जस्टिस एम एन भण्डारी ने बने SAFEMA ट्रिब्यूनल के 15 वें चैयरमेन, नई दिल्ली में पदभार किया ग्रहण
जस्टिस भंडारी का कार्यकाल जॉइन करने से चार वर्ष तक यानी 27 सितंबर 2026 तक होगा.जस्टिस एमएन भंडारी इस ट्रिब्यूनल के 15वें चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं.
नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मुनेश्वर नाथ भंडारी ने SAFEMA ट्रिब्यूनल के 15वें चेयरमैन के रूप में पदभार ग्रहण किया. नई दिल्ली के लोकनायक भवन स्थित कार्यालय में जस्टिस भण्डारी ने बुधवार सुबह 10 बजे कार्यग्रहण किया हैं. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने हाल ही में इस ट्रिब्यूनल के चेयरमैन के रूप में जस्टिस भण्डारी के नियुक्ति आदेश जारी किए थे.चेयरमैन के पद पर जस्टिस भंडारी का कार्यकाल आज जॉइन करने से चार वर्ष तक यानी 27 सितंबर 2026 तक होगा.जस्टिस एमएन भंडारी इस ट्रिब्यूनल के 15वें चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं. उनसे पहले जस्टिस मनमोहन सिंह का कार्यकाल 22 सितंबर 2016 से 21 सितंबर 2019 तक रहा था. उनके बाद से ही इस ट्रीब्यूनल में चैयरमेन की नियुक्ति नहीं की गयी थी.
SAFEMA यानी Appellate Tribunal under the Smugglers and Foreign Exchange Manipulators Act यह ट्रिब्यूनल मनी लॉन्ड्रिंग the Foreign Exchange Management Act, 1999, Prevention Of Money Laundering Act- PMLA और NARCOTIC DRUGS AND PSYCHOTROPIC SUBSTANCES, ACT, 1985 के तहत दायर की जाने वाली अपीलों की सुनवाई करता हैं.
क्यों है महत्वपूर्ण
क्योंकि ये ईडी से जुड़े मामलो की सुनवाई करता हैं. देश में पिछले कुछ सालों में धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग यानी Prevention Of Money Laundering Act- PMLA के तहत बड़ी कार्यवाई हुई हैं. जिसके चलते देश भर में कई याचिकाएं दायर की गई हैं जो पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय को संपत्तियों की तलाशी, जब्ती, जांच और कुर्की करने के लिये सौंपे गए आदेशों के खिलाफ हैं. लगातार बढ़ते मामलों के चलते लंबे समय से इस ट्रिब्यूनल में चेयरमैन की नियुक्ति की मांग थी.
इस ट्रीब्यूनल का गठन तस्कर और विदेशी मुद्रा जोड़तोड़ और संपत्ति की जब्ती अधिनियम 1976 के तहत की गयी हैं. जिसके तहत देश को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाले मनी लॉन्ड्रिंग, स्मगलिंग और एनडीपीएस मामलों की अपीलों को सुनवाई का अधिकार हैं. चेयरमैन के रूप में जस्टिस एमएन भंडारी के अधीन तीनों अपीलीय कोर्ट की जिम्मेदारी होगी.चेयरमैन के रूप में उन्हें ट्रिब्यूनल की बेंचो के गठन, रोस्टर तैयार करने के साथ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई, सर्किट बेंच के गठन सहित कई अधिकार हैं.