Rajasthan Chief Minister: राजस्थान से जीत के बाद भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री के नाम को लेकर बनी हुई है. CM  फेस को लेकर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में लगातार मैराथन बैठकों का दौर चला. अब  भाजपा ने विधायक दल नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं. विधायक दल बैठक के बाद CM को लेकर सस्पेंस खत्म होगा.


जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी


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राजस्थान में बीजेपी विधायकों की मुख्यमंत्री की पसंद को लेकर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की ओर से तीन सदस्य पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है. जिसमे केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे के को दी है.अब इसके बाद अब राजधानी जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी.


काफी अहम है 10 दिसंबर की तारीख


सूत्रों की मानें तो 10 दिसंबर को जयपुर में विधायक दल की बैठक होगी,जिसमें मुख्यमंत्री के नाम का प्रस्ताव रखा जाएगा,प्रस्ताव पर विधायकों की आम सहमति से पास किया जाएगा. बताया जा रहा है कि तीनों राज्यों में से सबसे ज्यादा चुनौती वाला राज्य भाजपा शिर्ष नेतृत्व के लिए राजस्थान है,क्योंकि यहां पर बड़ी संख्या उन विधायकों की है जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे के माने जाते हैं,हालांकि पार्टी ने जिस तरह से चुनाव से पहले कम फेस घोषित नहीं करके यह साफ दर्शा  दिया था कि पार्टी को बहुमत मिलने के बाद पार्लियामेंट्री बोर्ड के आधार पर ही मुख्यमंत्री का नाम से होगा.


सीएम फेस को लेकर कवायद 


राजस्थान में मुख्यमंत्री फेस को लेकर करीब आधा दर्जन नाम सामने है.जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे,लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,बीजेपी के वरिष्ठ नेता ओम माथुर, दलित चेहरे के लिहाज से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत अश्वनी वैष्णव, दीया कुमारी, बाबा बालक नाथ और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के नाम चर्चाओं में है. 


पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री के साथ में दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए जा सकते हैं,जिसमें एक महिला चेहरा शामिल किया जा सकता है. बताया यह भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री की शपथ के साथ करीब एक दर्जन मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जा सकती है.


समारोह के बाद पहले कैबिनेट की मीटिंग


शपथ ग्रहण समारोह के बाद पहले कैबिनेट की मीटिंग में सरकार की ओर से कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेकर प्रदेश की जनता में एक संदेश देने की कोशिश भी भाजपा करेगी,जिसका असर 6 महीने बाद आने वाले लोकसभा चुनाव में दिखाई दे.क्योंकि बीजेपी लगातार इस बात को कहती रही है, कि डबल इंजन की सरकार राजस्थान की विकास को गति देगी.


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