Jaipur: राजस्थान में मंत्री परिषद (Council of Ministers) के विस्तार के साथ ही कांग्रेस के अंदरूनी सियासी मैदान में फील्डिंग सेट कर दी गई है. अब तो मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर मैदान में सबकी पोजिशनिंग भी कर दी गई है. वहीं, 12वें खिलाड़ी के तौर पर कुछ लोगों को सीएम का सलाहकार तक बना दिया गया है, लेकिन जो लोग पवेलियन में बैठ कर अपनी बारी का इंतजार करते रह गए उनका क्या होगा. इस बात की चिंता हर कांग्रेसजन के जेहन में उठ रही है.


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हालांकि रविवार को पीसीसी (PCC) दफ्तर में हुई बैठक में सीएम गहलोत ने स्थिति साफ करने की भरपूर कोशिश की, लेकिन क्या सीएम की दी गई घुटी काफी है. क्योंकि जिस वक्त मंत्री परिषद के लोग शपथ ले रहे थे...उस वक्त अपनी जगह तलाश रहे लोगों के अंदर जो बेचैनी थी. वो बाहर आने के लिए बेताब थी. मचल रही थी. कुछ लोगों ने मुंह भी खोला, लेकिन दर्द और अनदेखी की वजह से उनके स्वर मद्धिम थे. अब मंत्री परिषद विस्तार के तौर जिस यज्ञ को आहुत किया गया था उसका समापन हो गया है, लेकिन एक सवाल अभी भी कायम है कि क्या सीएम अशोक गहलोत, प्रभारी महासचिव अजय माकन और सचिन पायलट ने साथ बैठ कर जो शांति पाठ किया. वो अपना असर दिखाएगा. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सीएम के नवनियुक्त सलाहकार रामकेश मीणा ने अपने पहले बयान में ही सचिन पायलट को निशाने पर रखा और उन पर आलाकमान को गुमराह करने की तोहमत लगा दी. वहीं, विपक्ष हर राजनीतिक घटनाक्रम पर दीठ गड़ाए बैठा है और कमजोर कड़ी का मौका देख रहा है.


सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने पहले के कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल भी किया है. विभागों के बंटवारे के बाद जिसको जो मिला उससे वो कितना संतुष्ट है ये तो बाद में सामने आएगी, लेकिन फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कायम गतिरोध थम गया. अब कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता साथ मिलकर काम करने की बात कर रहे हैं. मंत्री परिषद में जगह पाने की उम्मीद में जो विधायक बैठे रह गए. उनमें से 6 लोगों को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाया गया है, लेकिन सीएम के नव नियुक्त सलाहकार रामकेश मीना ने सचिन पायलट को लेकर जो बयान दिया है. वो भविष्य में कांग्रेस की सियासत की ओर इशारा कर रहा है.


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विपक्ष में बैठी बीजेपी प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर बारीक नजर बनाए हुए हैं. बीजेपी ने सीएम के 6 सलाहकारों की नियुक्ति पर सवाल उठाया है और उसे अवैधानिक बताया है. उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कुछ लोगों की योग्यता पर भी सवाल खड़ा किया है.


मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बहाने बीजेपी उन विधायकों को भड़काने की कोशिश कर रही है, जो मंत्री पद के लालच में सरकार बचाने के लिए आगे आए थे. ये तो तय है कि कोई भी सियासी पार्टी अपने से जुड़े हर किसी को संतुष्ट नहीं कर सकती....सियासत मौका...मजबूती महत्वाकांक्षा और टाइमिंग की दासी होती है. सब संयोग आपके पक्ष में है तो सियासत आपके इशारों पर ता -ता- थैया करेगी.