एशिया के सबसे स्वच्छ गांव पहुंचे राजस्थान के 25 गांव के मुखिया, लौटकर लागू करेंगे ये बेहतरीन मॉडल
Rajasthan Latest News: राजस्थान के 25 गांव के सरपंचों को मेघालय के मावलिन्नोंग गांव भेजा गया है, जहां से वे लोग स्वच्छता का पाठ पढ़कर आएंगे और इस मॉडल को राजस्थान के गांवों में लागू करेंगे.
Jaipur News: एशिया के सबसे स्वच्छ गांव से राजस्थान स्वच्छता का पाठ पढ़ेगा. मेघालय के मावलिन्नोंग गांव की योजनाएं प्रदेश में लागू होंगी. मावलिन्नोंग एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है, जहां साफ-सफाई स्विट्जरलैंड से कम नहीं. आखिरकार इस गांव की क्या खासियत है?
अध्ययन करने 25 सरपंच गए
राजस्थान एशिया के सबसे स्वच्छ गांव से सीख लेगा. मेघालय का मावलिन्नोंग गांव की योजना प्रदेश में लागू होगी. अध्ययन के राजस्थान के 25 सरपंच गए. राजस्थान के गांवों की सरकार के मुखिया यानि सरपंच मेघालय से स्वच्छता का पाठ पढेंगे. हाल ही 25 सरपंचों का दल मेघालय रवाना हुआ है, जहां मेघालय के स्वच्छता भारत मिशन जैसी योजनाओं का अध्ययन करेंगे. मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 90 किलोमीटर दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बसे मावलिन्नोंग गांव को एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का गौरव हासिल है.
मावलिन्नोंग ने कैसे बदली अपनी सूरत?
25 साल पहले जब गांव में हर सीजन में महामारी फैलती थी, तब रोग फैलते थे तो सबसे ज्यादा चपेट में बच्चे ही आते थे. हर साल कई बच्चों की मौत होती थी. इससे त्रस्त होकर एक स्कूल शिक्षक रिशोत खोंग्थोरम ने लोगों को स्वच्छता और शिक्षा से जोड़ने का संकल्प लिया. गांव में स्वच्छता-शिक्षा के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए समिति का गठन हुआ. समिति ने ग्रामीणों से पशुओं को बांधने, गंदगी नहीं फैलाने और घर में शौचालय बनाने की प्रेरणा दी. लोगों ने भी इसे जल्द ही मानना शुरू कर दिया. घरों के कूड़ों को एकत्र कर एक स्थान पर पहुंचाया गया. कचरे के लिए कंपोस्ट पिट और बांस के बॉक्स रखे गए, ताकि बाद में रिसाइकिल किया जा सके.
सफाई नहीं तो खाना नहीं
2003 में इस गांव को डिस्कवर इंडिया की ओर से एशिया के सबसे स्वच्छ गांव के तौर पर चिन्हित किया गया था. मावलिन्नोंग में 100 फीसदी लोग साक्षर है. गांव के सभी लोग अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं. गांव में ऐसे सभी प्लास्टिक उत्पादों पर रोक है, जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता. धूम्रपान पर भी पूरी तरह प्रतिबंध है. नियम नहीं मानने वालों को भारी जुर्माना देना पड़ता है. यहां हर घर में शौचालय है, लोग घरों के साथ सड़कों की भी सफाई करते हैं. हर घर के पास बांस से बने कूड़ेदान लगे हुए हैं. परिवार के सभी सदस्य गांव की सफाई में रोजाना भाग लेते हैं. सफाई नहीं करने वाले को घर में खाना नहीं मिलता.
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