Rajasthan PHED Fraud : `रॉड फर्म का फ्रॉड`, नागौर के अधीक्षण अभियंता की ऐसे खुली पोल
PHED Fraud : अजमेर रीजन में 16 करोड़ के टेंडर में जब अधीक्षण अभियंता की रॉड फर्म ने टेंडर लगाया तो जांच में पोल खुल गई. कमेटी मीटिंग में रॉड इंजीनियरिग फर्म को ये कहते हुए बाहर कर दिया कि आपके पिता इसी रीजन में अधीक्षण अभियंता है.
Rajasthan PHED Fraud : राजस्थान के जल जीवन मिशन में फर्मों से इंजीनियर भ्रष्टाचार की पार्टनशिप कर रहे है. चीफ इंजीनियर से लेकर जेईएन तक के इंजीनियर्स फर्मों में पार्टनर है. यानि इंजीनियर्स खुद के लिए खुद ही टेंडर जारी कर रहे. टेंडर के बदले अभियंताओं को मोटा मुनाफा मिलता है. जल जीवन मिशन में कैसे भ्रष्टाचार की पार्टनशिप हो रही है.
'रॉड फर्म का बड़ा फ्रॉड'
राजस्थान के जल जीवन मिशन में इंजीनियर्स और फर्मों की पार्टनशिप का खेल चल रहा है. नागौर के अधीक्षण अभियंता रामचंद रॉड ने अपने बेटे के नाम से ही फर्म खोली ली. उन्होंने जलदाय विभाग में नियमों के खिलाफ जाकर अपने बेटे जितेंद्र चौधरी के मैसर्स रॉड इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म खोली ली.
इस फर्म में उनका बेटा जितेंद्र चौधरी एकल स्वामित्व है. अजमेर रीजन में 16 करोड़ के टेंडर में जब अधीक्षण अभियंता की रॉड फर्म ने टेंडर लगाया तो जांच में पोल खुल गई. कमेटी मीटिंग में रॉड इंजीनियरिग फर्म को ये कहते हुए बाहर कर दिया कि आपके पिता इसी रीजन में अधीक्षण अभियंता है.
ईडी के शिकंजे में आए चीफ इंजीनियर मुख्यालय केडी गुप्ता ने नियमों को ताक पर रखते हुए स्थाई रूप से ए क्लास फर्म का पंजीयन कर दिया लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये फर्म डी क्लास से ए क्लास तक पहुंच गई, लेकिन किसी को कानो कान खबर तक नहीं हुई. रामचंद्र रॉड जलदाय मंत्री के ओएसडी की दौड में सबसे आगे चल रहे है.
इतना हीं नहीं जलदाय विभाग में रामचंद्र रॉड जैसे बहुत से इंजीनियर्स है, जो अपने दुकाने चला रहे है. पीएईडी में एक विशेष चीफ इंजीनियर पर हरि की बखूबी कृपा है. वे इस फर्म में ही नहीं, बल्कि बगरू में HDPE पाईप फैक्ट्री में भी पार्टनशिप है.
इसी फर्म में दूसरे चीफ इंजीनियर का बेटा भी पार्टनर है. ये चीफ साहब कभी जयपुर मुख्यालय में नियुक्त नहीं हुए. यानि चीफ साहब सरकार को चूना लगाकर खुद मोटा मुनाफा कमा रहे है. विभाग में ओएसडी की दौड़ में चल रहे एक एक्सईएन तो अपने भाई की फर्म में ही पार्टनर है. इसके अलावा फागी की एक फर्म में अधीक्षण अभियंता भी सहयोगी है और ये एसई साहब तो एक्सईएन रहते एसीबी में ट्रैप भी हो चुके है.
विपिन जैन की मिलीभगत पहले ही सामने आई
बात जब अधीक्षण अभियंता की कर ही रहे है तो विपिन जैन का नाम तो सबके सामने आ ही गया है. जलदाय विभाग की जांच में ये सामने आया था कि अपने रिश्तेदार मैसर्स निहालचंद जैन से मिलीभगत कर टेंडर हासिल किए. इस मामले में तो अधीक्षण अभियंता पर कार्रवाई हुई और ना ही फर्म पर.जैसलमेर में एक ठेकेदार का बेटा जेईएन है. जोधपुर के एक सहायक अभियंता भी इसी तरह की पार्टनरशिप में लगे है.
लेकिन सबसे बडा सवाल ये है कि अधीक्षण अभियंता रामचंद्र रॉड और दूसरे इंजीनियर्स की फर्मों को किन किन का संरक्षण मिला.क्या जलदाय विभाग को इन मामलों में जांच नहीं करनी चाहिए. क्या दोषी इंजीनियर्स और फर्मों पर कार्रवाई करेगी.