Satish Poonia on Ashok Gehlot: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर की सड़कों की खस्ता हालत पर सार्वजनिक कार्यक्रम में ही अधिकारियों की खिंचाई कर दी. मंगलवार को सीएम के बयान की मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया में भी खूब चर्चा रही. उन्होंने सड़कों की दुर्दशा पर अधिकारियों की खूब खिंचाई की तो साथ ही यह भी कह दिया कि कम से कम सीएम के गृह क्षेत्र में तैनात हो तो सड़कों का ध्यान तो रखते. अब मुख्यमंत्री के इस बयान पर बीजेपी ने भी तंज कसना शुरू कर दिया है. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया कहते हैं कि मुख्यमंत्री को जोधपुर शहर में ही महज दस किलोमीटर का सफर भी हैलिकॉप्टर से करना पड़ा, इससे पता चलता है कि वहां सड़कों की हालत क्या होगी? पूनिया ने कहा कि अगर सीएम इस रूट पर सड़क मार्ग से जाते तो गाड़ी के साथ ही उनके खुद के नट-बोल्ट भी हिल जाते.


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बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश में विकास के सरकारी दावों पर सवाल उठाया है. पूनिया का कहा कि खुद मुख्यमंत्री ने जोधपुर की सड़कों को लेकर जो बात कही वह और सभा में महापौर से उनका संवाद बताता है कि राजस्थान में विकास और गवर्नेन्स का मॉडल कैसा है? पूनिया बोले खुद मुख्यमंत्रीने जिस तरह अधिकारियों से कहा, उसके बाद हकीकत सबके सामने है.


मुख्यमंत्री के इस बयान की चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब है, तो बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया भी इस पर तंज कसन से नहीं चूकते. पूनिया कहते हैं कि सीएम को अपने गृह जिले में महज 10 किलोमीटर दूर स्थित कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के लिए भी हैलिकॉप्टर से यात्रा करनी पड़ी. इससे जोधपुर की सड़कों के हालात पता चलते हैं. पूनिया ने कहा कि उस रूट की सड़क में इतने गड्डे थे कि अगर सीएम सड़क मार्ग से जाते तो गाड़ी के साथ ही उनके खुद के नट-बोल्ट भी हिल जाते.


पूनिया ने कहा कि उन्होंने उस सभा का वीडियो भी देखा जिसमें वह महापौर से सड़कों के बारे में कह रहे हैं और जवाब में मेयर ने संसाधनों और बजट की कमी का हवाला दिया. पूनिया ने इसी को आधार बनाते हुए सरकार को घेरा. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि इस बयान से राजस्थान की आर्थिक स्थिति और सीएम का वित्तीय प्रबंधन साबित हो जाता है. पूनिया यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि इस सबसे साबित होता है कि मुख्यमंत्रीने जोधपुर के साथ ही राजस्थान की जनता को भी भगवान भरोसे ही छोड़ रखा है. पूनिया ने कहा कि यह दुर्भाग्यजनक है कि पिछले पौने चार साल में जिस तरह राजस्थान की राजनीति और गवर्नेंस रही, उसने प्रदेश को शर्मसार किया और तरक्की के मामले में बहुत पीछे छोड़ा है.


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