Jaipur News: राजस्थान में वर्तमान में सरकारी शिक्षा तंत्र में सुधार के साथ-साथ सुपरविजन की भी बहुत ज्यादा जरूरत है. प्रदेश वासियों का कहना है कि सरकारी शिक्षा तंत्र में जो सरकार ने योजनाएं लागू की है. उनका प्रॉपर सुपरविजन नहीं होने से, आमजन को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती हैं. 


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सरकार ने RTE के तहत निजी स्कूलों में 25% तक बच्चों को, निशुल्क शिक्षा देने का नियम अनिवार्य किया है. लेकिन बड़े स्कूलों में इन नियमों की खुलेयाम धज्जियां उड़ाई जाती हैं. सरकार की तरफ से उन बड़े स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई या सख्त नियम नहीं बनाने की वजह से, बड़े स्कूल संचालक RTE की पालना नहीं करते हैं. और RTE के तहत बच्चों का एडमिशन भी नहीं करते हैं. 



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सरकार के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी  की शिक्षा के विस्तार के लिए इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए. लेकिन इंग्लिश के टीचरों की भर्ती नहीं करने के कारन से बच्चों  की अंग्रेजी में किसी प्रकार की कोई सुधार नहीं दिख रही. और ना ही अंग्रेजी माध्यम के शिक्षा में विस्तार होने की संभावना बनती नजर आ रही.


ऐसे में वहां के लोगों का कहना है कि, स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में कन्वर्ट करना सही निर्णय नहीं माना जा रहा हैं.  दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लोगों को हिंदी मीडियम स्कूलों की आवश्यकता है. और उनका प्रॉपर सुपरविजन करने की भी जरूरत हैं.


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वहीं लोगों का यह भी कहना है कि सरकारी शिक्षा नीति में सुधार के लिए सरकार को सबसे बेहतरीन नियम लागू करने कि जरूरत हैं.  और सभी कर्मचारी व राजनेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों में अनिवार्य रूप से पढ़ाने का नियम लागू कर दिया जाए. तो सरकारी शिक्षा तंत्र में बेहतरीन सुधार व मजबूती होने की पूरी उम्मीद की जा सकती है.