगें कहा जा सकता है कि हर साल लगभग 76 हजार से भी अधिक बच्चे अपनी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते है.


आरटीई पर विवाद बेवजह- अभिभावक संघ अध्यक्ष


मामले में अभिभावक संघ के अध्यक्ष का क​हना है कि आरटीई पर विवाद बेवजह है, यह केवल गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चे को शिक्षा से दूर रखने का सुनियोजित षडयंत्र है, स्कूल, सरकार और प्रशासन मिलकर अभिभावकों में एकजुटता ना होने का फायदा उठाकर उनके बच्चों को शिक्षा से दूर रखने की साजिश रच रहे है. 


पिछले वर्ष भी स्कूलों द्वारा आरटीई मसले पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसका परिणाम इस वर्ष फरवरी में आया था, जब सत्र समाप्त हो गया. जिसके चलते पिछले वर्ष भी हजारों छात्रों का साल खराब हो गया. अब नवीन सत्र के प्रारंभ होने से पहले ही स्कूल और स्कूलों के संगठन मिलकर आरटीई प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए है. कोर्ट ने प्रक्रिया पर रोक लगा दी, अब स्कूल वाले कोर्ट आदेश का हवाला देकर चयनित बच्चों को एडमिशन नहीं दे रहे है.


बहरहाल देखना ये होगा कि क्या आरटीई मामले में कोर्ट का क्या आदेश आता है पिछले साल तो कोर्ट ने 3 स्कूलों को छोडकर सभी स्कूलों को प्रवेश देने के निर्देश दिए थे. देखना यह भी होगा कि क्या सीडलिंग गुप्र के चैयरमेन इस मामले संज्ञान लेते है कि नहीं क्या फिर कोर्ट और शिक्षा विभाग के निर्देशों को ताक मे रख देंगें.


Reporter- SACHIN SHARMA


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