Jaipur: राजस्थान में पेट्रोल-डीजल का संकट बढ़ता ही जा रहा है. पंप संचालक से लेकर काश्तकार और आम उपभोक्ता परेशान हैं. राजधानी जयपुर में सौ से ज्यादा पेट्रोल पंप ड्राई हो चुके हैं और राजस्थान में ये आंकड़ा 2 हजार से पार पहुंच चुका है. बीपीसीएल और एचपीसीएल ने सप्लाई पर बैरियर लगा दिया है. पेट्रोलियम डीलर्स की मांने तो दोनों कंपनियां डिमांड की तुलना मे 33 फीसदी ही सप्लाई कर रही हैं.


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राजस्थान में BPC-HPCL के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल का संकट बढ़ता जा रहा है. इससे पहले रिलायंस और एस्सार जैसी निजी तेल कंपनियों ने पहले से ही अपने पंपों पर ब्रिकी बंद कर दी है. जिसका लोड तीनों तेल कंपनियों के पेट्रोल पंपों पर आ गया है. प्रदेश के 4 बड़े डिपो से तेल नहीं मिलने के कारण पंप ड्राई होने लगे हैं. जयपुर रीजन में 100 से ज्यादा पंप ड्राई हो गए हैं. ऐसा ही हाल जोधपुर, अजमेर में देखने को मिल रहा है. डिमांड और एडवांस भुगतान के बावजूद 3 दिन से डिपो से तेल नहीं दिया जा रहा. शहर को छोड़ ग्रामीण क्षेत्रों-हाईवे स्थित कई पंपों पर इमरजेंसी का ही तेल बचा है.


उपभोक्ताओं को पेट्रोल पंपों से वापस लौटाया जा रहा है. राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने पेट्रोलियम मंत्री हरदीपसिंह पुरी को पत्र भेजा है. इसमें लिखा कि 13 जून को एचपीसीएल के तेल नहीं देने से कंपनी के अधिकांश पेट्रोल पंप ड्राई हो गए हैं. कई पंप 11 जून से ड्राई हैं, लेकिन ऑयल कंपनी के अधिकारी बात करने को तैयार नहीं हैं. बगई ने बताया कि इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार उछली हैं. क्रूड की दर 120 डॉलर प्रति बैरल तक हो गई है. कुछ दिन पहले अब तक के उच्चतम स्तर 121.28 डॉलर हो गई थी. इस अनुपात में सरकारी कंपनियां तेल की कीमतें नहीं बढ़ा पा रहीं. महंगाई दर रोकने के लिए सरकार ने 2 माह से कीमतें स्थिर की हैं.


पेट्रोल में 18 और डीजल में 21 रुपए प्रति लीटर का नुकसान होना बताया जा रहा है. लागत के मुकाबले कम ईंधन मिलने से भी घाटा हो रहा है. तीनों कंपनियों को नवंबर 2021 के मुकाबले पंप पर बिकने वाले तेल के दाम लागत के मुकाबले कम हैं. पेट्रोल पंपों पर दरें 85 डॉलर प्रति बैरल के मानक के अनुसार हैं. राजस्थान में रिलायंस के 110 और एस्सार कंपनी के 919 पेट्रोल पंप हैं. गांवों में खासकर मेगा हाईवे और छोटे हाईवे किनारे एस्सार के पंप ज्यादा हैं. अब वहां कांटे या बेरियर लगाकर वाहनों को अंदर आने से रोका जा रहा है. इन निजी पंपों को गत साल की बिक्री के आधार पर नुकसान की भरपाई करने का वादा किया गया है. कई पंप तो एक माह से बंद हैं. ऐसे ही हालात अब सरकारी कंपनियों के पंपों पर हो सकते हैं.


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