Karwa Chauth 2022: सुहागनों के लिए करवा चौथ किसी महापर्व से कम नहीं है और इस बार 13 अक्टूबर को महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखेंगी. यह व्रत त्‍योहार देश से लेकर विदेशों तक धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे देश में कुछ जगहों के बारे में बताएंगे, जहां ये व्रत नहीं रखा जाता है और इस व्रत को लेकर कहा जाता है कि अगर सुहाग‍िन स्‍त्री यह व्रत रख ले तो वह विधवा हो जाती है.


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ये जगह राजस्थान के बार्डर से जुड़े हरियाणा राज्य के करनाल में स्थित तीन गांवों की है, जिनका नाम गोंदर, औंगद और कतलाहेड़ी हैं. इन जगहों पर अरसे से करवा चौथ का व्रत नहीं रखा गया है. जानकारी के अनुसार, यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां अगर सुहाग‍िन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत कर लें तो उनका सुहाग उजड़ जाता है. कथाओं के अनुसार, इन गांव में रहने वाले लोगों के परिवार शाप‍ित हैं और सालों पहले हुई भूल का आज भी पश्चाताप कर रहे हैं.


क्यों नहीं रखा जाता करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth 2022)
हालांकि इन गांवों की बेट‍ियों की शादी अगर क‍िसी दूसरे गांव में हो जाए तो वह करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं. तब उनके सुहाग पर क‍िसी तरह का संकट नहीं आता है. करनाल में स्थित इन तीन गांव में माना जाता है, 600 साल पहले राहड़ा की लड़की की शादी गोंदर के एक युवक से हुई थी. लड़की को उसके मायके में करवा चौथ से पहले रात को सपना आया कि उसके पति की हत्या हो गई है और उसका पति का शव बाजरे की गठरियों में छुपाकर रखा गया है.


वहीं, लड़की ने यह बात अपने मायके वालों को बताई तो मायके वाले उसे लेकर करवा चौथ के दिन गोंदर पहुंचे. वहीं, वहां पति के न मिलने पर उसने लोगों को सपने वाली बात बताई और लोगों ने उसकी बताई जगह पर लोगों ने उसके पति को देखा तो उसका शव वहीं पर पड़ा था.


जमीन में समा गई महिला
कहते हैं कि उस स्‍त्री ने करवा चौथ का व्रत रख रखा था, इसलिए उसने घर में अपने से बड़ी महिलाओं को अपना करवा देना चाहा तो उन्होंने लेने से मना करा दिया. इससे महिला नाराज होकर करवा सहित जमीन में समा गई और उसने श्राप दिया कि यदि भविष्य में इस गांव की किसी भी बहु ने करवा चौथ का व्रत रखा तो उसका सुहाग उजड़ जाएगा. इसी कारण इस गांव की सुहागिन स्त्रियों ने व्रत रखना छोड़ द‍िया. हालांक‍ि कतलाहेड़ी और औंगद गांव कुछ सालों बाद गोंदर गांव से अलग हो गए थे, लेकिन उनके वंशज गोंदर के थे इसलिए यहां भी इस परंपरा की पालना होनी लगी.


नाराज पत्नी ने गांव को दिया श्राप
इन तीन गांवों के अलावा मथुरा के सुरीर कस्बे में भी करवा चौथ का त्योहार नहीं मनाया जाता है, यहां के लोग का मानना है कि करीब सैकड़ों साल पहले गांव राम नगला से एक ब्राह्मण जोड़ा सुरीर से गुजर रहा था और पति-पत्नी को विदाई में एक भैंसा मिला था वहीं,  सुरीर के लोगों ने ब्राह्मण जोड़े को रोक लिया और कहा कि ये भैंसा तो उनका है. ससुराल से विदाई में मिले उपहार को न देने पर ब्राह्मण अड़ गया, तो लोगों ने उसको मार दिया. वहीं, पति की हत्या से दुखी और नाराज पत्नी ने श्राप दिया कि सुरीर की सुहाग‍िन स्त्रियों ने पत‍ि की लंबी उम्र की कामना का करवा चौथ व्रत रखा तो वह विधवा हो जाएंगी.


जानकारी के अनुसार, करीब दो साल पहले ब्राह्मण की हत्या से नाराज पत्नी के दिख हुए श्राप के चलते यहां कि सुहागनें शादी के पहले एक साल तक सुहाग की निशानी कहे जाने वाली बिंदी-‌सिंदूर भी नहीं लगाती हैं और न ही यहां करवा चौथ का व्रत का त्योहार मनाया जाता है.


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