Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी का व्रत, करें अपने पापों का प्रायश्चित, श्रीहरि हरेंगे कष्ट
Papmochani Ekadashi 2023: यदि व्यक्ति ने किसी भी प्रकार का पाप किया है तो पापमोचनी एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय कर अपने पापों का प्रायश्चित कर भगवान श्रीहरि को प्रसन्न कर सकते है.
Papmochani Ekadashi 2023: 18 मार्च 2023 पापमोचनी एकादशी है. इस दिन भक्त व्रत रख श्रीहरि का जाप करते हैं. अपने नाम के मुताबिक पापमोचनी एकादशी पाप को हरने वाली एकादशी है. युगों युगों से सनातन घर्म में एकादशी के दिन व्रत रख लोग पुण्य के भागी बनते हैं. पापमोचनी एकादशी के दिन इस दिन लोग घरों के अलावा मंदिरों में जाकर अपने पापों के लिए प्रायश्चित करते है. इस दिन कैसे अपने पापों को प्रायश्चित करें और इस दिन विशेष उपाय कर जीवन में आ रही परेशानी को खत्म कर सकते है. जानें पंडित जे. पी. शास्त्री ने क्या कहा.
पापमोचनी एकादशी के दिन करे ये विशेष उपाय
पंडित शास्त्री जी ने कहा यदि व्यक्ति ने किसी भी प्रकार का पाप किया है तो पापमोचनी एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय कर अपने पापों का प्रायश्चित कर भगवान श्रीहरि को प्रसन्न कर सकते है. साथ ही पापों की वजह से जीवन में आ रही आर्थिक तंगी के आलावा ढेरों परेशानी से मुक्ति पा सकते है. भगवान विष्णु की शरण में जाने वाले भक्तों के पाप श्रीहरि के नाम जपने मात्र से पाप ऐसे नष्ट हो जाते हैं जैसे सूर्य के उदय होने पर कोहरा छट जाता है.
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पापमोचनी एकादशी पर श्रीहरि भक्तों के हरेंगे कष्ट
हिंदू धर्म में के शास्त्रों में कहा गया है कि पापों की बजाय मनुष्य को पुण्य कर्म करने चाहिए. अगर जीवन में कभी कोई किसी भी प्रकार की गलती हो गई हो तो प्रायश्चित करना ही एक मात्र रास्ता है. धरती पर जन्म लेने वाला कोई भी ऐसा मनुष्य हीं है जिससे जाने अनजाने कोई पाप ना हुआ हो. पाप जीवन में की गई गलतियां है जिसके लिए हमें दंड भोगना पड़ता है. शास्त्रों के अनुसार पाप के दंड से बचा जा सकता हैं या कम हो सकता है अगर पापमोचिनी एकादशी का व्रत रख भगवान विष्णु की शरण में जाकर अपने जीवन में किए गए अपराध कबूलें और प्रायश्चित करने के लिए धर्म कर्म करें.
भगवान राम ने भी किये थे प्रायश्चित
बता दें कि हर युग में पाप का प्रायश्चित करने के लिए देवगण, मनुष्य .या साधुमुनि प्रायश्चित करते आये है. त्रेता युग में भगवान राम ने रावण का वध किया था. इस कारण भगवान राम पर भी ब्रह्महत्या का दोष लगा था. इस दोष से मुक्ति के लिए उन्होंने कपाल मोचन में धोर तप किया था. इसके बाद वे ब्रह्महत्या दोष से मुक्त हुए थे.
पापमोचनी एकादशी कर रहे हैं तो जरूर जान लें ये नियम
पापमोचनी एकादशी के एक दिन पहले किसी कारणवश निराहार रहकर व्रत करना संभव न हो तो एक बार भोजन करें, जिसमें रोटी का ही सेवन करें. चावल बिल्कुल भी ना खाएं.
पूजा स्थल में एक चौकी पर पीला वस्त्र लगाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की फोटो या मूर्ति को स्थापित करें.
मंदिर में पूजा की शुरुआत से पहले 7 वेदी बनाकर (उड़द, मूंग, जौ, चना, गेंहू, बाजरा और चावल) रखें. वेदी के ऊपर ही कलश की स्थापना करें, वह कलश आम या अशोक के 5 पत्तों से सजा होना चाहिए.
इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, पीले रंग की मिठाई और तुलसी अर्पित करें. प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसी दल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए.
घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु की आरती करें. एकादशी की रात्रि में शयन नहीं करना चाहिए, बल्कि श्री हरि विष्णु के भजन कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए.
अगले दिन विष्णु जी की अराधना करके दान दक्षिणा का कार्य करें और अपने व्रत को पारित करें. इस दिन भी चावल का सेवन ना करें.
पापमोचनी एकादशी व्रत में शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं.