Alwar: देशभर में नवरात्रि (Navratri Puja) की धूम है. अलवर शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर अरावली की पर्वतमालाओं (Aravalli Range) की गोद मे स्थित है करणी माता का मंदिर, जिसका निर्माण पूर्व महाराज बख्तावर सिंह (Raja Bakhtawar Singh) ने कराया था. जिनका कार्यकाल 1792 से 1815 तक रहा, आज इस मंदिर में हर बार नवरात्रों में साल में दो बार लक्खी मेला (Lakkhi Mela) भरता है.


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अलवर शहर के बाला किला क्षेत्र स्थित करणी माता मंदिर (Karni Mata Temple) की महिमा दूर-दूर तक फैली है, अरावली की पर्वत मालाओं में बाला किला क्षेत्र स्थित रियासतकालीन करणी माता मंदिर का निर्माण पूर्व महाराजा बख्तावर सिंह के समय में बना था. करणी माता मंदिर के पुजारी उमेश शर्मा के अनुसार पूर्व महाराज की एक बार तबियत ज्यादा खराब हो गयी थी. कोई वैध हकीम उनका इलाज नहीं कर पाया था, महाराज की सेना में शामिल चरण के कहने पर महाराज ने करणी माता का ध्यान लगाया तब बीमारी की अवस्था में माता ने उन्हें सफेद चील के रूप में दर्शन दिए थे और बीमारी से ठीक होने के उपाय बताए. उसके बाद महाराज ने स्वस्थ होने के बाद अलवर के बाला किला क्षेत्र में करणी माता का मंदिर बनवाया था.


पुजारी ने बताया अलवर का करणी माता का मंदिर बीकानेर (Bikaner) की करणी माता मंदिर की तर्ज पर बना हुआ है. मंदिर तक पहुंचने के लिए दो मार्ग है जिसमें एक सड़क मार्ग है, जो बाला किला तक जाता है. वहीं दूसरा मार्ग किशनकुण्ड से होता हुआ पहाड़ी मार्ग से मंदिर तक पहुंचता है, इस रास्ते से भक्त पैदल-पैदल मंदिर दर्शन करने जाते हैं.


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बारिश के मौसम में इस क्षेत्र में हरियाली छाई रहती है, इससे मंदिर में आने वालों के साथ धार्मिक पर्यटकों की भी भीड़ पहुंचती है. अब बाला किला वन क्षेत्र के अधीन होने से यहां प्रतापबंध गेट पर वन विभाग की चौकी बनी है, जहां इस बफर जॉन में पर्यटकों के लिए सफारी की व्यवस्था भी की गई है. माता के दर्शन करने पर्यटक सफारी से भी पहुंचते हैं.


नवरात्रों में यहां साल में दो बार लक्खी मेला भरता है, जहां 9 दिनों तक भक्तों की भारी भीड़ माता के दर्शनों के लिए पहुंचती है. कोरोना (Covid 19) के चलते राज्य सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के तहत इसबार भी मेला नहीं भरा जा रहा. पिछले तीन बार से कोरोना के चलते मेला नहीं भरा जा रहा, इन दिनों सुबह शाम मंदिर में आरती की जा रही है, माता को रोजाना नई पोशाक पहनाकर फूलों से सजाया जा रहा, यहां सुबह शाम भक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं. पाबंदियों के चलते इस बार न भंडारे हो पा रहे हैं और न ही दुकानें सजी है.