Neck pain in winter: गर्दन दर्द से परेशान हैं तो फॉलो करें ये आसान टिप्स, जिंदगी भर नहीं होंगे परेशान
Neck pain Symptoms and causes in winter: हमारे शरीर का सबसे जरूरी हिस्सा गर्दन होता है, जिसमें स्पाइनल बोन्स, मांसपेशियां और कई तरह के टिशूज शामिल होते हैं. शरीर के अन्य महत्वपूर्ण हिस्सों के विपरीत, गर्दन ढकी हुई नहीं होती और इसलिए इसमें चोट लगने का खतरा बना रहता है. गर्दन में खिंचाव की समस्या बहुत आम-सी बात है और इसलिए गर्दन दर्द का सामना भी करना पड़ जाता है.
Neck pain Symptoms and causes in winter: सर्दी का मौसम आते ही बहुत से लोगों को गर्दन की दाईं तरफ दर्द की शिकायत रहती है. गर्दन में दर्द होने के पीछे कई कारण होते हैं. कई बार यह कारण काफी मामूली होते हैं, लेकिन कई बार यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. गर्दन के दर्द से राहत पाने के लिए लोग दवाई या घरेलू उपायों का सहारा लेते हैं. हालांकि कई बार यह मामूली-सा दर्द किसी खतरनाक बीमारी का संकेत भी हो सकता है.
गर्दन दर्द की समस्या को ही सर्वाइकल पेन भी कहा जाता हैं और गर्दन से जुड़ी हुई और गुजरकर जाने वाली सर्वाइकल स्पाइन में जब दर्द होता है, तो उसे ही सर्वाइकल पेन कहते हैं और ऐसा अक्सर हड्डियों के टूटने से होता है. इसके साथ ही आयु के बढ़ने के विपरित कईं दूसरे कारण भी होते हैं, जो गर्दन दर्द की समस्या पैदा करते हैं, जैसे- गर्दन में चोट, लिगामेंट का कठोर हो जाना और गर्दन का लंबे वक्त तक किसी असुविधाजनक स्थिति में रहना.
क्या होता है गर्दन का दर्द
भारत में गर्दन में दर्द होने की परेशानी बहुत तेजी से बढ़ रही है. शरीर का संतुलन बिगड़ने के कारण गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है और आज कल की कार्य जीवन शैली जैसे मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर ने इस खतरे को काफी गंभीर बना दिया है. आज के समय में ज्यादातर लोग अपना काम या फिर बिना काम के कईं घंटों तक लगातार मोबाइल और कंप्यूटर पर झुके रहते हैं और इस वजह से यह दिक्कत बहुत आम-सी बात हो गई है. अगर समय रहते गर्दन दर्द का इलाज नहीं कराया गया तो सर्वाइकल पेन हो जाता है और एक बार सर्वाइकल हो गया तो यह सिर्फ गर्दन तक सीमित नहीं रहता बल्कि धीरे-धीरे शरीर के दूसरे भागों को भी प्रभावित कर उन्हें भी अपनी पकड़ में ले लेता है.
क्यों होता है गर्दन दर्द
अक्सर जब हम सोकर उठते हैं तो हमें गर्दन में दर्द या अकड़न महसूस होती है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे ऊंचे तकीये के ऊपर सिर रखना, हार्ड गद्दे पर सोना या फिर रात में सोते समय नींद में गर्दन टेढ़ी हो जाना. इसके अलावा जब आप कम्यूटर या लैपटॉप पर एक ही पोजीशन में घंटों बैठकर काम करते हैं, तो इससे भी गर्दन में अकड़न आ जाती है. इसके साथ ही किसी दुर्घटना या घाव लगने पर भी गर्दन का दर्द हो सकता है, क्योंकि चोट लगने पर मांसपेशियों में खिंचाव आना स्वभाविक
है.
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ऐसे कर सकते हैं गर्दन दर्द के लक्षणों की पहचान
- गर्दन का कठोर या सख्त होना.
- गर्दन में कठोरता का आभास होता है, चाहकर भी गर्दन को ज्यादा हिला नहीं सकते और अगर सामान्य तरीके से गर्दन को घुमाते हैं तो भारी दर्द होता है.
- गर्दन में दर्द होना.
- गर्दन में अधिकांश समय दर्द का आभास होना और तमाम घरेलू उपचारों के बाद भी ठीक न होना और गर्दन में असहनीय पीड़ा का अनुभव करना.
- हाथ, पैर और पैर के पंजों का सुन्न हो जाना.
- गर्दन में दर्द होने का एक बड़ा विचित्र लक्षण यह भी होता है कि यदि आपको गर्दन दर्द हो रहा है या होने वाला है तो आपके हाथ, पैर और पंजे अचानक सुन्न हो जाएंगे.
- मस्तिष्क के पिछले भाग और दोनों कंधों में दर्द का अनुभव होना.
- गर्दन से जुड़ें दो अन्य भाग हैं. एक है गर्दन का पिछला और निचला भाग और दूसरे हैं हमारे कंधे. गर्दन दर्द या जिसे सर्वाइकल पेन कहते हैं, अगर यह समस्या आपको हो रही है या होने वाली है, तो आप गर्दन की पिछली तरफ और कंधों में दर्द का अनुभव करेंगे.
- शरीर को संतुलित करने में असमर्थ होना या ठीक से नहीं चल पाना.
- एक और लक्षण गर्दन दर्द में देखा जाता हैं, यदि शरीर में कमजोरी है और चलने में दिक्कत का आभास हो रहा है, तो आपको गर्दन दर्द की शिकायत हो सकती है.
- मांसपेशियों में अकड़न महसूस करना.
- शरीर के किसी भी भाग में विशेषकर कमर से ऊपर की मांसपेशोयों में अकड़न का अनुभव कर रहे हैं, तो यह गर्दन दर्द का सुचक हो सकती है.
कैसे करें गर्दन के दर्द का इलाज
- गर्दन की बर्फ से सिकाई करें
- गर्दन की मालिश करें
- सेंधा नमक से सिकाई करें
इसके साथ ही इन बातों का भी खास ध्यान रखें
- काम करने के लिए हमेशा टेबल और चेयर का इस्तेमाल करें और बेड पर बैठकर काम करने से बचें.
- लैपटॉप और आंखों का लेवल 90 डिग्री पर होना चाहिए.
- लंबे सयम तक काम करने के लिए लैपटॉप के बजाय डेशबोर्ड का इस्तेमाल करना चाहिए.
- हर 40 मिनट के बाद वॉक करना चाहिए.
- रात को सोने के लिए पतला और हल्का तकिया इस्तेमाल करना चाहिए.
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