Jaipur phed News :  नागौर के अधीक्षण अभियंता रामचंद्र रॉड की फर्म के फ्रॉड के बाद में जलदाय विभाग में हलचल तेज हो गई. जिम्मेदार चीफ इंजीनियर मुख्यालय केडी गुप्ता ने जी मीडिया के खुलासे के बाद पूरे मामले में पल्ला झाड़ लिया.


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जबकि चीफ इंजीनियर ने खुद ने रामचंद्र रॉड के बेटे की फर्म को स्थाई पंजीयन किया.आखिरकार महीनों बाद भी पूरे मामले में क्यों संज्ञान नहीं लिया,पढ़ें पूरी खबर.



7 महीने बाद अब तक कार्रवाई नहीं



पीएचईडी में अधीक्षण अभियंता रामचंद्र रॉड के बेटे की फर्म का मामला उजागर करने के बाद जलदाय महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. जी मीडिया ने पूरे मामले में खुलासा करने के बाद फर्मों का रजिस्ट्रेशन करने वाले जिम्मेदार चीफ इंजीनियर मुख्यालय केडी गुप्ता से सवाल पूछा तो पूरे मामले में पल्ला झाड दिया.


केडी गुप्ता ने कहा कि अब तक अजमेर एडिशनल चीफ इंजीनियर मुकेश गोयल ने मुझे किसी तरह की कार्रवाई के लिए पत्र नहीं लिखा है.अब जानकारी मिली है,एडिशनल चीफ इंजीनियर से रिपोर्ट मांगी है. कल ही जी मीडिया ने पूरे मामले को लेकर खुलासा किया था कि जिस रीजन में रामचंद्र रॉड नियुक्त है,उसी रीजन में नियमों को तार तार करते हुए उनके बेटे जितेंद्र चौधरी ने टैंडर लगा दिया.


लेकिन सबसे हैरानी की बात तो ये है कि अजमेर एडिशनल चीफ ने 6 जून को रामचंद्र रॉड के बेटे की फर्म को बाहर किया, लेकिन मुखिया को इस बात की जानकारी तक नहीं और ना ही एडिशनल चीफ इंजीनियर अजमेर ने 7 महीने बाद कोई कार्रवाई नहीं की. केडी गुप्ता एडिशनल चीफ इंजीनियर है, लेकिन चीफ इंजीनियर की दो दो कुर्सियां अकेले संभाल रहे है.


 


क्या पिता के कार्यक्षेत्र की होगी जांच



अधीक्षण अभियंता रामचंद्र रॉड के बेटे की फर्म रॉड इंजीनियरिंग डी क्लास से एक क्लास तक पहुंच गई, लेकिन किसी को कानोकान खबर तक नहीं हुई और क्या रामचंद्र रॉड नागौर नियुक्त रहते हुए उनके बेटे की फर्म ने इससे पहले भी काम किया. क्या जलदाय विभाग इस पूरे मामले की जांच भी करवाएगा.


चीफ इंजीनियर केडी गुप्ता ने ये माना ही जो हुआ गलत हुआ, लेकिन क्या इस फर्म के बाकी के टैंडर की जांच होगी ? इस सवाल पर केडी गुप्ता ने कहा कि पहले इस मामले को समझ लेते है, फिर दूसरों की जांच होगी.


उधर नागौर में बीएसआर फर्म बिना क्यूएपी के ही ट्यूबवेल खोदने का काम कर रहीं है. जबकि टेंडर में क्यूएपी की शर्त साफ साफ लिखी है. बिना मैटेरियल की जांच के ही काम शुरू कर दिया गया. खबर ये है कि जिम्मेदार अधीक्षण अभियंता रामचंद्र रॉड तो पिछले 15 दिनों से जयपुर में ही है, ऐसे में मॉनिटरिंग किससे भरोसे है. पूरे मामले पर रामचंद्र रॉड की बातचीत की कोशिश की,लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया.


 


क्या दूसरे इंजीनियर के रिश्तेदार फर्म की जांच होगी



अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या जलदाय विभाग इस मसले पर गंभीर मामलों में पूरी पारदर्शिता से जांच करवाएगा? क्या दूसरे इंजीनियर्स के रिश्तेदार फर्म की जांच होगी. क्योंकि टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने पर फर्म ये शपथ पत्र दिया था कि कोई भी कर्मचारी,अधिकारी या निकट संबंधी इस क्षेत्राधिकार में कार्यरत नहीं है. लेकिन यहां तो फर्म मालिक के पिता खुद इसी क्षेत्र में अधीक्षण अभियंता है.


ऐसे में अब देखना होगा कि जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी और महकमे के आला अफसर पूरे मामले में कितनी पारदर्शिता से कार्रवाई करते है. वैसे नागौर के यही अधीक्षण अभियंता मंत्री ओएसडी की दौड़ में सबसे आगे चल रहे है.