Rajasthan Breaking News: राजस्थान में गुर्जर आरक्षण पर फिर तलवार लटक सकती है.गुर्जरों को एक बार फिर से आरक्षण फिसलने का खतरा है.गुर्जर नेता हिम्मत सिंह का का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार से 2017 के बाद ही नियुक्तियों की सूचना मांगी है.इसलिए 5 फीसदी MBC आरक्षण विधेयक रद्द होने का खतरा मंडरा रहा.


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क्योंकि महाराष्ट्र में 14 प्रतिशत मराठा आरक्षण को कोर्ट ने रद्द किया था.आरक्षण का दायरा 50% से ज्यादा होना और पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होने का बडा कारण था.उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार गुर्जरों को नवी अनुसूची में शामिल करें,यदि फिर से आरक्षण का पेंच फंसा तो आंदोलन होगा,पटरियां रोकी जाएगी.



कोर्ट ने मांगा था जवाब
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने गुर्जर नेता हिम्मत सिंह को नोटिस थमाकर 2016,2017 और 2019 के आरक्षण विधेयक पर जवाब मांगा है.2016 का स्पेशल बैकवर्ड क्लास (SBC),2017 का मोर बैकवर्ड क्लास (MBC) विधेयक कोर्ट ने रद्द किया था.जबकि 2019 के मॉर बैकवर्ड क्लास संशोधित विधेयक (MBC)के तहत गुर्जरों को ये आरक्षण फिलहाल मिल रहा है.तीनों ही विधयकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका को लेकर कोर्ट ने जवाब मांगा था.



गुर्जरों का आरक्षण कब अटका और क्यों?
2016 SBC आरक्षण

2016 में वसुंधरा सरकार के समय SBC आरक्षण का मामला हाईकोर्ट गया,1252 पदों के आरक्षण की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया.हालांकि बाद में अस्थाई नियुक्ति देने के आदेश भी हुए.बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया.



2017 MBC आरक्षण
MBC आरक्षण के खारिज होने के बाद राजस्थान सरकार ने विधानसभा में गुर्जर समेत पांच जातियों के लिए MBC आरक्षण लेकर आई.ये मामला भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा,इस विधेयक को भी कोर्ट ने ये कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य में 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता.



2019 MBC आरक्षण
राजस्थान में गहलोत सरकार सत्ता में आने के बाद 2019 में गुर्जरों के आंदोलन के बाद एमबीसी आरक्षण लेकर आई.तब से अब तक गुर्जर समेत पांच जातियों को एमबीसी के जरिए अलग से 5 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. लेकिन कोर्ट ने तीनों को याचिकाओं को क्लब कर गुर्जर नेताओं से जवाब मांगा है.


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