कभी मुगल शासक अकबर भी मांगते थे इस मंदिर में मुराद, यहां होती है हर मनोकामना पूरी
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कभी मुगल शासक अकबर भी मांगते थे इस मंदिर में मुराद, यहां होती है हर मनोकामना पूरी

नवरात्रों की शुरुआत के साथ ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी है, ऐसे में हनुमानगढ़ (Hanumangarh) में मुगल बादशाह अकबर (Mughal Emperor Akbar) द्वारा बनवाये गए मां भद्रकाली (Maa Bhadrakali) मंदिर का नवरात्रों में विशेष महत्व है.

मां भद्रकाली

Hanumangarh: नवरात्रों की शुरुआत के साथ ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी है, ऐसे में हनुमानगढ़ (Hanumangarh) में मुगल बादशाह अकबर (Mughal Emperor Akbar) द्वारा बनवाये गए मां भद्रकाली (Maa Bhadrakali) मंदिर का नवरात्रों में विशेष महत्व है. नवरात्रों की शुरुआत के साथ ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है.

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हनुमानगढ़ टाऊन के पास वर्तमान घग्घर नदी और विलुप्त सरस्वती नदी (Sarasvati River) किनारे स्थित मां भद्रकाली के मंदिर का अपना ऐतिहासिक महत्व है. किवदंतियों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था. एक बार मुगल बादशाह अकबर अपनी सेना के साथ इधर से गुजर रहा था कि उसको भूख-प्यास लगी तब उसको मां भद्रकाली ने दर्शन देकर पूरी सेना की भूख-प्यास मिटाई, जिससे उपरांत अकबर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार मुख्य मूर्ति के पीछे लगी मूर्ति ही वो मूर्ति है जिसे मुगल शासक ने निर्माण के बाद मंदिर में स्थापित करवाया था.

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मां भद्रकाली के इस मंदिर में प्रतिवर्ष बड़ा मेला लगता है और इसमें दूरदराज के राज्यों से श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं. मुगल शैली में निर्मित इस मंदिर की व्यवस्था की जिम्मेदारी देवस्थान विभाग की है और विभाग को इस मंदिर से प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आय होती है. मुगल शैली से निर्मित यह मंदिर सम्भवतः उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि माता के इस प्राचीन मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. विलुप्त सरस्वती नदी और वर्तमान की घग्घर नदी (Ghaggar River) के किनारे स्थित मां भद्रकाली के इस मंदिर में दूरदराज के राज्यों के श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है और सालभर यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है.

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