Jaipur: भारतीय जनता पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करती है, लेकिन कई बार पार्टी के नेता ऐसा महसूस करते हैं कि अल्पसंख्यक तबका अभी तक उनसे पूरी तरह नहीं जुड़ पाया है, इसी मुद्दे पर अब पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे ने काम करने का मन बनाया है, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने पार्टी को मुस्लिमों के बीच पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार के काम और बीजेपी की अगुवाई में तैयार की गई योजनाओं को मुस्लिम समाज तक पहुंचाने का लक्ष्य बनाया है.


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इसके जरिए पार्टी यह बताने की कोशिश करेगी कि बीजेपी मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि मुस्लिमों के विकास में मददगार पार्टी है. दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी बनने के बाद बीजेपी अब अल्पसंख्यक तबके को जोड़ने की तरफ बढ़ रही है, पार्टी ने इस काम की जिम्मेदारी दी है अपने अल्पसंख्यक मोर्चे को.


बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सादिक खान कहते हैं कि वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ मंडल स्तर तक जाकर बीजेपी के कामकाज को बताएंगे. पार्टी के लोग यह भी अपील करेंगे कि नाम पर नहीं बल्कि काम पर गौर किया जाना चाहिए.


सादिक खान ने कहा कि खुद उनके पूर्वज कांग्रेस को वोट देते थे, लेकिन अगर बीजेपी अल्पसंख्यकों का ध्यान रख रही है, तो समाज को भी बीजेपी का खुले दिल से स्वागत करना चाहिए. सादिक खान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने 75 सालों में अल्पसंख्यकों को रोजा इफ्तार पार्टी के अलावा कुछ नहीं दिया. वे कहते हैं कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट खुद बताती है कि दलितों से भी बदतर स्थिति मुसलमानों की है, जिसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पार्टी है.


उधर मोर्चे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुसैन खान कहते हैं कि पिछले दिनों अल्पसंख्यक मोर्चे ने राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण शिविर गुड़गांव में आयोजित किया. इसमें बताया गया कि किस तरह अल्पसंख्यकों के बीच जाकर समाज हित की योजनाओं के बारे में लोगों को बताना है.


हुसैन खान कहते हैं कि अल्पसंख्यक बीजेपी से जुड़ेगा इस बात का उन्हें पूरा भरोसा है. वे कहते हैं कि इसका सबसे बड़ा आधार मोदी सरकार का अल्पसंख्यकों के लिए किया काम ही बनेगा और इस कारण सरकार का काम ही माइनॉरिटी के बीच पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.


राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुसैन खान तो यहां तक कहते हैं कि अल्पसंख्यक समाज की जनसंख्या 18 फ़ीसदी से ज़्यादा नहीं है, लेकिन अल्पसंख्यकों ने 30 फ़ीसदी से ज्यादा तक योजनाओं का फायदा लिया है, मोर्चे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कहते हैं कि बीजेपी से जुड़ने वाला अल्पसंख्यक पार्टी के टिकट को देखकर नहीं जुड़ता, बल्कि काम को देखकर जुड़ता है. खान ने कहा कि टिकट तो केंद्रीय नेतृत्व तय करता है और वह उम्मीदवार के जिताऊ होने की क्षमता पर निर्भर करता है.


उधर बीजेपी का टिकट मांगने वाले अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री हमीद खां मेवाती खुद कहते हैं कि वे संगठन में काम करते हैं और संगठन के जरिए जनता की आवाज उठाने का काम करते हैं. हमीद खां खुद भी चुनाव तो लड़ना चाहते हैं लेकिन साथ ही बड़े संभलते हुए यह भी कहते हैं कि पार्टी टिकट देगी तो चुनाव लड़ेंगे नहीं तो संगठन को मजबूत करेंगे.


पिछले विधानसभा चुनाव में केवल एक मुस्लिम चेहरे को टिकट दिए जाने के सवाल पर हमीद मेवाती कहते हैं कि पार्टी के संसदीय बोर्ड ने जो ठीक समझा वह किया. साथ ही वह यह भी कहते हैं कि अल्पसंख्यक समाज के लोग केंद्र सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर जुड़ रहे हैं और उसका फायदा पार्टी को 2023 के चुनाव में जरूर मिलेगा.


बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के नेताओं का दावा है कि मुस्लिम समाज के लोग केंद्र सरकार की नीतियों और कामकाज से प्रभावित होकर उनसे जुड़ेंगे. लेकिन सवाल यह उठता है कि जब वार्ड कार्यकारिणी में अल्पसंख्यक प्रतिनिधि के नाम पर पार्टी को नेता ही पर्याप्त संख्या में नहीं मिल पा रहे, तो बीजेपी अपने अल्पसंख्यक कार्यकर्ता और वोटर किस तर्क के साथ बढ़ाएगी?


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