Jaipur: सचिवालय में कमरों की कमी को देखते हुए सरकार ने तीन नए भवन बनाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. कार्मिक विभाग के प्रस्ताव को सरकार की मंजूरी मिलती है तो जल्द ही सचिवालय नए रूप में नजर आने लगेगा.


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सचिवालय जहां ब्यूरोक्रेट्स बैठते हैं, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय हैं वहां लगातार कर्मचारियों की बढ़ती संख्या के चलते अब कमरों का संकट गहराने लगा है. कमरों की कमी को देखते हुए सरकार ने अब नया प्लान तैयार किया है जिसमें एक नहीं अब तीन नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, अगर वह मंजूर होता है तो यहां कमरों की कमीं हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी.


कहां-कहां बनेगी नई बिल्डिंग


कार्मिक विभाग के प्रस्ताव के अनुसार सचिवालय कर्मचारी संघ कैंटीन, डिस्पेंसरी, अभिलेखागार और पंचायतीराज भवन के बीच के एरिया में नई बिल्डिंग बनाने के लिए जगह देखी गई. प्रस्ताव बनाया और अब वित्त विभाग की मंजूरी का इंतजार है. लेकिन इसमें अभी अभिलेखागार से पुरानी फाइलों को हटाना चुनौती बना हुआ है. इसके साथ ही सरकार ने नया प्रस्ताव डीआईपीआर की जगह नई बिल्डिंग बनाने का बनाया है. जिसमें कॉन्फ्रेंस हॉल भी होगा.


इसके साथ ही तीसरी बिल्डिंग रजिस्ट्रार ऑफिस और अकाउंट सेक्शन की जगह बनाने का है. जहां दोनों साइड आगे गार्डन होगा और पीछे बिल्डिंग होगी. लेकिन अभी इन कर्मचारियों को बैठाने की समस्या बनी हुई है. एक साथ सभी पुराने भवन हटाते हैं तो कर्मचारियों को बैठाने की समस्या सामने आएगी. अब इसके विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.


नई बिल्डिंग बनाने की आवश्यकता क्यों


सरकार ने पहले एक बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन अब तीन भवन बनाने के प्रस्ताव बनाए हैं. पहले निर्वाचन विभाग के जगतपुरा में शिफ्ट होने की तैयारी थी, इसके लिए जमीन भी अलॉट कर दी गई थी. ईसीआई ने 5 करोड़ रूपए भी दे दिए थे. अब वहां नई बिल्डिंग का प्रस्ताव कैंसिल होने के बाद ईसीआई को पेसे लौटा दिए हैं. जमीन का अलॉटमेंट निरस्त हो गया है. पहले राज्य चुनाव आयोग के भी जगतपुरा में शिफ्ट होने की तैयारी थी. अब वहां बिल्डिंग का प्रस्तव निरस्त होने के बाद सचिवालय में कर्मचारियों के लिए नई बिल्डिंग बनना जरूरी हो गया.


इसके साथ ही सचिवालय में अहिंसा आयोग, आरपीएससी ओर अन्य कार्यालयों के लिए कमरे अलॉट किए जाने से यहां कमरों का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. अभी भी कई आरएएस अधिकारी बाबुओं के साथ सेक्शनों में बैठकर कामकाज कर रहे हैं. वहीं महिला अधिकारियों के कमरों में अटैच टॉयलेट नहीं होने से वह भी परेशान हैं.


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