Jaipur: जयपुर में पिछले दो दिन से बीसलपुर सप्लाई के पानी की गुणवत्ता को लेकर  स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी  को कई शिकायतें मिल रही थी. जिसको लेकर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने अधिकारियों को इसकी मॉनिटरिंग और गुणवत्ता में सुधार के निर्देश दिए है. पिछले तीन दिन से दिल्ली में होने के कारण जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री वहीं से इसकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे है.  उन्होंने अधिकारियों को पेयजल आपूर्ति व्यवस्था पहले की तरह सुचारू बनाने, जलापूर्ति की निरंतर मॉनिटरिंग करने तथा उपभोक्ताओं को गुणवत्ता युक्त पेयजल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.


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जलदाय मंत्री ने अधिकारियों से पेयजल गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के बारे में विस्तृत जानकारी ली और उस पर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. जलदाय मंत्री को अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो दिनों में पानी में पीलेपन की शिकायतें जरूर आई हैं लेकिन कहीं भी गंदा पानी या गंध आने की शिकायत नहीं मिली  है. 


बीसलपुर बांध से आपूर्ति किये गये पानी में पाया गया है कि पीलापन मानकों की निर्धारित स्वीकार्य अधिकतम सीमा के भीतर ही था . इसके पूर्णतया पीने योग्य होने से आमजनता के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है.
फिल्टर प्लांट में पीएसी की डोज बढ़ाई


जलदाय मंत्री को बीसलपुर के  मुख्य रसायनज्ञ,  आपूर्ति से जुड़े अभियंताओं ने अवगत कराया कि पानी में पीलेपन की शिकायतें जरूर थी लेकिन उसमें बदबू, गंदलापन नहीं था. रंग परिवर्तन होने के बाद भी यह पानी किसी भी तरह से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं था जो सैम्पल लिए गए उनमें जीवाणु परीक्षण एवं केमिकल एनालिसिस के परिणाम संतोषप्रद मिले हैं. पानी के रंग मानकों में जो वृद्धि हुई थी, वह भारतीय मानक ब्यूरो के जरिए निर्धारित गुणवत्ता की अधिकतम स्वीकार्य सीमा में थी.


बता दें कि बीसलपुर बांध से आने वाले रॉ - वॉटर के रंग में कुछ बदलाव की जानकारी मिलते ही गांधी नगर स्थित मुख्य प्रयोगशाला में इसके सैम्पल भेजे गए थे.  सैम्पल रिपोर्ट प्राप्त होते ही सूरजपुरा स्थित मुख्य फिल्टर प्लांट में पॉली एल्यूमिना क्लोराइड (पीएसी) की डोज 30 पीपीएम से बढ़ाकर 35 पीपीएम एवं बाद में आवश्यकतानुसार 38 पीपीएम कर दी गई.
एक दिन में ही नियंत्रण में आई स्थिति


उल्लेखनीय है कि भारतीय मानक ब्यूरो के जरिए तय मानकों के अनुसार पेयजल के लिए सप्लाई किए जाने वाले पानी में रंग की मात्रा की अधिकतम  सीमा 15 हेजन यूनिट्स है. 15 सितंबर  को शहर के विभिन्न स्थानों पर पेयजल के नमूनों में रंग की मात्रा 15 हेजन यूनिट्स से कम पाई गई है. शुक्रवार को लिए गए पेयजल नमूनों में यह घटकर 5 हेजन यूनिट्स से कम मिली है, जो कि पानी की गुणवत्ता के लिहाज से बेहतर पाई गई है. अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को स्थिति पूरी तरह से सामान्य हो जाएगी.
धिकतर सैम्पल का परिणाम संतोषप्रद


अधिकारियों ने बताया कि विभागीय प्रयोगशाला के जरिए जयपुर शहर में विभिन्न स्थानों पर वितरित पेयजल के 98 जल नमूने जीवाणु परीक्षण के लिए एकत्रित किये थे. इनमें से 62 का परिणाम सन्तोषप्रद मिला है, 36 जल नमूनों का परिणाम लंबित है. रासायनिक परीक्षण के लिए 72 जल नमूने एकट्ठे किये गये थे, जिनका परीक्षण परिणाम सन्तोषप्रद मिला है. रंग तथा गंधलेपन की जांच के लिए 42 जल नमूनों का परीक्षण किया गया जिनका परिणाम भी सन्तोषप्रद पाया .
450 स्थानों पर की गुणवत्ता जांच ,मंत्री  के निर्देश के बाद में हुई जांच
मंत्री  के निर्देश के बाद में ACE  RC मीना ने पानी की जांच करवाई.  दो दिनों में जयपुर शहर में फील्ड अभियंताओं के जरिए 450 स्थानों पर पेयजल मात्रा की जांच की जिसमें  गुणवत्ता संतोषजनक पाई गई. ये सैंपल मुख्यतः विद्याधर नगर, परकोटा क्षेत्र, अम्बाबाडी, शास्त्री नगर, झोटवाडा, मुरलीपुरा, ब्रह्मपुरी, ईदगाह, वन विहार कॉलोनी, ट्रांसपोर्ट नगर, गलतागेट, लक्ष्मीनारायणपुरी, सिविल लाइन्स, बनीपार्क, गांधीनगर, ज्योति नगर, गोपालबाडी, मालवीय नगर, महेश नगर, चित्रकुट नगर, प्रताप नगर, सांगानेर, मानसरोवर आदि स्थानों पर एकत्र किए गए थे.


जलदाय मंत्री के निर्देशों के बाद विभाग के वरिष्ठ रसायनज्ञों ने शुक्रवार को सूरजपुरा फिल्टर प्लांट में जाकर वहां से पानी के सैंपल एकत्र किए जिन्हें जांच के लिए जयपुर की मुख्य प्रयोगशाला भेजा गया. जिसकी अधिशाषी अभियंता, सहायक अभियंता एवं कनिष्ठ अभियंता लगातार मॉनिटरिंग करते हुए गुणवत्ता की जांच कर रहे हैं.


इस तरह की जानकारी मिलने पर डॉ. जोशी के निर्देशों के बाद सूरजपुरा जलशोधन संयंत्र का संचालन एवं संधारण कर रही फर्म मैसर्स जी.सी. के.सी. को संविदा की शर्तों के अनुरूप नोटिस जारी किया गया है. साथ ही, अधिशाषी अभियन्ता, सहायक अभियंता एवं कनिष्ठ अभियन्ता को भी नोटिस जारी कर तीन दिन में इस सम्बंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है.


गौरतलब  है कि बीसलपुर बांध में पानी की निरन्तर आवक बनी हुई है. गेट खोल कर पानी की निकासी भी की जा रही है. ऐसे में बीसलपुर बांध में इन्टेक बैल के समीप काफी टर्बूलेंस है. पानी की बढ़ी हुई आवक से भी टर्बूलेंस में और बढ़ोतरी हुई है. साथ ही, बारिश से उत्पन्न नमी से एल्गी की मात्रा में भी वृद्धि हुई है.बारिश के मौसम में बांध के पानी की गुणवत्ता भी परिवर्तिनशील प्रकृति की रहती है.


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