Rajasthan Election 2023: राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में 200 सीटों पर 30 अक्टूबर से नामांकन की प्रकिया शुरू होगी. नामांकन के साथ मतदान से पहले नेता भी प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे. 


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हालांकि प्रचार अभियान के दौरान नेताओं को अपने खर्च का हिसाब भी रखना होगा. यही कारण है कि निर्वाचन आयोग की ओर से प्रत्याशियों के खर्चे पर निगरानी के लिए प्रदेश की 200 सीटों पर 70 व्यय पर्यवेक्षक यानी नियुक्त किए हैं. मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि 30अक्टूबर से चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों के चुनाव खर्चो पर निगरानी रखनी शुरू हो जाएगी.


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केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने इस बार सभी प्रत्याशियों के खर्चो पर निगरानी के लिए प्रदेश में 70 आईआरएस अधिकारियों की टीम उतारी है. ये टीम 30 अक्टूबर से प्रदेश में एक्टिव हो जाएगी. ये सभी अधिकारी विधानसभा वार अपनी-अपनी टीम के साथ हर प्रत्याशी के तमाम खर्चों का पूरा लेखा-जोखा रखेंगे. ये टीम विधानसभा क्षेत्र से जुड़ी सभी वांछित सूचनाएं भी निर्वाचन आयोग को भेजेंगे.


उन्होंने कहा कि सभी पर्यवेक्षक अधिसूचना जारी होने के दिन 30 अक्टूबर से क्षेत्र में रहेंगे और 25 नवंबर तक क्षेत्र में दौरे पर रहेंगे. जयपुर जिले की 19 विधानसभा सीटों के लिए 6 अधिकारियों को लगाया गया है. इसमें सुनील कुमार अग्रवाल को (कोटपूतली, विराटनगर, शाहपुरा) मुकेश जैन को (हवामहल, किशनपोल, आदर्श नगर, मालवीय नगर), नरेन्द्र कुमार नाइक को (फुलेरा, दूदू, झोटवाड़ा), आर.एस. अरविंदाक्षन को (विद्याधर नगर, सिविल लाईन्स, सांगानेर), मोनिका सिंह को (बगरू, बस्सी, चाकसू) और आनन्द प्रकाश उपाध्याय को (चौंमू, आमेर, जमवारामगढ़) विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी है.


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गौरतलब है कि इस बार चुनाव आयोग ने एक प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए 40 लाख रुपये खर्च करने की लिमिट निर्धारित की है. इससे पहले जब साल 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब 28 लाख रुपये खर्च लिमिट थी. साल 2018 में दोनों ही प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों ने औसतन 26 करोड़ रुपये चुनाव में प्रचार-प्रसार के दौरान खर्च किए थे.