जयपुर सेशन कोर्ट: अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त वकील ने हाईकोर्ट में पीडिता के पक्ष में मुकदमा लड़ कर उसे पुलिस सुरक्षा दिलाई, लेकिन उस आदेश को छिपाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. ऐसे में वकील के प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता.


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अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राकेश महर्षि ने बताया कि पीड़िता ने अंतरजातीय विवाह किया था. इसके बाद पीड़िता और उसके पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सुरक्षा मांगी थी. यह याचिका अभियुक्त वकील के जरिए पेश हुई थी. वहीं, अभियुक्त ने हाईकोर्ट की ओर से सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश को छिपा लिया. पीड़िता को गिरफ्तारी का भय दिखाया.


इस दौरान अभियुक्त वकील ने पीड़िता के पति को भेजते हुए पीड़िता को अपने साथ रख लिया. वहीं, 14 जुलाई 2019 से लेकर 23 जुलाई तक अभियुक्त वकील ने उसके साथ दुष्कर्म किया.


घटना के बाद 27 जुलाई को पीडिता ने शहर के प्रताप नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. वहीं, अभियुक्त वकील की ओर से कहा गया कि उसका शिकायतकर्ता युवती के साथ फीस का विवाद हो गया था. ऐसे में उसने बदले की भावना के चलते मामला दर्ज कराया है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत में अभियुक्त को सजा सुनाई है.


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Reporter- mahesh pareek