Jaipur News: राइट टू हेल्थ पर पर सरकार और डॉक्टर्स के समझौते में कोटा मॉडल क्यों?
जयपुर न्यूज: राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स ने हड़ताल की. साथ ही डॉक्टर्स सड़कों पर उतरे. 18 दिन तक आंदोलन चलाया. इसके बाद आखिर में 8 मुद्दों पर सरकार और डॉक्टर्स के बीच समझौता भी हो गया.
Jaipur: राइट टू हेल्थ को लेकर राजस्थान की सड़कों पर उतरा डॉक्टर्स का विरोध थम चुका है. डॉक्टर और सरकार के बीच में समझौता हो चुका है और अस्पताल भी खुल गए हैं. अस्पताल खुलने से इलाज भी मिला है और मरीजों को राहत भी, लेकिन सवाल अभी भी समझौते के बिंदुओं को लेकर उठ रहे हैं.
सवाल यह है कि आखिर समझौते के मुद्दों में शामिल कोटा मॉडल क्या है. क्या कोटा में पायलट प्रोजेक्ट या किसी अलग तरीके से नियम लागू हैं? या फिर डॉक्टर्स RTH के बहाने कुछ और ही चाहते थे और उन्हें वह चाहत कोटा मॉडल की शक्ल में मिल गई है.
RTH के विरोध में प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स ने हड़ताल की. सड़कों पर उतरे. 18 दिन तक आंदोलन चलाया, तो आखिर में 8 मुद्दों पर सरकार और डॉक्टर्स के बीच समझौता भी हुआ. सरकार और डॉक्टर के बीच हुए समझौते को लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स के साथ ही हड़ताली डॉक्टर्स की तरफ से यह दावा किया गया कि अधिकांश प्राइवेट हॉस्पिटल इस दायरे से बाहर रहेंगे. डॉक्टर्स की तरफ से बताये दावों पर सभी ने भरोसा भी किया, लेकिन इस समझौता पत्र का चौथे नंबर का बिंदु लगातार जिज्ञासा बनाए हुए था.
जिज्ञासा इस बात की थी, कि आखिर डॉक्टर्स इस कोटा मॉडल के जरिए क्या चाहते हैं? समझौते में डॉक्टर्स ने जिस कोटा मॉडल के आधार पर राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में बने अस्पतालों के रेगुलराइजेशन यानी नियमितीकरण की मांग रखी, वह कोटा मॉडल क्या है और कोटा मॉडल के तहत अस्पतालों को नियमित करने की मांग इस समझौते में किस कारण से शामिल की गई.
दरअसल RTH को लेकर जब भी डॉक्टर्स मीडिया के सामने आए, उनसे सवाल-जवाब किए गए, तो उनका कहना था कि कॉन्फ्रेंस को सिर्फ आरटीएच के मुद्दे तक ही सीमित रखा जाए.
अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर्स RTH के मुद्दे तक ही सवालों को सीमित रखने की बात कर सकते हैं, तो तार्किक यह भी है कि जो आंदोलन RTH के मुद्दे पर किया गया, उसके समझौते में भी सिर्फ और सिर्फ RTH की बातें ही शामिल होनी चाहिए थी. लेकिन डॉक्टर्स के समझौता पत्र में अपने अस्पतालों के नियम विरुद्ध कंस्ट्रक्शन को भी नियमितीकरण के दायरे में लाने की मांग रखी और सरकार पर दबाव बनाकर उस पर दस्तखत भी करा लिए.
जब डॉक्टर्स से कोटा मॉडल को लेकर सवाल हुआ, तो पहले उन्होंने टालने की कोशिश की. कहा गया, कि यह अलग बात है. लेकिन फिर खुद ही उन्होंने कोटा मॉडल को अस्पतालों के लिए जरूरी और फायदेमंद बताते हुए कहा कि इससे अस्पतालों में कहीं बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन करते हुए निर्माण है तो वह नियमित हो जाएगा.
कोटा मॉडल को लेकर जब सरकार से सवाल किया गया, तो चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी रविकांत कहते हैं कि कोटा में यूआईटी की तरफ से कुछ अस्पतालों को कंपाउंड फीस लेकर नियमित करने की बात आई है. रविकांत ने कहा कि उसका अध्ययन कराया जाएगा और इस मामले पर यूडीएच से मार्गदर्शन लेकर आगे कोई बात की जाएगी.
दरअसल डॉक्टर्स ने कोटा मॉडल को पूरे प्रदेश के उन अस्पतालों पर लागू करते हुए राहत देने की मांग की है . जिन्होंने नियम विरुद्ध निर्माण किया है. इसके जरिये डॉक्टर्स ने RTH के नाम पर अपना मतलब साधने की कोशिश की है. ऐसे में सवाल यह है कि नियम विरुद्ध निर्माण को नियमित करने की मांग को समझौता पत्र में शामिल करके डॉक्टर्स के प्रतिनिधियों ने समझौते पर दस्तखत तो कर दिए, लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या यह बिंदु डॉक्टर्स के आंदोलन का डेथ वारंट साबित होगा?
सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि समझौता पत्र में यह भी शामिल है कि सरकार से किसी भी तरह की मदद लेकर संचालित होने वाले अस्पतालों पर RTH लागू होगा. ऐसे में सवाल यह भी है कि अस्पतालों के नियमितीकरण में सरकार से राहत ली गई तो दूसरे अस्पताल भी सरकार से राहत लेने वालों की लिस्ट में शामिल हो जाएंगे. तो फिर बिल्डिंग बायलॉज में राहत पाने वाले प्राइवेट हॉस्पिटल भी अपने यहां RTH लागू करने को लेकर तैयार होंगे?
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