Kirodi lal meena - Vasundhara Raje : राजस्थान की सियासत में एक बार फिर हवा का रुख बदलने लगा है. चुनावी साल में सियासी नफा नुकसान को देखते हुए विरोधी फिर एकजुट होने लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा की अदावत जगजाहिर रही है, लेकिन अब दोनों नेताओं के बीच सियासी नरमी दिखाई दे रही है. जो कि उनके सियासी विरोधियों के लिए एक अलार्म भी है. दोनों नेताओं की सालों बाद दोस्ती को लेकर सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चाएं हैं.  किरोड़ी लाल मीणा को भीड़ जुटाने का टारगेट दिया गया था जिसे किरोड़ी ने बखूबी निभाया. पूर्वी राजस्थान में किरोड़ी का ख़ासा प्रभाव माना जाता है. 


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दौसा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के बाद वसुंधरा राजे और किरोड़ी लाल मीणा के बीच लंबी गुफ्तगू का दौर चला, दोनों नेताओं के बीच कई मसलों को लेकर चर्चाएं हुई. इस चर्चा को लेकर सियासी गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं. पिछले दिनों किरोड़ी लाल मीणा के धरने का वसुंधरा राजे ने समर्थन किया था, राजे ने ट्वीट करते हुए कहा था कि किरोड़ी लाल मीणा अकेले नहीं है, हम सब आपके साथ हैं.


भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से किरोड़ी की बढ़ती दूरियों के बीच राजे से बढ़ती दोस्ती के भी कई सियासी मायने हैं. पिछले दिनों किरोड़ी लाल मीणा ने पूनिया पर आरोप लगाया था कि वो पेपर लीक मामले में उन्हें पूनिया से प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते कोई सहयोग नहीं मिला. यहां तक कि पूनिया ने प्रदेशभर में धरने प्रदर्शन किये जाने की बात कही थी लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं.  हालांकि बाद में किरोड़ी ने किसी भी तरह से कोई नाराजगी होनी की बात से साफ़ इंकार कर दिया था. वहीं पीएम मोदी की रैली के दौरान किरोड़ी और सांसद जसकौर मीणा के बीच भी दूरियां देखने को मिली.


बता दें कि साल 2013 में किरोड़ी राजे से अदावत के चलते भाजपा से अलग हो गए थे, हालांकि 2018 ने अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर लिया था. भाजपा को पूर्वी राजस्थान में भरी नुकसान हुआ था,  पूर्वी राजस्थान के दौसा, सवाई माधोपुर, अलवर, धौलपुर, भरतपुर और करौली में भाजपा का सूपड़ा साफ़ हो गया था, यह इलाके भाजपा के लिए अब भी चुनौती बने हुए हैं. ऐसे में वसुंधरा राजे और किरोड़ी की इन नजदीकियों के कई सियासी मायने भी हैं, इससे दोनों को कई सियासी नफा भी है.  


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