Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में कोरोना (Corona) के चलते शराब उठाव में छूट को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा है कि छूट देना सरकार का विवेकाधिकार है. छूट देने के संबंध में आदेश देना अदालत का क्षेत्राधिकार नहीं है. याचिकाकर्ता व्यवसायी इस संबंध में राज्य सरकार के समक्ष अपनी बात रखे. 


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न्यायाधीश एसपी शर्मा (SP Sharma) ने यह आदेश 121 याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने आबकारी नीति (Excise Policy) को स्वीकार करते हुए ऊंची बिड लगाई थी. उनके नुकसान को सरकार के कंधों पर नहीं डाला जा सकता है. याचिकाओं में कहा गया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में करीब सत्तर फीसदी समय शराब की दुकानें बंद रही हैं. 


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इसके अलावा राज्य सरकार ने समय-समय पर आदेश जारी कर इन दुकानों के खुलने की अवधि में भी कटौती की थी, जिसके चलते शराब की बिक्री काफी प्रभावित हुई. ऐसे में उन्हें इस अवधि में करीब सत्तर फीसदी मासिक उठाव के शुल्क की छूट दी जाए. वहीं, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ताओं को कोरोना के हालातों की पूरी जानकारी थी. आबकारी नीति के तहत सरकार दुकान खुलने की अवधि पर निर्णय कर सकती है. सरकार ने मई और जून माह में तीस फीसदी और पन्द्रह फीसदी की छूट दी थी. याचिकाकर्ताओं को छूट लेने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है इसलिए याचिकाओं को खारिज किया जाए. 


Reporter- Mahesh Pareek