नारी सम्मान पर PM की बड़ी बातें, जानिए सेना, सियासत और सुप्रीम कोर्ट में क्या है हालात
सवाल उठता है कि आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद क्या देशी की आधी आबादी को वह सम्मान मिला है? जो उसके हकदार थे. महिलाओं को देश की बढ़ोतरी में वह जगह मिली है जो वह पाना चाह रही हैं या पाना चाहती थी. हमारे देश में किस क्षेत्र में कितनी महिलाएं देश के विकास में अपना योगदान दे रही हैं. आइए बताते है.
76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से नौंवी बार ध्वजारोहण किया. इस मौके पर उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत की विरासत से लेकर स्वतंत्रता सेनानियों, एकता और अखंडता समेत नारी सम्मान की बात का भी जिक्र. साथ ही पीएम ने देश की विविधता पर गर्व करने का आग्रह किया. पीएम मोदी ने लाल किले की प्रचीर से कहा कि हमारे बोलचाल और हमारे व्यवहार में विकृति आई है. उन्होंने लोगों से कहा कि नारी का अपमान करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प लें.
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पीएम मोदी ने देशवासियों को खासतौर पर महिलाओं को सम्मान करने की अपील की. साथ ही महिलाओं को अपमान नहीं करने का संकल्प दिलवाया. पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि 'जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं,' सवाल उठता है कि आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद क्या देशी की आधी आबादी को वह सम्मान मिला है? जो उसके हकदार थे.
महिलाओं को देश की बढ़ोतरी में वह जगह मिली है जो वह पाना चाह रही हैं या पाना चाहती थी. हमारे देश में किस क्षेत्र में कितनी महिलाएं देश के विकास में अपना योगदान दे रही हैं. यह भी जानना हमारे लिए जरूरी है. बात अगर राजनीति, खेल, सेना, जूडिश्यरी समेत अन्य क्षेत्रों की करें तो उसमें महिलाओं की भागीदारी आज भी औसत से कम है.
राजस्थान की राजनीति में भी महिलाओं की हिस्सेदारी कुछ बेहतर नहीं है.. 200 विधानसभा सीट में सिर्फ 27 महिलाएं विधायक हैं. मौजूदा दौर में गहलोत मंत्रिमंडल में सिर्फ तीन महिला मंत्री हैं. यह आंकड़ा जेंडर इक्वालिटी के लिए सही नहीं है. महिलाओं की हिस्सेदारी पर सरकार को गंभीर होना पड़ेगा.
संसद में महिलाओं की भगीदारी 15 फीसदी से भी कम
देश में महिलाओं की आबादी लगभग 49 फीसदी है. जिस संसद में कानून बनाए जाते हैं. वहां महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण लोकसभा और राज्यसभा में देने का बिल भी अभी तक पास नहीं हो सका है. लंबे समय से यह बिल अटका पड़ा हुआ है. लोकसभा में इस समय 543 सांसदों में 81 महिलाएं हैं। वहीं राज्यसभा की 237 सीटों में से 33 ही महिला सदस्य हैं। इस तरह संसद में 15 फीसदी से भी कम प्रतिनिधित्व है महिलाओं का.
खेलों में औसत से कम
वहीं, खेलों में भी बात करे तो पहले की अपेक्षा अब महिलाओं की हिस्सेदारी की स्थिति पहले से अच्छी हुई है, लेकिन संख्याबल आज भी पुरुषों के मुकाबले कम है. 1990 से ओलंपिक खेलों में महिलाओं ने हिस्सा लेना शुरू किया. इसमें 22 महिलाओं ने भाग लिया था. 2000 सिडनी ओलंपिक में 4 हजार से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी हुई थी. वहीं, टोक्यो ओलंपिक 2020 में महिलाओं की भागीदारी लगभग 49 प्रतिशत रही. टोक्यो ओलंपिक 2020 में दुनियाभर के कुल 11 हजार 90 खिलाड़ियों ने भाग लिया है. जिसमें 5 हजार 704 पुरुष और 5 हजार 386 महिला खिलाड़ी शामिल हुई.
सेना में महिलाओं की भागीदारी
सेना की बात करें तो हमारे देश की सेना में महिलाओं की भागदारी आज भी अच्छी नहीं है. 2019 के रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, नौसेना में सबसे ज्यादा 6.5 फीसदी महिलाएं हैं. एअरफोर्स में 1.08 फीसदी और थल सेना में 0.56 फीसदी महिला सैनिक हैं.
न्यायिक प्रक्रिया में महिलाओं की स्थिति
सुप्रीम कोर्ट की बात की जाए तो 33 न्यायधीशों में सिर्फ 4 ही महिला जज हैं. बाकी राज्यों में महिला जजों की संख्या आज भी बेहद कम है. सिक्किम और तेलंगाना हाईकोर्ट में 30 फीसदी महिला न्यायधीशों को छोड़कर बाकी हाईकोर्ट में महिला जजों की संख्या पुरुष न्यायाधीशों की अपेक्षा कम है.
35 फीसदी महिलाएं घरेलू हेल्पर के तौर पर कर रही काम
विश्व बैंक की रिपोर्ट की मानें तो 2019 में महिला वर्कफोर्स की हिस्सेदारी देश में 21 फीसदी से भी कम थी. 79 फीसदी महिलाएं नौकरी करने के काबिल थीं, लेकिन वे काम की तलाश नहीं कर रही थी. सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, देश में 35 फीसदी महिलाएं घरों में हेल्पर के तौर पर काम करती हैं. इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं की हिस्सेदारी पहले से ज्यादा हुई है.
हर दिन 76 महिलाओं का होता है रेप, दहेज हिंसा के चलते 19 महिलाओं की मौत
महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. देश में हर दिन 76 से ज्यादा महिलाएं दुष्कर्म की शिकार हो रही हैं. वहीं दहेज हिंसा की वजह से रोजाना 19 महिलाएं मर रही हैं. देश में हर दिन महिला अपराध के एक हजार से ज्यादा मामले दर्ज होते हैं. प्रतिदिन 300 से अधिक महिलाएं अपने पति या फिर उनके रिश्तेदारों से हिंसा का सामना करती हैं.
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