हनुमान जी की पूजा से दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलें, जानिए कुछ अचूक उपाय
कहते हैं कि भगवान राम की कृपा पानी हो तो हनुमान जी की साधना उसमें बहुत ही उच्च कोटि का फल देती है. अक्सर मनुष्य तमाम ग्रह बाधाओं के चलते जीवन में उन्नति नहीं कर पाता है, ऐसे में हनुमान जी की भक्ति से सकारात्मक दिशा मिलती है.
Jaipur: कलियुग में हनुमान जी को साक्षात देवता माना गया है. कहा जाता है कि हनुमान जी भले ही आम मनुष्य को दिखाई न दें, लेकिन सच्चे भक्त के आसपास मौजूद रहते हैं. रामभक्त हनुमान की महिला त्रेतायुग से ही विख्यात है.
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कहते हैं कि भगवान राम की कृपा पानी हो तो हनुमान जी की साधना उसमें बहुत ही उच्च कोटि का फल देती है. अक्सर मनुष्य तमाम ग्रह बाधाओं के चलते जीवन में उन्नति नहीं कर पाता है, ऐसे में हनुमान जी की भक्ति से सकारात्मक दिशा मिलती है.
ज्योतिषाचार्य पंडित अनुभव शर्मा बताते हैं कि कलयुग केवल नाम अधारा. सुमिर सुमिर नर उतरही पारा.
इस कलयुग में हनुमान जी का केवल नाम लेने से मात्र व्यक्ति के कष्ट दूर हो जाते हैं. प्रेम से पुकारो हनुमान जी का हर कामना पूर्ण करेंगे. आज हम कुछ अचूक उपाय यहां आपको बता रहे हैं इन उपायों से जीवन के दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है.
1. धन और समृद्धि प्राप्ति के लिए प्रतिदिन रात्रि में सोने से पूर्व हनुमान जी के सम्मुख सरसों के तेल का मिट्टी का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें.
2. मंगलवार या शनिवार को 11 पीपल के पत्ते लेकर साफ जल से धो ले। इन पत्तो पर चंदन से या कुमकुम से श्री राम का नाम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मंदिर जाएं और उन्हें यह पत्ते अर्पित कर दें ऐसा करने से जीवन के सारे दुख दूर होंगे.
3. प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को सिंदूर या चमेली का तेल हनुमानजी को अर्पित करें। इस उपाय से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
4. प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को हनुमान जी को बनारसी पान चढ़ाएं। ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा हमेशा बनी रहती है.
5. मंगलवार शनिवार को हनुमान जी का विधिवत पूजन करने से सभी प्रकार के कष्ट और क्लेश नष्ट हो जाते हैं. इसके साथ ही कुंडली में मंगल एवं शनि के अशुभ प्रभाव भी दूर हो जाते हैं.
6. एक नारियल पर सिंदूर मौली अक्षत अर्पित कर पूजन करें फिर हनुमान जी के मंदिर में चढ़ा दें, इससे आपको धन लाभ होगा.
7. हनुमान मंदिर में ध्वजा दान करने पर सर्व कामना पूर्ण होती है.
8. हनुमान मंदिर में यदि बंदर हूं तो उनको चने और केले का वितरण करने से भी हनुमान जी अति शीघ्र प्रसन्न होते हैं. हनुमान जी के शुभ आशीर्वाद से व्यक्ति को सभी कार्य में सफलता मिलती है.
9. कच्ची घानी के तेल के दीपक मैं लॉन्ग डालकर हनुमान जी की आरती करें, संकट दूर होगा.
10. विश्व भरण पोषण कर जोई
ताकर नाम भरत अस होई
अथवा
कवन सो काज कठिन जग माही
जो नहीं होई तात तुम पाही
व्यापारी वर्ग, विद्यार्थी वर्ग, रोजगार प्राप्ति के इच्छुक व्यक्ति उपरोक्त दोनों में से किसी चौपाई का शुक्ल पक्ष मंगलवार को दक्षिण मुखी हनुमान जी की मूर्ति की 108 परिक्रमा चौपाई पढ़ते हुए करें. हनुमान जी को केसरी सिंदूर, चमेली का तेल, चांदी का वर्क, मौली, चोला, बेसन के लड्डू चढ़ाएं. इसके उपरांत 40 दिन निरंतर इस चौपाई की लाल आसन पर बैठकर लाल चंदन अथवा मूंगे की माला से 10 माला नित्य जाप करें. इस अवधि में मंगलवार का व्रत निराहार करें अथवा एक समय फल, दूधिया गुड़ की रोटी का सेवन करें. साथ ही 40 दिन पूर्णतय ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है। सभी संकटों का निवारण निश्चित रूप से होगा.
राहु द्वारा निर्मित योग और उनका फल:-
ज्योतिष में राहु नैसर्गिक पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है। इनकी अपनी कोई राशि नहीं होती. अतः यह जिस राशि में होते हैं उसी राशि के स्वामी तथा भाव के अनुसार फल देते हैं। राहु केतु के साथ मिलकर कालसर्प नामक योग बनाता है जो कि एक अशुभ योग के रूप में प्रसिद्ध है। इसी प्रकार यह विभिन्न ग्रहों के साथ एवं विभिन्न स्थानों में रहकर अलग-अलग योग बनाता है जो कि निम्न है.
अष्ट लक्ष्मी योग
जब राहु जन्म कुंडली के छठे भाव में होता है और गुरु केंद्र में होता है तब इस योग का निर्माण होता है। अष्ट लक्ष्मी योग से अभिप्राय है व्यक्ति सभी प्रकार के सुख साधन संपन्नता को प्राप्त करता है.
कपट योग
चतुर्थ भाव में जब पापी ग्रह हो या चतुर्थ भाव के स्वामी को पापी ग्रह देखते हो या उसके साथ युति संबंध बनाते हो तब इस योग का निर्माण होता है। चतुर्थ भाव में राहु जब शनि या मंगल के साथ हो तथा चतुर्थेश भी पाप प्रभाव में हो तब कुंडली मैं कपट योग का निर्माण होता है.
श्रापित योग
जब राहु शनि के साथ एक ही राशि में होता है तो इस योग का निर्माण होता है। शनि पर राहु की दृष्टि प्रभाव भी इस योग का निर्माण करता है. इस योग में जातक की कुंडली पूर्व जन्म के कारण श्रापित हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति को इस जन्म में मानसिक, आर्थिक, शारीरिक परेशानियों तथा शादी विवाह में परेशानियां, संतान प्राप्ति में परेशानियां हो सकती हैं.
चांडाल योग
गुरु और राहु की युति से इस योग का निर्माण होता है। यह एक अशुभ योग है. यह योग जिस जातक की कुंडली में निर्मित होता है उसे राहु के पाप प्रभाव को भोगना पड़ता है. इस योग की स्थिति में जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है, नीच कर्मों के प्रति झुकाव रहता है तथा ईश्वर के प्रति आस्था का अभाव रहता है.
कालसर्प योग
जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित होते हैं तो इस योग का निर्माण होता है. कालसर्प योग वाले सभी जातकों पर इस योग का सामान प्रभाव नहीं पड़ता। राहु तथा केतु किस भाव में है तथा कौन सी राशि में है और अन्य ग्रह कहां कहां बैठे हैं और उनका बलाबल कितना है यह सभी बिंदु कालसर्प योग के फल को प्रभावित करते हैं. जिस जातक की कुंडली में राहु दोष या कालसर्प योग होता है उसे साधारणतया सपने में सर्प दिखाई देते हैं.
ग्रहण योग
जब जन्म कुंडली में सूर्य चंद्रमा की युति राहु से होती है तो ग्रहण योग बनता है. इस छाया ग्रह की युति सूर्य के साथ होने से सूर्य ग्रहण तथा चंद्रमा के साथ होने से चंद्रग्रहण बनता है, जिसका प्रभाव व्यक्ति विशेष के जीवन पर पड़ता है.