Jaipur : जयपुर शहर में भवन निर्माण पर लगने वाले सेस जमा कराने के लिए बकायादारों को श्रम विभाग ने नोटिस जारी किए है.  लेकिन अब तक बकायादारों ने सेस का पैसा जमा नहीं करवाया है. ऐसे में अब लेबर डिपार्टमेंट ने कलेक्टर को पत्र लिखकर बकायादारों की सूची भेजकर वसूली करने के निर्देश दिए है. 


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बता दें कि लेबर डिपार्टमेंट की ओर से भेजी गई सूची में जयपुर में अलग-अलग जगहों पर 6 बिल्डर्स के चल रहे प्रोजेक्ट्स पर लेबर सेस 4.55 करोड़ रुपए निकाला है. लेबर डिपार्टमेंट से मिली रिपोर्ट के मुताबिक ये सभी बिल्डर्स जयपुर में अपने प्रोजेक्ट्स बना रहे है या बना चुके है. इन प्रोजेक्ट्स की न तो इन्होंने डिटेल लेबर डिपार्टमेंट को शेयर की गई है और न ही नियमानुसार लेबर सेस का पैसा जमा करवाया. इन सभी बिल्डर्स को पिछले 2 साल से लगातार नोटिस जारी किया है, लेकिन अब तक बिल्डर्स ने कोई कार्रवाई नहीं की है.


जानिए किस बिल्डर पर है कितना बाकी


- मैसर्स शिवज्ञान डवलपर्स प्रा. लि. के जेएलएन मार्ग स्थित प्रोजेक्ट कासा प्राईम, राजमहल स्कीम जमनालाल बजाज मार्ग सी-स्कीम और शिवज्ञान हाईट्स डीसीएम रोड वाले प्रोजेक्ट्स का कुल 53.05 लाख रुपए।


- मैसर्स यूनिक बिल्डर्स का प्रोजेक्ट यूनिक स्पायर वैशाली नगर, यूनिक प्राइम शिप्रापथ और यूनिक विद्यादीप कालवाड़ स्कीम प्रोजेक्ट्स के 32.37 लाख रुपए।


- रिद्धीराज बिल्डर्स की स्कीम रिद्धीराज रेजीडेंसी तिलक नगर जयपुर पर 7.60 लाख रुपए।


- मैसर्स आरटैक कैपिटल गैलेरिया का प्रोजेक्ट कैपिटल गैलेरिया फेज-1 कनकपुरा सिरसी रोड पर 1.63 करोड़ रुपए।


- मैसर्स रिंगालिया बिल्डर्स (आशादीप ग्रुप) का प्रोजेक्ट रेन्बो फेज-1 आशादीप किग्स कोर्ट नियर बॉम्बे हॉस्पिटल जगतपुरा पर 47.38 लाख रुपए।


- मैसर्स आदर्श बिल्डस्टेट प्रा.लि. पार्क रजेंसी ग्राम केशोपुरा कमला नेहरू नगर अजमेर रोड जयपुर पर 1.09 करोड़ रुपए।


- प्रताप यूनिवर्सिटी चंदवाजी आमेर जयपुर पर 41.97 लाख रुपए।


 


क्या है कानून


दरअसल राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2009 या उसके बाद से दस लाख रुपए की लागत से अधिक राशि से निर्मित मकान, हॉस्टल, व्यवसायिक निर्माण अन्यों के भवन निर्माण पर 1 प्रतिशत लेबर सेस (उपकर) वसूलने का प्रावधान किय गया है. इसके लिए भवन मालिक को निर्माण कार्य कराने से 30 दिन पहले ही अपने भवन की कुल निर्माण लागत का एक प्रतिशत के हिसाब से सेस जमा कराना होता है.  ऐसा नहीं करने पर निर्माण कार्य पूरा होने की तिथि से 24 प्रतिशत प्रतिवर्ष के हिसाब के ब्याज देना पड़ता है. वहीं जुर्माना अलग से देना होता है.


 नोटिस भेजने पर भी अनदेखी
वहीं बार-बार नोटिस जारी करवाने के बाद भी बकायेदार सेस का पैसा जमा नहीं कर रहे है जिसके कारण निर्माण श्रमिकों, मजदूर और उनके बच्चे विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं. लेबर सेस के पैसे से भवन निर्माण श्रमिकों, उनके बच्चों के लिए स्कॉलरशिप, विवाह सहायता योजना, बीमा योजना, प्रसूति सहायता योजना और शुभ शक्ति योजना जैसी कई योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. श्रम विभाग के अधिकारियों की माने तो स्टाफ की कमी के कारण सही तरीके से निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है.


दरअसल, लेबर डिपार्टमेंट 10 लाख से ज्यादा निर्माण वाले भवन मालिकों से 1 प्रतिशत सेस के पेटे वसूली को लेकर अलग-अलग कदम उठा रहा है लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही है. यदि बकायादारों से वसूली पूरी हो जाये तो श्रमिकों को भी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा. जिसके लिए कलेक्टर की रेवेन्यू विंग अब इन बिल्डर्स के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है.


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