Jaipur: राजभवन में शनिवार को वृंदावन के सुप्रसिद्ध संत विजय कौशल महाराज की ओर से राम कथा का शुभारम्भ हुआ. उन्होंने कहा कि यह वीरों के रक्त से सिंचित गोविंद देव जी की पुण्य धरा है. यहां पर कथा कहने का सुयोग संचित पुण्यों का फल है.


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इससे पहले राज्यपाल कलराज मिश्र ने भगवान श्रीराम और रामचरितमानस की पूजा की. संत विजय कौशल महाराज का राजभवन की ओर से अभिनंदन करते हुए उन्होंने कहा कि राम की कथा जीवन को संस्कारित करने वाली है. सौभाग्य है कि राजभवन में राम कथा का अमृत पान करवाने के लिए विजय कौशल जी जैसे अलौकिक तपस्वी सन्त ने आग्रह स्वीकार किया. सांसद घनश्याम तिवाड़ी, रामचरण बोहरा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, सन्त, महंत और गणमान्यजनों ने उपस्थित होकर राम कथा का श्रवण किया.


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राम कथा सुनने के महात्म्य की चर्चा करते हुए सन्त विजय कौशल महाराज ने कहा कि यह कथा अमृत है, साधना है. कथा समाधि में ले जाती है. दर्शन में ले जाती है. उन्होंने कहा कि कथा को जीवन में उतारने की आवश्यकता नहीं है. कथा सुन भर ली जाए. यही पर्याप्त है. कथा एकमेव वह औषधि है जिसे सुनने मात्र से बेड़ा पार हो जाता है. उन्होंने रामचरितमानस की पंक्तियों का गान करते हुए कहा कि कथा सुनकर भगवान मिल जाते हैं.
विभीषण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हनुमान से प्रभु की कथा सुनकर ही वह प्रभु राम तक पहुंच गए. उन्होंने प्रभु राम के सुंदर स्वरूप का गान करते हुए कहा, राम तुम्हारा तारन हारा जाने कब दर्शन होगा. जिसकी महिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा. सन्त विजय कैशल ने रामचरित मानस की पंक्तियां सुनाई-रघुबंस भूषन चरित यह नर कहहि सुनहि जे गावहि. कलिमल मनोमल धोइ बिनु श्रम राम धाम सिधावही संत ने रामकथा सुनने के महत्व के बारे मे बताते हुए कहा कि जो कानों से अंदर जाता है वह व्यक्ति के हृदय में बस जाता है और वही मुख से प्रकट होता है.


उन्होंने कहा कि भगवान की कथा सुनने अवश्य जाना चाहिए, क्योंकि भगवान वहीं निवास करते हैं जहाँ उनका संकीर्तन होता है. इससे पहले उन्होंने कहा कि राजस्थान का राजभवन ऐतिहासिक है. जहां राज से, राजनीति से जुड़ी बातें होती है वहां राम कथा का आयोजन यहां के धर्म का कर्म है. उन्होंने कहा कि राम कथा जब हो रही है तो उसे हम अकेले नहीं सुन रहे हैं, पूरी की पूरी परंपरा इसका श्रवण कर रही है.