Jaipur News: प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का वक्त रह गया है लेकिन सत्ताधारी कांग्रेस में अभी संगठन ही नहीं है. संगठन को सक्रिय करने के लिए कोशिशों में जुटी कांग्रेस का कार्यकर्ता नियुक्तियों का इंतजार कर रहा है. सच तो यह है कि अगर कांग्रेस अपने संगठन में सभी नियुक्तियां कर दे तो पूरे राजस्थान में एक लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं को संगठन में पद देकर सक्रिय कर सकती है. ऐसे में चर्चा यह है कि आखिर कांग्रेस पार्टी में इंतजार किस बात का है?


राजस्थान कांग्रेस में एक लाख से ज्यादा पदाधिकारियों को नियुक्ति का इंतजार


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राजस्थान कांग्रेस में आज भी करीब एक लाख से ज्यादा पदाधिकारियों को नियुक्ति का इंतजार है. तकरीबन ढाई साल पहले राजनीतिक संकट के समय प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद से माना गया कि संगठन के सभी पदों पर नियुक्तियां भी नये सिरे से होंगी. तभी से यह पद खाली चल रहे थे. साल 2020 में 35 दिन चले संघर्ष के बाद कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार तो बच गई लेकिन राजस्थान कांग्रेस का संगठन पूरी तरह खत्म हो गया.


राजस्थान में कांग्रेस का संगठन तैयार नहीं हो सका


कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी प्रदेश के पीसीसी चीफ, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष ,सेवादल अध्यक्ष को एक साथ बर्खास्त किया गया हो. अगस्त 2020 के बाद के छह महीने तो ऐसे रहे जब राजस्थान की कांग्रेस के संगठन के नाम पर केवल प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ही अकेले पदाधिकारी थे. 6 महीने बाद उन्हें 40 पदाधिकारी और करीब एक साल बाद 13 जिला अध्यक्ष तो मिले, लेकिन दो साल से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बाद भी राजस्थान में कांग्रेस का संगठन तैयार नहीं हो सका है.


देरी का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है


माना जा रहा था कि अब राजस्थान कांग्रेस के संगठन में जिला अध्यक्षों, जिला कार्यकारिणी , ब्लॉक अध्यक्षों ,ब्लाक कार्यकारिणी की घोषणा जल्द की जा सकती है, लेकिन इंतजार लगातार बढ़ता गया. मंडल अध्यक्षों और मंडल कार्यकारिणियों की घोषणा भी पार्टी नहीं कर सकी है. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा कई बार जल्द संगठनात्म नियुक्ति की बात कह चुके हैं लेकिन यह जल्दी अभी तक नहीं हुई.


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आपसी लड़ाई के चलते इस काम में देरी


दरअसल संगठन में 85 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं को पद दिये जा सकते हैं और अगर कांग्रेस पार्टी ऐसा करेगी तो उसे चुनाव के लिए ऊर्जावान कार्यकर्ता भी मिलेंगे लेकिन ऐसे लगता है कि पार्टी में नेताओं की रसूख की आपसी लड़ाई के चलते लगातार इस काम में देरी हो रही है.


कांग्रेस के मुख्य संगठन और विभागों की नियुक्तियों की संख्या एक लाख से भी पार जाएगी. पार्टी में संगठनात्मक नियुक्तियों में हो रही इस देरी का खामियाजा भी कांग्रेस को ही उठाना है. ऐसे में कार्यकर्ता भी यह सोच रहे हैं कि कहीं देरी से होने वाली नियुक्तियां कहीं पद की अहमियमत कम न कर दें.