Rajasthan Politics: हरियाणा चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है. बीजेपी ने 48 सीटें अपने नाम की की तो वहीं कांग्रेस को सिर्फ 37 सीटों पर ही जीत मिली. 


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राजस्थान उपचुनाव में जाट फैक्टर अहम



बता दें कि पिछले चुनाव की तुलना में इस बार बीजेपी हरियाणा में जाट बहुल सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया.बीजेपी ने करीब 50 फीसदी जाट बाहुल्य सीटों पर जीत दर्ज की. राजस्थान में भी जल्द ही 7 सीटों पर होने वाले चुनावों की तारीखों की घोषणा हो सकती है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी इस बार झुंझुनूं सीट पर चुनाव जीत सकती है.



हालांकि सियासी हलकों में चर्चा इस बात की भी है कि बीजेपी के लिए खींवसर सीट उपचुनाव में गले की फांस बन सकती है. खींवसर सीट पर हनुमान बेनीवाल का अच्छा दबदबा माना जाता है. विधानसभा चुनाव में उनकी जीत हुई थी जिसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और हनुमान बेनीवाल विधायक से सांसद बन गए.



ऐसे में खींवसर सीट पर भी उपचुनाव होने हैं. ऐसा माना जा रहा कि इस सीट पर हनुमान बेनीवाल बीजेपी को कड़ी चुनौती दे सकते हैं. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) का लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन था. इसी वजह से नागौर लोकसभा सीट पर जाट मतदाताओं ने INDIA गठबंधन के समर्थन में मतदान किया.  मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो हनुमान बेनीवाल की पार्टी खींवसर सीट पर उपचुनाव बिना गठबंधन के लड़ सकती है.



हाल ही में  खींवसर सीट बड़ी चुनौती के सवाल पर मंत्री सुरेश रावत ने कहा,'' भारतीय जनता पार्टी हर चुनाव एक चुनौती के रूप में लेती है और हमारे कार्यकर्ता कठिन परिश्रम करते हैं. हम कार्यकर्ता की परिश्रम के बल पर आज तक चुनाव जीतते आए हैं. चुनाव में चुनौतियां होती हैं, लेकिन हम अपनी मेहनत विश्वास और सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं के दम पर खींवसर उपचुनाव जीतेंगे.''


 


 



खींवसर विधानसभा सीट जाट बहुल सीट मानी जाती है. यहां 75 हजार से अधिक जाट वोटर हैं. राजपूत व रावणा राजपूत समाज के 35 हजार , मेघवाल समाज के 30 हजार , सुथार व नायक समाज के 15-15 हजार मतदाता हैं. वहीं इस सीट पर बिश्नोई , माली , प्रजापत,बावरी,देवासी समाज के लगभग 10-10,  ब्रह्मण, मुस्लिम,बनिया सहित अन्य समाज के सात सात हजार मतदाता हैं.