विश्व विख्यात है अमरसर में स्थित काली माता का मंदिर, बेहद अनोखी है मान्यता
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1003725

विश्व विख्यात है अमरसर में स्थित काली माता का मंदिर, बेहद अनोखी है मान्यता

मंदिर में कालीमाता के दर्शन के लिए सीढ़ियों पर चढ़ना होता है और करीब 451 सीढ़ियां चढ़ने पर माता के दर्शन होते हैं. 

मंदिर में कालीमाता के दर्शन के लिए सीढ़ियों पर चढ़ना होता है और करीब 451 सीढ़ियां चढ़ने पर माता के दर्शन होते हैं.

Chomu: जयपुर जिले के अमरसर में स्थित काली माता (Kali Mata) का विश्व विख्यात मंदिर है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

नवरात्रि के दौरान मंदिर में भीड़-भाड़ होती है तो वहीं, मेले का आयोजन होता है, जहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं लेकिन कोरोना (Corona) की वजह से इस बार भी मेले का आयोजन नहीं हो पाया.

यह भी पढ़ें- विश्व विख्यात है अमरसर में स्थित काली माता का मंदिर, बेहद अनोखी है मान्यता

चौमूं अजीतगढ़ स्टेट हाईवे पर जयपुर से 75 किलोमीटर और अमरसर गांव से 5 किलोमीटर दूरी पर अरावली पर्वतमाला की एक पहाड़ी पर कालीमाता का मंदिर स्थित है. मंदिर में पहुंचने के लिए करीब 451 सीढ़ियां हैं. भामाशाहों की मदद से सीढ़ियों पर टिन शेड की छाया की गई है. 

क्या है मान्यता इस मंदिर की
स्थानीय लोगों की मानें तो यह मंदिर महाभारत काल के समकालीन है. लोकमत के अनुसार, अमरसर गांव के लकड़हारे चूहा भक्त को साक्षात दर्शन देकर मंदिर निर्माण का आदेश देकर काली माता पिंडी रूप में परिवर्तित हो गईं और उसी स्थान पर आज यह मंदिर स्थित है.

यह भी पढ़ें- लकवा रोगियों को ठीक करती हैं बिजासन माता, हजारों लोगों का हो चुका है इलाज

451 सीढ़ियां होती हैं चढ़नी
मंदिर में कालीमाता के दर्शन के लिए सीढ़ियों पर चढ़ना होता है और करीब 451 सीढ़ियां चढ़ने पर माता के दर्शन होते हैं. मंदिर की तहलटी में शिव मंदिर, भैरव मंदिर एवं माता कालिका चतुर्भुजा विग्रह स्थापित है. मंदिर में धर्मशाला है. मंदिर में दिन में ही दर्शन कराये जाते हैं और रात को पहाड़ी पर जाने पर रोक लगाई गई है क्योंकि पहाड़ी पर कई तरह के जंगली जानवर भी निवास करते हैं. 

कालीमाता अमरसर व आसपास के गांवों के लोगो की कुल देवी मानी जाती हैं तथा जात और जड़ूले उतारने बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर में शुद्ध-सात्विक प्रसाद चढ़ता है. मंदिर में लहसुन-प्याज निषेध है.

 

Trending news