Jaipur News: राजस्थान के जयपुर सिर्फ एक लाइफलाइन के लाइन के भरोसे चल रही है और वो है बीसलपुर की लाइन. यदि ये लाइन ठप हो जाती है तो लाइफलाइन थम जाती है. बीसलपुर से डबल लाइन का प्रस्ताव 6 साल से जल संसाधन विभाग के पास अटका है, यदि जल संसाधन विभाग ने पीएचईडी को स्वीकृति दी होती है तो बार-बार शटडाउन की जरूरत नहीं होती. 


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बीसलपुर को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता है, लेकिन जब-जब बीसलपुर प्रोजेक्ट का शटडाउन होता है तो यही लाइफलाइन आईसीयू में चली जाती है, क्योंकि जयपुर में पेयजल सप्लाई रोकनी पड़ती है. इस लाइफ लाइन को समय से ब्रेक नहीं मिलता है, जिसके कारण वक्त पर मेंटनेंस नहीं हो पाती, जिसका परिणाम ये रहता है कि बीसलपुर परियोजना को बार-बार शटडाउन लेना पड़ता है.


ऐसा नहीं है कि इससे पहले कोशिश नहीं की गई हो, जलदाय विभाग ने दूसरी लाइन का प्रस्ताव जलसंसाधन विभाग को 2017 से भेज रखा है, लेकिन इसके लिए जलसंसाधन विभाग को 8 टीएमसी पानी की मात्रा और बढ़ानी होगी. डब्लूआरडी के पास इतना पानी रिजर्व नहीं है, जिस कारण इसकी अनुमति आज तक नहीं मिली. सूरजपुरा से जयपुर 96 किलोमीटर की पाइपलाइन है, जिसे जलदाय विभाग ने 2009 में शुरू किया था. 


कब-कब आईसीयू में गई लाइफलाइन
1.पहली बार पिछले साल 29 सितंबर को बीसलपुर परियोजना का शटडाउन हुआ था.नार्थ सर्किल की 80 कॉलोनियों में पानी की सप्लाई नहीं हो पाई थी.
2. इसके बाद 24 अगस्त को फिर से लाइफलाइन आईसीयू में रही.बीसलपुर इंटेक पंपिंग स्टेशन का वाल्व बदलने और सेंट्रल पार्क में कॉमन हैडर के वाल्व की मरम्मत की गई.
3. फिर 6 मई को वहीं हुआ. पानीपेच के पुराने टैंक को सेंट्रल पाइपलाइन से जोड़ने के लिए 80 कॉलोनियों की पेयजल सप्लाई बाधित हुई.
4. इसके बाद 4 और 5 फरवरी को सुरजपुरा और शहर के पंप हाउसों पर वॉल्व बदलने और पाइपलाइन की मेंटनेंस का काम किया गया.
5.अब टोडारायसिंह के पास पानी का लीकेज हुआ,जिस कारण दो दिन से सप्लाई बाधित हो रही है.
6 इसके बाद जयपुर सिंतबर में लीकेज के कारण शटडाउन लेना पड़ा था
7.साफ-सफाई के लिए जनवरी और अब फरवरी में शटडाउन लेना पड़ा


वैकल्पिक तौर पर ये व्यवस्था
लाइफलाइन पर लोड ज्यादा होने से बार बार शटडाउन की जरूरत होती है, लेकिन इस आईसीयू से बाहर निकलने का रास्ता निकल सकता है. यदि बीसलपुर से जयपुर तक दूसरी लाइन डाली जाए, जिससे यदि एक लाइन में खराबी आए तो दूसरी लाइन को शुरू किया जा सकता है. वैकल्पिक तौर पर सरकार के पास पानी पिलाने की व्यवस्था रहेगी.


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